वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण खुद बजट बनाने की प्रक्रिया शुरू होने से पहले इकोनॉमी से जुड़े सभी क्षेत्रों जैसे-स्टॉक मार्केट, इंडस्ट्री, इकोनॉमिस्ट, महिलाओं, सैलरीड क्लास, व्यापारी, स्टूडेंट्स, किसान आदि की राय लेती हैं।
टीवी सोमनाथन 1987 बैच के आईएएस अफसर हैं। उन्हें आर्थिक मामलों का व्यापक अनुभव है। वर्ल्ड बैंक में काम कर चुके सोमनाथन ने 2015 में पीएमओ में भी बतौर ज्वाइंट सेक्रेटरी सेवाएं दी हैं। वित्त सचिव के रूप में उन पर इस बार ग्रोथ के साथ इकोनॉमी में डिमांड बढ़ाने वाला बजट पेश करने की चुनौती है। कोरोना की एक के बाद दूसरी लहर ने इकोनॉमी को बड़ी चोट पहुंचाई है। माना जा रहा है कि सोमनाथन मुश्किल वक्त में संतुलित बजट बनाने में कामयाब रहेंगे।
अजय सेठ- सेक्रेटरी, डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स
अजय सेठ को पिछले साल अप्रैल में इकोनॉमिक अफेयर्स सेक्रेटरी नियुक्त किया गया था। तब कोरोना की दूसरी लहर चरम पर थी। 1987 बैच के कर्नाटक कैडर के आईएएस अधिकारी सेठ को कर्नाटक में बजट और कमर्शियल टैक्सेज के मामले में खासा अनुभव है। माना जा रहा है कि इकोनॉमी में टैक्स कलेक्शन बढ़ाने में उनका पुराना अनुभव काम आएगा। उनपर फिस्कल कंसॉलिडेशन के साथ-साथ ग्रोथ की रफ्तार बढ़ाने वाला बजट बनाने की भी चुनौती है।
देबाशीष पांडा-सेक्रेटरी, डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल सर्विसेज
पांडा भी 1987 बैच के आईएएस अफसर हैं। पब्लिक सेक्टर के फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस में अगली पीढ़ी के सुधार की बुनियाद तैयार करने में उनका बड़ा योगदान रहा है। बैड बैंक बनाने में भी उनका बड़ा हाथ बताया जाता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले साल बजट में बैड बैंक का ऐलान किया था। माना जा रहा है कि इस बजट में भी रिफॉर्म्स का खाका तैयार करने में उनका अहम योगदान होगा।
तरूण बजाज-सेक्रेटरी, डिपार्टमेंट ऑफ रेवेन्यू
बजाज 1988 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। उनका कैडर हरियाणा है। बतौर इकोनॉमिक अफेयर्स सेक्रेटरी फाइनेंस मिनिस्ट्री का हिस्सा बनने से पहले वह पीएमओ में सेवाएं दे रहे थे। बताया जाता है कि आत्मनिर्भर भारत पैकेज में उनकी बड़ी भूमिका थी। बाद में उनका ट्रांसफर रेवेन्यू डिपार्टमेंट में हो गया। बताया जाता है कि उनका जोर कोरोना से बेहाल लोगों को टैक्स मामलों में राहत देने पर रहा है।
तुहिन कांत पांडेय-सेक्रेटरी, डिपार्टमेंट ऑफ इन्वेस्टमेंट
उड़ीसा कैडर के 1987 बैच के इस आइएएस अफसर का एयर इंडिया के निजीकरण में बड़ी भूमिका रही है। इस साल विनिवेश की सरकार की लिस्ट काफी लंबी है। देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम की लिस्टिंग पर भी बाजार की नजरें लगी हैं। माना जा रहा है कि पांडेय विनिवेश के बारे में सरकार की पॉलिसी पेश करने में सीतारमण की मदद करेंगे।