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Bichu Ghas: छूते ही डंक मारती है यह सब्जी, कैंसर और BP के लिए है रामबाण

Bichu Ghas: उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमायूं क्षेत्रों में खेतों के आसपास एक घास पाई जाती है। जिसे बिच्छू घास कहते हैं। यह घास बेहद खतरनाक है। यह बिच्छू की तरह डंक मारता है। इस घास की सब्जी बनाई जाती है, जो सेहत के लिए काफी फायदेमंद है। इसके सेवन से मलेरिया, कैंसर, बीपी, पेट की बीमारियां ठीक करने में मदद मिलती है

MoneyControl Newsअपडेटेड Feb 20, 2024 पर 6:31 AM
Bichu Ghas: छूते ही डंक मारती है यह सब्जी, कैंसर और BP के लिए है रामबाण
Bichu Ghas: बिच्छू घास की सब्जी में आयरन, विटामिन-A और फाइबर भरपूर मात्रा में पाया जाता है।

Bichu Ghas: आमतौर पर पहाड़ी क्षेत्रों में कई तरह की घास के बारे में सुना होगा। उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी इलाकों में कई तरह जंगली घास और अन्य सब्जियों के बारे में नाम सुनने को मिलता रहता है। ऐसे ही उत्तराखंड के गढ़वाल, कुमाऊं में एक जंगली घास पाई जाती है। जिसे 'बिच्छू घास' (Bichu Ghas) के नाम से जाना जाता है अगर गलती से भी इसे छू लिया तो उस हिस्से में तेज जलन और खुजली होने लगती है। यहां तक कि त्वचा पर फफोले भी पड़ जाते हैं। इसमें बिच्छू के काटने जैसा दर्द होता है। इसी लिए इसे बिच्छू घास कहते हैं।

इस घास का वैज्ञानिक नाम अरर्टिका डाइओका (Urtica dioica) है। अंग्रेजी में इसे Stinging nettle कहा जाता है। इसे स्थानीय भाषा में सिसौंण, बिच्छु बूटी या बिच्छु घास कहा जाता है। इसकी सब्जी बनाई जाती है। इस सब्जी को कंडाली (Kandaali ka Saag) कहा जाता है। उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में इसे कंडाली और कुमाऊं क्षेत्र में सिसूंण कहा जाता है।

विटामिन और मिनरल्स का खजाना

यह जगंली घास शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्वों का खजाना है। इसमें विटामिन A, C और K, मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटेशियम और सोडियम जैसे मिनरल्स, एमिनो एसिड्स और एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। साग बनाने के लिए इसे हाथों से तोड़ने के बजाए चिमटे से तोड़ा जाता है। फिर पानी में उबाल कर इसके डंक के असर को खत्म कर दिया जाता है। इसके बाद आसानी से इसे किसी भी दूसरे हरे साग की तरह पकाया जा सकता है। यह सेहत के लिए किसी रामबाण से कम नहीं है। स्वाद भी इसका लाजवाब है। पहाड़ी लोगों के खानपान का यह अहम हिस्सा है। इसके औषधीय गुण जानकर आप हैरान रह जाएंगे।

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