Elon Musk का सैटेलाइट नेटवर्क सिस्टम स्टारलिंक अब भारत में लॉन्च होने जा रहा है। ये नेटवर्क सिस्टम ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाओं के दुरुस्त करेगा। भारत में स्टारलिंक की सेवा की लागत अभी तक कंफर्म नहीं हो पाई है। हालांकि, कंपनी के पूर्व भारत प्रमुख के अनुसार पहले साल में स्टारलिंक की लागत लगभग 1,58,000 रुपये हो सकती है।
एलॉन मस्क की कंपनी Starlink जल्द ही भारत में काम करने वाली है। स्टारलिंक को भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सर्विसेस प्रोवाइड करने के लिए लाइसेंस मिलने जा रहा है। इन सेवाओं की मदद से भारत के ग्रामीण और दूर-दराज के इलाकों में लोगों की नेटवर्क संबंधी समस्याएं दूर होंगी। Starlink को बहुत जल्द भारत सरकार की ओर से फ्रूवल मिलने वाला है। ड
एलॉन मस्क की कंपनी Starlink जल्द ही भारत में काम करने वाली है। स्टारलिंक को भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सर्विसेस प्रोवाइड करने के लिए लाइसेंस मिलने जा रहा है। इन सेवाओं की मदद से भारत के ग्रामीण और दूर-दराज के इलाकों में लोगों की नेटवर्क संबंधी समस्याएं दूर होंगी। Starlink को बहुत जल्द भारत सरकार की ओर से फ्रूवल मिलने वाला है। डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटर्नल ट्रेड को एक बार अपने शेयरहोल्डिंग पैटर्न के बारे में स्पष्ट करने के बाद ही Starlink को अप्रूवल दिया जाएगा। इसके बाद डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन स्टारलिंक को लेटर ऑफउ इंटेट इश्यू करेगा।
डिपार्टमेंट के पास पावर्स
डिपार्टमेंट एक नोट तैयार कर रहा है जिसे टेलीकॉम सेक्रेटरी नीरज मित्तल और कम्युनिकेशन मिनिस्टर अश्वनी वैष्णव को अप्रूवल के लिए दिया जाएगा। एक बार इनकी हामी मिल जाए सैटेलाइट कम्युनिकेशन विंग स्टारलिं क को अप्रूवल दे देगा। 2022 में स्टारलिंक ने सैटेलाइट सर्विसेस के जरिए ग्लोबल मोबाइल पर्सनल कम्युनिकेश के लिए लाइसेंस के लिए अप्लाई किया था। स्टारलिंक Jio Satellite Communivcation और OneWeb के बाद ये लाइसेंस हासिल करने वाली तीसरी कंपनी बन गई है।
DoT फिलहाल सैटेलाइड बेस्ड ब्रोडबैंड सर्विसेस के लिए Starlink को सहमति नहीं देगा। स्टारलिंक को इसके बाद Indian National Space Promotion और ऑथराइजेशन सेंटर से अर्थ स्टेशन सेट अप करने के लिए अप्रूवल लेना होगा। भले ही स्टारलिंक को इतने सारे अप्रूवल मिल जाएं फिर भी DoT के स्पैक्ट्रम के लिए उन्हें इंतजार करवना होगा। Amazon’s satcom arm - Project Kuiper को भी भारत में GMPCS लाइसेंस की तलाश है।
2021 में, स्टारलिंक को अपने टर्मिनलों के लिए मामूली शुल्क पर प्री-ऑर्डर स्वीकार करने के लिए भारत सरकार के साथ समस्याओं का सामना करना पड़ा। हालाँकि कंपनी ने भारत में अपनी सैटकॉम सेवाओं के लिए परीक्षण करने की योजना बनाई थी, लेकिन वे सफल नहीं हुए क्योंकि सरकार ने स्टारलिंक को फीस वापस करने का निर्देश दिया, जो भारत में संचालन के लिए आवश्यक अनुमति के बिना एकत्र की गई थी।
भारत में स्टारलिंक की सेवाओं से किसे फायदा होगा?
सैटेलाइट कम्युनिकेशन या सैटकॉम 4जी के बराबर ब्रॉडबैंड स्पीड प्रोवाइड करता है। ये सर्विस आपको 100 मेगाबिट प्रति सेकंड (एमबीपीएस) तक इंटरनेट प्रोवाइड करवाती हैं। 10 गीगाबिट प्रति सेकंड (जीबीपीएस) वाली सुविधा अभी तक इसमें नहीं है।
स्टारलिंक यूजर्स आमतौर पर 25 और 220 mbps के बीच की स्पीड पर डाउनलोड का लाभ ले पाएंगे। अधिकांश यूजर्स 100 mbps से अधिक की स्पीड भी इससे एक्सपीरिएंस कर पाएंगे। स्टारलिंक की वेबसाइट के मुताबिक अपलोड स्पीड आमतौर पर 5 से 20 mbps के बीच यूजर्स को मिलेगी। यह तकनीक दूरदराज के क्षेत्रों के यूजर्स को टावर या ऑप्टिकल फाइबर द्वारा मिलने वाली इंटरनेट सेवाओं का ये आधुनिक तरीका है। सैटेलाइट कम्युनिकेशन पारंपरिक नेटवर्क सेवाओं से आसान और सुविधाजनक है।
स्टारलिंक के मुताबिक सैटेलाइट ब्रॉडबैंड कनेक्शन स्कूलों और हेल्थ फैसेलिटीज के लिए फायदेमंद हैं। कंपनी शुरुआत में ग्राहकों को सीधे इंटरनेट सेवाएं प्रदान करने पर विचार कर रही है, लेकिन एंटरप्राइज सेगमेंट पर भी अभी कंपनी विचार कर रही है।
भारत में स्टारलिंक सेवा लागत
भारत में स्टारलिंक की सेवा की लागत फिलहाल अभी तक क्लियर नहीं हो पाई। हालांकि, कंपनी के पूर्व भारत प्रमुख के मुताबिक पहले साल में लागत लगभग 1,58,000 रुपये होगी। दूसरे साल से सेवा लागत 30 प्रतिशत टैक्स के सात 1,15,000 रुपये होगी। यूजर को इंस्टूमेंट्स के लिए 37,400 रुपये और सेवाओं के लिए 7,425 रुपये प्रति माह देने पड़ेंगे।
भारत में सैटेलाइट कम्युनिकेशन अभी शुरुआती चरण में है, लेकिन ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में इससे विकास की उम्मीद है। EY-ISpA की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था 2025 तक 6 प्रतिशत की सालाना वृद्धि दर से बढ़कर 13 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।
स्टारलिंक 5,000 से अधिक एक्टिवेट सैटेलाइट संचालित करता है जो काफी तेजी से इंटरनेट पहुंचाता है। कंपनी ब्रॉडबैंड इंटरनेट प्रदान करने के लिए पृथ्वी की नजदीकी कक्षा में मौजूद दुनिया की सबसे बड़ी और पहले सैटेलाइट ग्रुप होने का दावा करती है। कंपनी ऑनलाइन गेमिंग, वीडियो कॉल, स्ट्रीमिंग जैसी एक्टिविटीज का समर्थन करती है।
स्टारलिंक हजारों सैटेलाइट्स का एक समूह है जो पृथ्वी के बहुत करीब, लगभग 550 किमी की दूरी पर ग्रह की परिक्रमा करते हैं, और पूरे विश्व को कवर करते हैं। क्योंकि स्टारलिंक उपग्रह निचली कक्षा में हैं, कंपनी की वेबसाइट के अनुसार, लगभग 25 एमएस बनाम 600+ एमएस में ही लोगों को इंटरनेट सुविधा मिल जाती है।स्पेसएक्स एकमात्र उपग्रह ऑपरेटर है जो आवश्यकतानुसार अपने उपग्रहों को लॉन्च करने में सक्षम है।