रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए जिन इनवेस्टमेंट इंस्ट्रूमेंट्स का इस्तेमाल होता है उनमें पीपीएफ (PPF) सबसे ऊपर है। यह सरकार की स्मॉल सेविंग्स स्कीम्स का हिस्सा है। सरकार की स्कीम होने की वजह से इस पर लोग बहुत भरोसा करते हैं। लंबी अवधि में निवेश करने पर इस स्कीम की मदद से अच्छा फंड तैयार हो जाता है, जिसका इस्तेमाल रिटायरमेंट के बाद की जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जा सकता है। EPF यानी एंप्लॉयी प्रोविडेंट फंड भी लंबी अवधि के निवेश का माध्यम है। दोनों में से किसमें निवेश ज्यादा फायदेमंद है? आपको किसमें निवेश करना चाहिए? क्या दोनों में एक साथ निवेश किया जा सकता है? आइए इन सवालों के जवाब जानने की कोशिश करते हैं।
EPF प्राइवेट कंपनी में काम करने वाले एंप्लॉयीज के लिए
ईपीएफ एक रिटायरमें बेनेफिट स्कीम है, जो प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले लोगों के लिए है। इसका मतलब यह है कि प्राइवेट कंपनी में काम करने वाला व्यक्ति इस स्कीम में निवेश करता है। इसमें निवेश स्वैच्छिक नहीं है। प्राइवेट एंप्लॉयी के लिए इसमें निवेश करना अनिवार्य है। हर महीने सैलरी का एक हिस्सा ईपीएफ अकाउंट में चला जाता है। इसमें एंप्लॉयी और एंप्लॉयर (कंपनी) दोनों का कंट्रिब्यूशन बराबर-बराबर होता है। प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले लोगों के ईपीएफ फंड का प्रबंधन ईपीएफओ करता है। यह सरकार के बनाए नियमों के हिसाब से काम करता है।
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रिटायरमेंट प्लानिंग में मददगार है ईपीएफ
एंप्लॉयी की बेसिक सैलरी और डीए का 12 फीसदी हर महीने ईपीएफ में जमा होता है। एंप्लॉयर भी उतना अमाउंट एंप्लॉयी के ईपीएफ अकाउंट में कंट्रिब्यूट करता है। ईपीएफओ का बोर्ड ऑफ ट्रस्टी हर वित्त वर्ष ईपीएफ में जमा पैसे पर इंटरेस्ट रेट का फैसला लेता है। वह अपना प्रस्ताव वित्त मंत्रालय को भेजता है। वित्तमंत्रालय की मंजूरी के बाद इंटरेस्ट रेट का पेमेंट सब्सक्राइबर्स के अकाउंट में कर दिया जाता है। ईपीएफ में एंप्लॉयी का कंट्रिब्यूशन टैक्स के दायरे में नहीं आता है। एंप्लॉयी के रिटायर करने पर ईपीएफ अकाउंट में जमा पैसा उसे मिल जाता है। साथ ही उसे पेंशन भी मिलती है। FY24 के लिए ईपीएफ का इंटरेस्ट रेट 8.25 फीसदी है। इसका ऐलान हाल में सरकार ने किया है।
पीपीएफ में कोई कर सकता है निवेश
PPF का मतलब पब्लिक प्रोविडेंट फंड है। इस सेविंग्स स्कीम में कोई भी निवेश कर सकता है। इसका मतलब यह है कि इसमें निवेश करने के लिए व्यक्ति का सरकारी या प्राइवेट एंप्लॉयी होना जरूरी नहीं है। इसमें निवेश के दो बड़े फायदे हैं। पहला यह कि यह रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए अच्छा विकल्प है। दूसरा, इसमें निवेश करने पर टैक्स-छूट मिलती है। इससे व्यक्ति की टैक्स लायबिलिटी कम हो जाती है। हालांकि, इस स्कीम में लगातार 15 साल तक निवेश करना पड़ता है। उसके बाद पूरा पैसा इंटरेस्ट के साथ इनवेस्टर को मिल जाता है। पांच साल बाद इसमें कुछ पैसे निकालने की सुविधा है। लेकिन, इसके लिए कुछ शर्तें हैं। इसमें मैच्योरिटी अमाउंट पर टैक्स नहीं लगता है। अभी इसका इंटरेस्ट रेट 7.1 फीसदी है।
दोनों में एक साथ किया जा सकता है निवेश
अगर आप प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते हैं तो आपकी सैलरी का कुछ हिस्सा ईपीएफ में जा रहा होगा। यह लंबी अवधि के निवेश के लिहाज से फायदेमंद है। अगर आप रिटायरमेंट प्लानिंग करना चाहते हैं तो आप पीपीएफ अकाउंट ओपन कर सकते हैं। यह अकाउंट पोस्ट ऑफिस और बैंकों में ओपन किया जा सकता है। पीपीएफ अकाउंट 500 रुपये से ओपन हो सकता है। इसमें एक वित्त वर्ष में मैक्सिमम 1.5 लाख रुपये डिपॉजिट कर टैक्स डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है। इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 80सी के तहत करीब एक दर्जन इनवेस्टमेंट इंस्ट्रूमेंट्स आते हैं। उनमें पीपीएफ भी शामिल है। इस तरह प्राइवेट कंपनी में काम करने वाला कोई व्यक्ति एक साथ ईपीएफ और पीपीएफ दोनों में निवेश कर सकता है।