Nifty 20 फरवरी को 22,215 प्वाइंट्स के ऑल-टाइम हाई पर पहुंच गया। 21 फरवरी को यह 141 अंक गिरा। फिर भी यह 22,000 से ऊपर है। स्टॉक मार्केट्स में तेजी का रुख जारी है। ऐसे में फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स निवेशकों को कुछ खास सलाह दे रहे हैं। उनका कहना है कि अभी निवेशकों को रिस्क वाले इनवेस्टमेंट से बचना चाहिए। साथ ही उन्हें एकमुश्त निवेश भी नहीं करना चाहिए। एसीई एमएफ के डेटा के मुताबिक, निफ्टी 50 टोटल रिटर्न इंडेक्स (TRI) ने एक साल में 25 फीसदी, 3 साल में 15 फीसदी और 5 साल में 17 फीसदी रिटर्न दिया है।
मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में निफ्टी से ज्यादा तेजी
मार्केट के कुछ सूचकांकों में निफ्टी 50 के मुकाबले ज्यादा तेजी देखने को मिली है। उदाहरण के लिए निफ्टी मिडकैप 150 टीआरआई एक साल में 57 फीसदी चढ़ा है। निफ्टी स्मॉलकैप 250 टीआरआई 67 फीसदी चढ़ा है। पिछले तीन साल में मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों ने लार्जकैप शेयरों से काफी ज्यादा रिटर्न दिए हैं। इससे मार्केट में इन शेयरों को लेकर चिंता दिख रही है। ऐसे में सवाल है कि क्या आपको म्यूचुअल फंड की अपनी इनवेस्टमेंट स्ट्रेटेजी में बदलाव करनी चाहिए?
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विदेशी निवेशकों ने जनवरी में की बड़ी बिकवाली
ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कैलेंडर ईयर 2023 में 20 फीसदी रिटर्न देने के बाद नए साल की शुरुआत निफ्टी ने सावधानी के साथ की। रिपोर्ट में कहा गया है, "जनवरी में मार्केट में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला। निफ्टी में करीब 1,000 प्वाइंट्स का उतार-चढ़ाव दिखा। महीने दर महीने आधार पर यह अपने रिकॉर्ड हाई से फ्लैट लेवल पर आ गया। जनवरी में विदेशी संस्थागत निवेशकों ने 3.1 अरब डॉलर के स्टॉक्स बेचे। यह जनवरी 2023 के बाद सबसे ज्यादा बिकवाली थी। इसके उलट घरेलू संस्थागत निवेशकों ने लगातार छठे महीने 3.2 अरब डॉलर का निवेश किया।"
म्यूचुअल फंडों में निवेशकों की दिलचस्पी
जनवरी में म्यूचुअल फंड्स की स्कीमों में सिप के जरिए होने वाला निवेश 18,838 करोड़ रुपये पहुंच गया, जो एक रिकॉर्ड है। दिसंबर में यह 17,610 करोड़ रुपये था। वैल्यूएशन के मामले में एक साल का फॉरवर्ड प्राइस टू अर्निंग (P/E) करीब 20 गुना हो गया है, जो लंबी अवधि के औसत पीई से ज्यादा है। टाटा म्यूचुअल फंड का कहना है कि लार्ज कैप स्टॉक्स में रिस्क रिवॉर्ड रेशियो ज्यादा अच्छा है।
निवेशकों को क्या करना चाहिए?
आपको यह ध्यान में रखने की जरूरत है म्यूचुअल फंड की स्ट्रेटेजी शेयरों में सीधे निवेश की स्ट्रेटेजी से अलग होती है। शेयरों में आप प्रॉफिट बुक करते हैं। नए निवेश पर रोक लगा देते हैं। या आप कुछ स्टॉक्स में निवश बढ़ाते हैं। यह सब बाजार की स्थितियों पर निर्भर करता है। बाजार रिकॉर्ड हाई पर होने पर निवेशकों को शेयर महंगे हो जाने की चिंता होने लगती है। लेकिन, म्यूचुअल फंड्स के मामले में ये बातें लागू नहीं होती हैं।
श्री फाइनेंशियल के फाउंडर निशित बलदेवदास ने कहा कि अगर किसी निवशक ने 8 साल या ज्यादा का टारगेट तय किया है तो उसका निवेश स्मॉलकैप या मिडकैप फंड में हो, उसे हम निवेश जारी रखने की सलाह दे रहे हैं। उसे हम महीने दर महीने आधार पर निवेश को रोके बगैर उसे जारी रखने की सलाह दे रहे हैं। लेकिन, अभी कोई नया निवेश या एकमुश्त निवेश महंगे शेयरों में करने की जरूरत नहीं है।
उन्होंने कहा कि अगर किसी निवेशक के पास पैसा है तो उसे डेट कैटेगरी या कम एग्रेसिव इक्विटी कैटेगरी में निवेश करना चाहिए। इस साल इंटरेस्ट रेट में गिरावट आने वाली है। इसलिए डेट कैटेगरी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अगर किसी इनवेस्टर के पोर्टफोलियो में मिडकैप और स्मॉलकैप का पलड़ा भारी हो गया है तो वह एग्जिट लोड या टैक्सेशन को ध्यान में रख पोर्टफोलियो को रिबैलेंस कर सकता है।