Get App

हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को पोर्ट कराना चाहते हैं, जानिए इसके फायदे, नियम और शर्तें

बीमा नियामक IRDAI ने 2011 में हेल्थ पॉलिसी पोर्ट कराने के नियम और शर्तें पेश की थी। अगर कोई ग्राहक अपनी हेल्थ पॉलिसी से नाखुश है तो वह दूसरी कंपनी में अपनी पॉलिसी पोर्ट करा सकता है। पोर्ट कराने पर उसकी पॉलिसी को नई नहीं माना जाएगा और उसे वह सभी सुविधाएं मिलती रहेगी जो पुरानी कंपनी में मिल सकती थीं

MoneyControl Newsअपडेटेड Feb 24, 2024 पर 1:29 PM
हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को पोर्ट कराना चाहते हैं, जानिए इसके फायदे, नियम और शर्तें
पॉलिसी पोर्ट कराने का फायदा यह है कि वेटिंग पीरियड जैसी शर्तें नए सिरे से लागू नहीं होती हैं।

अगर आप अपनी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी (Health Insurance Policy) से खुश नहीं हैं तो उसे पोर्ट करा सकते हैं। इसका मतलब है कि आप इसे दूसरी इंश्योरेंस कंपनी में ट्रांसफर करा सकते हैं। कई पॉलिसीहोल्डर अपनी हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी की सेवाएं से संतुष्ट नहीं होते हैं या कंपनी के प्रीमियम ज्यादा बढ़ा देने पर दिक्कत महसूस कर सकते हैं। कुछ लोग अपनी कंपनी के क्लेम सेटलमेंट प्रोसेस से नाखुश होते हैं। ऐसे में पॉलिसी पोर्ट कराना एक ऑप्शन हो सकता है।

2011 में पोर्ट कराने के नियम एवं शर्तें आई थीं

बीमा नियामक इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDAI) ने जुलाई 2011 में हेल्थ पॉलिसी को पोर्ट कराने के नियम पेश किए थे। इसके तहत पॉलिसीहोल्डर एक इंश्योरेंस कंपनी से दूसरी इंश्योरेंस कंपनी में स्विच कर सकता है। इससे पहली पॉलिसी पर मिल रहे फायदे उसे दूसरी कंपनी में भी मिलते रहेंगे। इनमें सबसे बड़ा फायदा प्री-एग्जिस्टिंग डिजीज का है। कई कंपनियां प्री-एग्जिस्टिंग डिजीज को वेटिंग पीरियड के बाद ही कवर करती हैं।

प्री-एग्जिस्टिंग बीमारियों के लिए नियम

सब समाचार

+ और भी पढ़ें