सर्किल रेट अक्सर स्थानीय अधिकारियों के द्वारा निर्धारित किया जाता है। यह वह न्यूनतम कीमत होत है जिसी पर एक प्रॉपर्टी, चाहे वह कमर्शियल, रेजिडेंशियल या लैंड भूमि हो सेल के लिए रजिस्टर की जाती है। यह प्रॉपर्टी की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए एक नियामक के तौर पर काम करता है। जिला प्रशासन को राज्यों और शहरों में प्रॉपर्टीयों के लिए मानक दरें स्थापित करने का काम सौंपा गया है। ये सर्कल रेट एरिया के हिसाब से अलग-अलग होता है। सर्कल रेट से नीचे के ट्रांजेक्शन आमतौर पर रजिस्टर नहीं होते हैं। हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में सर्कल रेट को कलेक्टर दरों या जिला कलेक्टर दरों (District Collector Rate) के रूप में भी जाना जा सकता है।