वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बड़े फैसले लेने से डरती नहीं हैं। अब तक पेश अपने तीन बजट में वे कई रिफॉर्म्स का ऐलान कर चुकी हैं।
वितमंत्री निर्मला सीतारमण अगले हफ्ते बजट 2022 पेश करने जा रही है। इस बीच बजट के अलग-अलग पहलुओं को लेकर खूब चर्चा हो रही है। इन्हीं में से एक है बजट डॉक्युमेंट। इस पर सबकी निगाहें होती हैं कि वित्तमंत्री कैसे बजट भाषण के लिए डॉक्युमेंट्स संसद लेकर जाती हैं।
यूनियन बजट पेश होने की तारीख तय होती है। इसे हर साल 1 फरवरी को संसद में वित्त मंत्री पेश करता है। बजट से आने से पहले अर्थव्यवस्था से जुड़े हर सेक्टर के प्रतिनिधि वित्त मंत्री को अपनी डिमांड्स के बारे में बताते हैं। इसी के आधार पर वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण हर मिनिस्ट्री या स्कीम के लिए पैसे का आवंटन करती हैं।
बजट डॉक्युमेंट्स को 'लाल बॉक्स' में संसद ले जाने की परंपरा थी। इंग्लैंड के वित्त मंत्री ऐसा करते थे। इस परंपरा की शुरुआत विलियम इवार्ट ग्लैडस्टोन ने 1860 में की थी। दरअसल, उनका बजट भाषण इतना लंब होता था कि उन्हें बजट डॉक्युमेंट्स ले जाने के लिए एक ब्रीफकेस की जरूरत पड़ती थी।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने अपना पहला बजट 2019 में पेश किया था। उन्होंने तब ब्रीफकेस में बजट पेपर संसद ले जाने की परंपरा तोड़ दी थी। उन्होंने ब्रीफकेस के बजाय बजट पेपर संसद ले जाने के लिए पारंपरिक बही-खाता का इस्तेमाल किया था। उन्होंने ब्रिटिश शासन की परंपरा जारी नहीं रखने का फैसला किया था।
वित्तमंत्री ने कहा था कि बजट 2019 के लिए मैंने सूटकेस का इस्तेमाल नहीं किया। इसकी वजह यह है कि हम सूटकेस लेकर चलने वाली सरकार के हिस्सा नहीं हैं। उन्होंने कहा था कि सूटकेस का मतलब दूसरा भी होता है जैसे-सूटकेस देना, सूटकेस लेना। इसलिए मोदीजी की सरकार सूटकेस सरकार नहीं है।