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बिल्डिंग नॉर्म का उल्लंघन करने वाली प्रॉपर्टी का नहीं होगा रजिस्ट्रेशन, दिल्ली रेरा ने सब-रजिस्ट्रार को दिए निर्देश

यूनिफायड बिल्डिंग बाय लॉज (UBBL) दिल्ली, 2016 के तहत प्लॉट साइज के हिसाब से रिहायशी इकाइयों की जितनी अधिकतम संख्या की इजाजत दी गई है, उसका पालन करना अनिवार्य है। इस नियम का पालन नहीं करने वाली प्रॉपर्टी का रजिस्ट्रेशन नहीं होगा। Delhi RERA ने इस बारे में म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ऑफ दिल्ली (MCD) और दूसरी सिविक बॉडीज को भी निर्देश जारी किए हैं

MoneyControl Newsअपडेटेड Nov 23, 2023 पर 2:12 PM
बिल्डिंग नॉर्म का उल्लंघन करने वाली प्रॉपर्टी का नहीं होगा रजिस्ट्रेशन, दिल्ली रेरा ने सब-रजिस्ट्रार को दिए निर्देश
दिल्ली रेरा का यह आदेश इस साल 11 सितंबर को आया था। लेकिन, रजिस्ट्रार ऑफिस को यहर 17 नवंबर को मिला। इसमें संबंधित एजेंसियों को सुप्रीम कोर्ट के 2008 के आदेश का पालन करने को कहा गया है।

दिल्ली रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (Delhi RERA) ने सभी सब-रजिस्ट्रार को निर्देश जारी किया है। इसमें उन्हें ऐसी नई प्रॉपर्टीज का रजिस्ट्रेशन नहीं करने को कहा गया है, जो नियमों (norms) का उल्लंघन करती है। इसका मतलब है कि यूनिफायड बिल्डिंग बाय लॉज (UBBL) दिल्ली, 2016 के तहत प्लॉट साइज के हिसाब से रिहायशी इकाइयों की जितनी अधिकतम संख्या की इजाजत दी गई है, उसका पालन करना अनिवार्य है। इस नियम का पालन नहीं करने वाली प्रॉपर्टी का रजिस्ट्रेशन नहीं होगा। Delhi RERA ने इस बारे में म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ऑफ दिल्ली (MCD) और दूसरी सिविक बॉडीज को भी निर्देश जारी किए हैं। इसमें प्लॉट साइज के मुताबिक अधिकतम रिहायशी इकाई की जो संख्या तय की गई है, उसका उल्लंघन करने वाली प्रॉपर्टी का रजिस्ट्रेशन नहीं करने को कहा गया है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस निर्देश से अनाधिकृत कॉलोनीज में कंस्ट्रक्शन पर असर पड़ेगा, जिसमें छोटे-छोटे प्लॉट्स पर कई फ्लोर और रिहायशी इकाइयां बना दी जाती हैं।

अनाधिकृत कॉलोनी में कंस्ट्रक्शन पर पड़ेगा असर

एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस निर्देश से अनाधिकृत कॉलोनी में कंस्ट्रक्शन को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। अधिकृत कॉलोनी में भी बिल्डर फ्लोर्स पर इसका असर पड़ेगा। दिल्ली रेरा ने अपने आदेश में कहा है कि MCD, DDC, NDMC और दिल्ली कैंटोनमेंट बोर्ड जैसी सिविक अथॉरिटीज अतिरिक्त रिहायशी इकाइयों वाले बिल्डिंग प्लान को मंजूरी दे रही हैं। ऐसी रिहायशी इकाइयों में किचेन नहीं होता है लेकिन पैंट्री या स्टोर होता है। बिल्डर्स बिल्डिंग प्लान को एप्रूव कराने के बाद पैंट्री या स्टोर को किचेन में बदल देते हैं। उसके बाद इकाई को अलग रिहायशी इकाई के रूप में बेच देते हैं। ऐसा कर वे सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बचने की कोशिश करते हैं।

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