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World Cancer Day: आज है कैंसर दिवस, कैंसर के लक्षण से जल्दी नहीं चलता पता, जानिए महत्व और इस साल की थीम

World Cancer Day: आज दुनियाभर में विश्व कैंसर दिवस मनाया जा रहा है। कैंसर भारत के साथ दुनियाभर के लिए एक बड़ी चुनौती है। हर साल 4 फरवरी को वर्ल्ड कैंसर डे मनाया जाता है। इस दिन दुनियाभर के देशों को साथ मिलकर कैंसर से लड़ने और इसकी रोकथाम करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इस दिन को मनाने के पीछे एक बेहद खास मकसद है

Edited By: Jitendra Singhअपडेटेड Feb 04, 2024 पर 9:25 AM
World Cancer Day: आज है कैंसर दिवस, कैंसर के लक्षण से जल्दी नहीं चलता पता, जानिए महत्व और इस साल की थीम
World Cancer Day: इस साल की थीम क्लोज द केयर गैप: एवरीवन डिजर्व्स एक्सेस टू कैंसर केयर” है।

World Cancer Day: दुनिया की गंभीर बीमारियों में से एक कैंसर भी एक गंभीर बीमारी है। दुनियाभर में हर विश्व में हर साल भी भाती इस वर्ष भी 4 फरवरी को वर्ल्ड कैंसर डे मनाया जा रहा है। इस दिन का मकसद लोगों को कैंसर के बारे में जागरूक करना है। इसके लक्षणों की पहचान करना और इसकी रोकथाम के लिए जानकारी मुहैया कारना है। हर साल लाखों लोगों की मौत कैंसर की वजह से होती है। कैंसर शरीर के किसी भी भाग में हो सकता है। हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, कैंसर के मामलों में 77 फीसदी बढ़ोतरी की आशंका जताई गई है।

विश्व कैंसर दिवस पहली बार साल 2008 में मनाया गया था। साल 2022, 2023 और 2024 के लिए विश्व कैंसर दिवस की थीम 'क्लोज द केयर गैप' तय की गई थी। इससे कैंसर से जूझ रहे लोगों को सही सलाह और इलाज पहुंचाय जा सके। विश्व कैंसर दिवस के मौके पर कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं ताकि लोगों को कैंसर के प्रति जागरूक किया जा सके। विश्व कैंसर दिवस का नेतृत्व यूनियन फॉर इंटरनेशनल कैंसर कंट्रोल (UICC) की ओर से किया जाता हैं।

कैंसर को शुरुआती दौर में पहचान करना बड़ी चुनौती

एक्सपर्ट्स का कहना है कि कैंसर के बढ़ते मरीज और समय पर बीमारी का पता नहीं लग पाना आज भी सबसे बड़ी चुनौती है। तेजी से बढ़ रहे कैंसर के मरीजों का समय पर पता नहीं चलना सबसे बड़ी चुनौती है। आज भी 60 फीसदी मरीज एडवांस स्टेज में इलाज के लिए पहुंचते हैं। ऐसे मरीजों की वजह से उन मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता है। जिनके ठीक होने के आसार बेहद कम होते हैं। लिहाजा प्रिवेंशन (बचाव) और पैलेटिव (पेन मैनेजमेंट) केयर को बढ़ावा देने की जरूरत है। जब किसी को बीमारी का पता चलता है, उनमें कैंसर एडवांस स्टेज में पहुंच चुका होता है। सभी बड़े-बड़े सेंटर की तरफ भागते हैं। ऐसी स्थिति में बड़े सेंटरों में एडवांस स्टेज के मरीजों की संख्या ज्यादा हो जाती है, जबकि इलाज के बाद भी इनके क्योर (ठीक होने) की संभावना कम है।

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