पैसे नहीं हैं तो भी 31 मार्च से पहले कर सकते हैं टैक्स-सेविंग्स, जानिए क्या है तरीका

टैक्स-सेविंग्स इनवेस्टमेंट के लिए 31 मार्च डेडलाइन है। वित्त वर्ष 2023-24 के लिए टैक्स डिडक्शन क्लेम करने के लिए इस साल 31 मार्च तक इनवेस्टमेंट करना जरूरी है। आप म्यूचुअल फंड्स की टैक्स सेविंग्स स्कीम यानी ईएलएसएस में निवेश कर टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकते हैंं

अपडेटेड Feb 23, 2024 पर 2:37 PM
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ईएलएसएस टैक्स-सेविंग्स के लिए बेस्ट है। इसका रिटर्न दूसरी टैक्स-सेविंग्स स्कीम से ज्यादा है। लंबी अवधि में इसमें निवेश करने पर अच्छा फंड तैयार हो जाता है।

टैक्स-सेविंग्स (Tax Savings) के लिए डेडलाइन नजदीक आ रही है। 31 मार्च, 2024 तक किए गए टैक्स-सेविंग्स इनवेस्टमेंट पर ही आप वित्त वर्ष 2023-24 के लिए डिडक्शन क्लेम कर सकेंगे। इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 80सी के तहत एक वित्त वर्ष में 1.5 लाख रुपये तक का इनवेस्टमेंट टैक्स-सेविंग्स इंस्ट्रूमेंट्स में किया जा सकता है। फिर, 1.5 लाख रुपये पर आप डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं। इससे आपकी टैक्स लायबिलिटी काफी घट जाएगी। 80सी के तहत करीब एक दर्जन टैक्स-सेविंग्स इंस्ट्रूमेंट्स आते हैं। इनमें म्यूचुअल फंड की टैक्स सेविंग्स स्कीम बहुत लोकप्रिय हैं। इन्हें इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ELSS) भी कहा जाता है।

ELSS में 31 मार्च तक कर सकते हैं निवेश

अगर आपने सेक्शन 80सी के तहत वित्त वर्ष 2023-24 में 1.5 लाख रुपये तक का निवेश नहीं किया है तो आप 31 मार्च तक कर सकते हैं। आपके लिए ईएलएसएस में निवेश करना ठीक रहेगा। इसका रिटर्न दूसरी टैक्स-सेविंग्स स्कीम से ज्यादा है। लंबी अवधि में इसमें निवेश करने पर अच्छा फंड तैयार हो जाता है। कई लोग ईएलएसएस में निवेश तो करना चाहते हैं लेकिन उनके पास अभी पैसे नहीं हैं। ऐसे में उन्हें काफी टैक्स चुकाना पड़ सकता है। टैक्स-सेविंग्स इनवेस्टमेंट के लिए वे किसी से उधार भी नहीं मांगना चाहते हैं।


इक्विटी म्यूचुअल फंड्स की यूनिट्स या शेयर बेचने होंगे

अगर आपके पास अभी पैसे नहीं हैं तो भी आप 31 मार्च तक टैक्स-सेविंग्स इनवेस्टमेंट कर सकते हैं। इसके लिए एक ऐसा तरीका है, जिससे आपको किसी से पैसे उधार मांगने की जरूरत नहीं पड़ेगी। आपकी टैक्स-लायबिलिटी भी नहीं बढ़ेगी। इसके लिए आपके इक्विटी म्यूचुअल फंड्स या शेयरों में किए गए अपने इनवेस्टमेंट से पैसे निकालने होंगे। चूंकि, आप यह पैसा खर्च नहीं करने जा रहे हैं बल्कि इससे टैक्स-सेविंग्स इनवेस्टमेंट करने जा रहे हैं तो इसमें कोई प्रॉब्लम नहीं है।

लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस के नियम का ध्यान रखना होगा

इनकम टैक्स के नियमों के मुताबिक, शेयर या इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में निवेश से होने वाले लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस पर टैक्स लगता है। एक वित्त वर्ष में शेयरों या इक्विटी म्यूचुअल फंड्स से 1 लाख रुपये से ज्यादा के कैपिटल गेंस पर 10 फीसदी टैक्स लगता है। इसका मतलब है कि अगर शेयरों या इक्विटी म्यूचुअल फंड्स से एक वित्त वर्ष में आपका लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस यानी मुनाफा 99,999 रुपये तक है तो आपको कोई टैक्स नहीं चुकान होगा।

एक साल से ज्यादा समय पहले किए निवेश को बेच सकते हैं

शेयरों या इक्विटी म्यूचुअल फंड्स की यूनिट्स को निवेश करने के एक साल बाद बेचने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स लगता है। इस पर टैक्स का रेट 10 फीसदी है। निवेश के एक साल के अंदर शेयर या इक्विटी म्यूचुअल फंड की यूनिट्स बेचने पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस टैक्स लगता है, जिसका रेट 15 फीसदी है। आप उन शेयरों या म्यूचुअल फंड की इक्विटी स्कीम के यूनिट्स बेच सकते हैं, जिनमें आपने एक साल या उससे ज्यादा पहले निवेश किया था। आपको ध्यान रखना होगा कि आपका कैपिटल गेंस 1 लाख रुपये से ज्यादा नहीं होना चाहिए।

ऐसे समझें पूरा मामला

इसे एक उदाहरण की मदद से आसानी से समझ सकते हैं। मान लीजिए आपने साल 2021 में सिप के जरिए म्यूचुअल फंड की इक्विटी स्कीम में हर महीने 5 हजार रुपये निवेश किया था। इस तरह आपने साल 2021 में कुल निवेश 60,000 रुपये किया था। अभी इस निवेश की वैल्यू बढ़कर 1.5 लाख रुपये हो गई है। ऐसे में आपका कैपिटल गेंस 90,000 रुपये (1.5 लाख-60,000=90000) होगा। चूंकि आपका कैपिटल गेंस 90,000 रुपये है, जिससे आपको इस पर कोई टैक्स नहीं चुकाना होगा। यह 1 लाख रुपये से ज्यादा होता तो टैक्स लगता। आप इस पैसे से ईलएसएस में निवेश कर सकते हैं। इससे नया फंड नहीं होने पर भी आप टैक्स-सेविंग्स इनवेस्टमेंट कर अपना टैक्स घटा सकते हैं।

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MoneyControl News

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First Published: Feb 23, 2024 2:31 PM

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