Get App

TDS Calculation: मार्च तक एंप्लॉयी की इनकम से पूरा टीडीएस काट लेती है कंपनी, जानिए कैसे होता है टीडीएस का कैलकुलेशन

TDS Calculation: एंप्लॉयी पर टैक्स का बोझ एक बार नहीं पड़े, इसके लिए एंप्लॉयर हर महीने एंप्लॉयी की सैलरी से कुछ टैक्स काटता है। इस टीडीएस को कंपनी को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पास जमा करना पड़ता है

MoneyControl Newsअपडेटेड Feb 23, 2024 पर 4:52 PM
TDS Calculation: मार्च तक एंप्लॉयी की इनकम से पूरा टीडीएस काट लेती है कंपनी, जानिए कैसे होता है टीडीएस का कैलकुलेशन
कंपनी का फाइनेंस डिपार्टमेंट एंप्लॉयी के प्रस्तावित टैक्स-सेविंग्स इनवेस्टमेंट, एचआरए क्लेम आदि की जानकारी मिलने के बाद उसकी कुल टैक्स लायबिलिटी तय करता है।

यह वित्त वर्ष खत्म होने जा रहा है। 1 अप्रैल से नया वित्त वर्ष शुरू हो जाएगा। कंपनियां हर वित्त वर्ष में मार्च तक की एंप्लॉयी की सैलरी से पूरा टैक्स काट लेती है। एंप्लॉयी की सैलरी टैक्स-डिडक्टेड ऐट सोर्स (TDS) के दायरे में आती है। इसका मतलब यह है कि कंपनी हर महीने टैक्स काटकर एंप्लॉयी का पैसा उसके बैंक अकाउंट में डालती है। कंपनी एंप्लॉयी की सैलरी से कितना टैक्स काटती है, टैक्स का कैलकुलेशन कैसे होता है, क्या टीडीएस कटने के बाद एंप्लॉयी को इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते वक्त कोई टैक्स नहीं चुकाना पड़ता है? आइए इन सवालों के जवाब जाने की कोशिश करते हैं।

सैलरी पर टीडीएस के लिए रेट फिक्स नहीं

एक्सपर्ट्स का कहना है कि दूसरी तरह की इनकम पर टीडीएस का रेट फिक्स है। लेकिन, सैलरी के मामले में टीडीएस का फिक्स रेट नहीं है। टीडीएस एंप्लॉयी की कुल सालाना सैलरी और उसके स्लैब के हिसाब से तय होता है। कंपनी का फाइनेंस डिपार्टमेंट हर वित्त वर्ष की शुरुआत में एंप्लॉयी से इसकी जानकारी देने को कहा है कि वह वित्त वर्ष के दौरान कुल कितना टैक्स-सेविंग्स इनवेस्टमेंट करेगा। इसके अलावा एचआरए क्लेम का अमाउंट भी कंपनी पूछती है।

टैक्स लायबिलिटी के आधार पर टीडीएस

सब समाचार

+ और भी पढ़ें