रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए सोवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) स्कीम सीरीज-3 का ऐलान किया है। यह बॉन्ड 18 दिसंबर को खुलेगा और 22 दिसंबर को बंद होगा। गोल्ड की कीमतों में बढ़ोतरी के बाद इस सीरीज का ऐलान किया गया है। इस साल गोल्ड की कीमतों में 10 पर्सेंट से ज्यादा तेजी देखने को मिली है। स्कीम की कीमत के बारे में रिजर्व बैंक (RBI) जल्द ऐलान करेगा।
इंडियन बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (IBJA) के मुताबिक, इन बॉन्ड्स के वैल्यूएशन का आकलन 999 प्योरिटी वाले गोल्ड के क्लोजिंग प्राइस के औसत के आधार पर किया जाता है। इस औसत का आकलन सब्सक्रिप्शन पीरियड शुरू होने से 3 वर्किंग डे पहले के क्लोजिंग प्राइस के आधार पर होता है। रिजर्व बैंक द्वारा 15 दिसंबर को जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है, 'सब्सक्रिप्शन पीरियड से पहले वाले हफ्ते के तीन दिन यानी 13 दिसंबर, 14 दिसंबर और 15 दिसंबर, 2023 के आकलन के आधार पर 999 प्योरिटी वाले गोल्ड की औसत कीमत 6,199 रुपये प्रति ग्राम तय की गई है।'
सोवरेन गोल्ड बॉन्ड (Sovereign Gold Bonds) क्या हैं?
सोवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGBs) ऐसी सरकारी सिक्योरिटीज हैं, जो फिजिकल गोल्ड के विकल्प के तौर पर काम करती हैं। निवेशकों को इश्यू प्राइस का भुगतान कैश में करना होगा और मैच्योरिटी होने पर रिडेम्प्शन कैश में होगा। ये बॉन्ड रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए जाते हैं और निवेशकों को रिडेम्प्शन के वक्त मौजूद गोल्ड की कीमत के हिसाब से भुगतान मिलता है। इस बॉन्ड के तहत शुरू में निवेश की गई रकम की गारंटी होती है, लिहाजा सोवरेन गोल्ड बॉन्ड, फिजिकल गोल्ड के मुकाबले ज्यादा बेहतर विकल्प होता है।
सोवरेन गोल्ड बॉन्ड में कौन निवेश कर सकता है?
फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (FEMA), 1999 के तहत भारत में रहने वाला कोई शख्स, हिंदू अविभाजित परिवार (HUF), ट्रस्ट, यूनिवर्सिटी, चैरिटेबल संस्थान सोवरेन गोल्ड बॉन्ड में निवेश कर सकते हैं। अगर किसी निवेशक के रेजिडेंशियल स्टेटस (रेजिडेंट से नॉन-रेजिडेंट) में बदलाव होता है, तो वह सोवरेन गोल्ड बॉन्ड को मैच्योरिटी या रिडेम्प्शन तक रख सकते हैं।
सोवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGBs) में निवेश की शुरुआती रकम पर 2.50 पर्सेंट सालाना के हिसाब से फिक्स्ड इंटरेस्ट मिलता है। ब्याज की रकम हर 6 महीने पर निवेशक के खाते में जमा होती है और फाइनल इंटरेस्ट पेमेंट का भुगतान मूलधन के साथ मैच्योरिटी पर होता है। सोवरेन गोल्ड बॉन्ड में कम से कम 1 ग्राम निवेश किया जा सकता है। इंडिविजुअल इनवेस्टर्स हर वित्त वर्ष में ज्यादा से ज्यादा 4 किलोग्राम निवेश कर सकते हैं। हालांकि, ट्रस्ट और अन्य इकाइयों की अधिकतम सीमा 20 किलोग्राम प्रति वित्त वर्ष है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?
SBI सिक्योरिटीज के चीफ बिजनेस ऑफिसर सुरेश शुक्ला ने बताया, 'सोवरेन गोल्ड बॉन्ड्स निवेश का जबरदस्त मौका है। गोल्ड की खपत भारत में काफी ज्यादा है, लिहाजा ये बॉन्ड निवेशकों को अपना पोर्टफोलियो डायवर्सिफाई करने का बेहतर मौका हैं। साथ ही, निवेशकों को फिजिकल गोल्ड इकट्ठा किए बिना भी गोल्ड में बढ़ोतरी का फायदा मिल सकेगा। यह बॉन्ड लॉन्ग टर्म निवेश के नजरिये से बेहतर विकल्प है।'