हम डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन के युग में जी रहे हैं, जिसमें कस्टमर्स बिजनेसेज से सिर्फ अपनी जरूरतें पूरी करने की उम्मीद नहीं करते बल्कि वे इससे ज्यादा चाहते हैं।
हम डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन के युग में जी रहे हैं, जिसमें कस्टमर्स बिजनेसेज से सिर्फ अपनी जरूरतें पूरी करने की उम्मीद नहीं करते बल्कि वे इससे ज्यादा चाहते हैं।
अब सभी तरह के कस्टमर्स के लिए सिर्फ एक तरह का एप्रोच या व्यापक मार्केटिंग स्ट्रेटेजी पर्याप्त नहीं है। कस्टमर्स तक कई तरह की जानकारियां पहुंच रही हैं और प्रोडक्ट्स और ऑफर्स के बारे में उन्हें कम्युनिकेशंस के कई स्रोतों से पता चल रहा है। यह शोरगुल उनके दिमाग पर बुरा असर डाल सकता है। इस शोरगुल के बीच सही जानकारी की पहचान के लिए एक प्रभावी सिस्टम जरूरी है। हायर-पर्सनलाइजेशन इसी प्रॉब्लम को दूर करता है। यह कंपनियों के लिए पर्सनलाइज्ड एक्सपीरियंस प्रदान करने का आधुनिक तरीका है।
आइए यह समझने की कोशिश करते हैं कि किस तरह प्रोडक्ट्स और ब्रांड्स हाइपर पर्सनलाइजेशन क्रिएट करने के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहे हैं और फाइनेंशियल सेक्टर के लिए इसका क्या मतलब है।
टेक्नोलॉजी हाइपर-पर्सनलाइजेशन में किस तरह मदद कर रही है?
हाइपर-पर्सनलाइजेशन रियल-टाइम डेटा कैप्चर करता है। फिर वह कस्मटमर डेटा को देखने के बाद प्रॉब्लम को समझने की कोशिश करता है और कस्टमाइज्ड सॉल्यूशंस प्रदान करता है। रियल टाइम डेटा, प्रिडिक्टिव एनालिटिक्स, एआई और ऑटोमेशन के इस्तेमाल से पर्सनलाइज्ड या टारगेटेड एक्सपीरियंस तैयार कर ऐसा किया जा सकता है।
फाइनेंशियल सेक्टर के लिए हाइपर-पर्सनलाइजेशन का क्या मतलब है?
फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस के लिए पूरे वैल्यू चेन में कस्टमर केंद्रित थॉरोपुट को बढ़ावा देने के लिए पर्सनलाइजेशन एक अहम जरिया है। टेक्नोलॉजी आधारित कंपनियों से मिल रही कड़ी प्रतियोगिता को देखते हुए ट्रेडिशनल फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस ऐसी स्टैटेजी की तेजी से तलाश कर रहे हैं, जो मौजूदा कस्टमर्स को उनके साथ जोड़े रख सके और नए कस्टमर्स बना सके।
चूंकि आज कस्टमर्स ऐसा पर्सनलाइज्ड प्रोडक्ट्स और सर्विसेज चाहते हैं, जो उनके खास हितों और जरूरतों को पूरी कर सके, जिससे फाइनेंशियल ऑर्गेनाइजेशन को ऐसा प्रोडक्ट तैयार करने की जरूरत है जो जल्द फैसले में मदद करने के साथ ही कस्टमर सर्विस प्लान और स्ट्रैटेजिक कम्युनिकेशन में कस्टमर की मदद करता हो।
फाइनेंशियल ऑर्गेनाइजेशंस कस्टमर्स की फाइनेंशियल जर्नी में बड़ी संख्या में डेटा के इस्तेमाल से संभावित टचप्वॉइंट्स को पहचानने की कोशिश कर रहे हैं। नेचुरल-लैंग्वेज प्रोसेसिंग और वॉयल एनालिटिक्स ट्रांसफॉर्मेटिव टेक्नोलॉजी के कुछ उदाहरण हैं। फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस फोन, इन-पर्सन और ऑनलाइन इंटरएक्शन के दौरान अपने क्लाइंट्स के प्रोफाइल और व्यूज को जानने के लिए इन तरीकों का इस्तेमाल करते आ रहे हैं।
ब्रोकरेज इंडस्ट्री के लिए ऐसी कौन सी चीज हो सकती है?
फाइनेंशियल ब्रोकरेज हाइपर-पर्सनलाइजेशन के जरिए कस्टमर सैटिसफैक्शन में सुधार कर सकते हैं। वे क्लाइंट्स के मोबाइल या वेब आधारित ट्रेडिंग एप्लिकेशंस के जरिए उन्हें फाइनेंशियल मार्केट में ट्रांजेक्शन में मदद कर सकते हैं। मार्केट डेटा में निम्नलिखित चीजें आती हैं:
-ट्रेडिंग इंफॉर्मेशन-स्टॉक प्राइसेज, वॉल्यूम, ओपन इंट्रेस्ट, ऑर्डर हिस्ट्रीज आदि
-कंपनी फंडामेंटल्स-अर्निंग्स, डिविडेंड्स, फाइनेंशियल हेल्थ रेशियो, मार्जिन, आदि
-न्यूज एंड इनसाइट्स-इकोनॉमिक एंड कंपनी न्यूज, एनालिस्ट रिसर्च रिपोर्ट्स, आदि
अनुभवी इनवेस्टर के लिए भी रोजाना उपलब्ध होने वाली इंफॉर्मेशन जल्द अपरिहार्य बन सकती है। रिटेल इनवेस्टर्स लर्निंग कंटेंट, एक्शनएबल इनसाइट्स की तलाश करेंगे, क्योंकि कैपिटल को मैनेज करना उनका फुल-टाइम जॉब नहीं है। इसके अलावा इनवेस्टर्स हजारों फंड्स और स्टॉक्स के बारे में जानकारियां नहीं चाहते। इस इंफॉर्मेशन के आधार पर कस्टमर बेस को अलग-अलग सेगमेंट में बांटा जा सकता है।
यूजर्स को जब ऐसे सेगमेंट में एक बार बांट दिया जाता है तो एक्सपीरियंस उनके लिए पूरी तरह से कस्टमाइज हो जाता है। एक नए इनवेस्टर के लिए ऐप कई तरह का गाइडेंस और एजुकेशनल मैटेरियल देता है। यूजर इंटरफेस को बहुत ही सिंपल बना दिया गया है कि ताकि स्टॉक्स की डिटेल आसानी से मिल जाए। ऐसा बगैर ज्यादा तकनीकी शब्दों के इस्तेमाल के किया गया है। एप लो-रिस्क, लो-रिवॉर्ड स्टॉक्स के बारे में बताता है कि ताकि यूजर्स का भरोसा बढ़ सके और वह अपनी जर्नी जारी रख सके।
एक इंटरमीडियट इनवेस्टर के लिए ट्रेडिंग ऐप क्यूरेटेड इनसाइट्स प्रदान करेगा। कस्टमर्स की करेंट होल्डिंग, पर्सनल इन-एप हिस्ट्री के आधार पर संभावित इनवेस्टमेंट के बारे में बताया जा सकता है। यहां मकसद सलाह देना नहीं है बल्कि कस्टमर को संभावित निवेश के लिए सटीक इनसाइट प्रदान करना है।
ज्यादा एडवान्स्ड कस्टमर के लिए हायपर-पर्सनलाइजेशन को एडवान्स्ड टूल में बदला जा सकता है। ये उन्हें सही समय पर ट्रेडिंग डिसिजंस लेने में मदद कर सकते हैं। यहां मकसद एडवान्स्ड इनवेस्टर्स को जितनी जल्द हो सके ट्रेडिंग में मदद करना है।
जब टेक्नोलॉजी की मदद से कंज्यमर डेटा बढ़ रहा है तो कस्टमर्स की उम्मीदें भी बढ़ रही हैं। इससे बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है, जिससे हायपर-पर्सनलाइजेशन एक्सपीरियंस सक्सेसफुल स्टैटेजी के लिए काफी अहम हो सकता है। हायपर-पर्सनलाइज्ड एक्सपीरियंस तैयार करने के लिए डेटा, एनालिटिक्स और और एआई बहुत अहम टेक्नोलॉजीज हैं। ये ब्रोकरेज फर्मों को अपने कस्टमर्स के साथ मजबूत संबंध बनाने में मदद कर सकते हैं।
Thippesha Dyamappa, CTO, Upstox
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