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MC Explains : बैंकों-एनबीएफसी के कंज्यूमर लोन पर रिस्क वेट बढ़ने का क्या मतलब है, ग्राहकों पर इसका क्या असर पड़ेगा?

RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने 6 अक्टूबर को अपने बयान में कहा था कि बैंकों और एनबीएफसी के कुछ खास तरह के कंज्यूमर लोन में ज्यादा ग्रोथ दिखी है। उन्होंने इसके मद्देनजर दोनों को आंतरिक सर्विलांस मैकेनिज्म को बढ़ाने को कहा था। इसका मकसद किसी तरह के सिस्टमैटिक रिस्क से बचना था

MoneyControl Newsअपडेटेड Nov 18, 2023 पर 8:20 AM
MC Explains : बैंकों-एनबीएफसी के कंज्यूमर लोन पर रिस्क वेट बढ़ने का क्या मतलब है, ग्राहकों पर इसका क्या असर पड़ेगा?
RBI के इस कदम का असर 17 नवंबर को बैंकों और एनबीएफसी के स्टॉक्स पर देखने को मिला। इनमें तेज गिरावट आई।

RBI ने बैंकों और NBFC के कंज्यूमर लोन पर रिस्क वेट 25 बेसिस प्वाइंट्स बढ़ा दिया है। अब तक इस पर रिस्क वेट 100 फीसदी था, जिसे बढ़ाकर 125 फीसदी कर दिया गया है। इससे पहले RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने 6 अक्टूबर को अपने बयान में कहा था कि बैंकों और एनबीएफसी के कुछ खास तरह के कंज्यूमर लोन में ज्यादा ग्रोथ दिखी है। उन्होंने इसके मद्देनजर दोनों को आंतरिक सर्विलांस मैकेनिज्म को बढ़ाने को कहा था। इसका मकसद किसी तरह के सिस्टमैटिक रिस्क से बचना था। RBI के इस कदम का असर 17 नवंबर को बैंकों और एनबीएफसी के स्टॉक्स पर देखने को मिला। इनमें तेज गिरावट आई। सवाल है कि केंद्रीय बैंक के इस कदम का बैंकों और एनबीएफसी पर किस तरह पड़ेगा? बैंकों और एनबीएफसी के ग्राहकों पर इसका क्या असर पड़ेगा?

रिस्क वेट बढ़ाने का क्या मतलब है?

अब तक बैंकों और एनबीएफसी के लिए कंज्यूमर लोन पर रिस्क वेट 100 फीसदी था। इसे बढ़ाकर 125 फीसदी करने का मतलब है कि अब बैंकों और एनबीएफसी को ग्राहकों को कंज्यूमर लोन देने पर पहले से ज्यादा कैपिटल अलग रखना होगा। ग्राहक टीवी, एसी, फ्रिज जैसे कंज्यूमर गुड्स खरीदने के लिए लोन लेते हैं। इसे कंज्यूमर लोन कहा जाता है। पिछले कुछ सालों में लोन के इस सेगमेंट की ग्रोथ ज्यादा रही है।

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