मार्केट वैल्यू के हिसाब से देश के दूसरे सबसे बड़े निजी बैंक आईसीआईसीआई बैंक के ग्लोबल मार्केट सेल्स, ट्रेंडिंग एंड रिसर्च ग्रुप हेड बी. प्रसन्ना (B.Prasanna) ने मनीकंट्रोल के साथ हुई बातचीत में कहा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक इस वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में नकद आरक्षित अनुपात (cash reserve ratio) में 0.50 अंक की कटौती कर सकता है। इसके साथ ही आरबीआई बैंकिंग सिस्टम में तरलता को मौजूदा स्तरों पर बनाए रखने के लिए दिसंबर तिमाही में बॉन्ड खरीदना भी शुरू कर सकता है।
सिस्टम में सही स्तर पर तरलता बनाए रखने को लिए आरबीआई खरीदेगा बॉन्ड
भारत के टॉप बैंकरों में शामिल बी. प्रसन्ना ने इस बातचीत में आगे कहा कि बैंकिंग तरलता को फिर से सही स्तर पर लाने के लिए भारत का केंद्रीय बैंक 1.5 ट्रिलियन रुपये (18 अरब डॉलर) के सरकारी बॉन्ड खरीद सकता है। साल के अंत में होने वाले राज्य चुनावों को देखते हुए राज्य और केंद्र की तरफ खर्च बढ़ने के कारण सिस्टम से पैसा निकल सकता है। ऐसे में बैंकिंग सिस्टम में तरलता कम हो सकती है। इस बात को ध्यान में रखते हुए सिस्टम में सही स्तर पर तरलता बनाए रखने को लिए आरबीआई बॉन्ड खरीद सकता है।
चुनावी मौसम में बढ़ेगी नकदी की मांग
साल के अंत में राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे कई प्रमुख राज्यों में चुनाव होने वाले हैं। ये समय (अक्टूबर) वैसे भी देख का सबसे व्यस्त क्रेडिट सीजन होता है। इस समय अर्थव्यवस्था में लिक्विड की मांग बढ़ेगी। प्रसन्ना ने आगे कहा कि अगले साल कई राज्यों और राष्ट्रीय चुनावों के कारण करेंसी का सर्किलेशन बहुत ज्यादा रेहगा।। लोग अपने खाते में आने वाली राशि को निकालते भी नजर आएंगे। ऐसे में सिस्टम में पर्याप्त लिक्विडिटी बनाए रखने की जरूरत होगी।
ब्लूमबर्ग इकोनॉमिक्स के आंकड़ों के मुताबिक बैंकिंग प्रणाली में अतिरिक्त तरलता (Excess liquidity)इस साल अप्रैल में लगभग 3 ट्रिलियन रुपये के हाई से घट कर लगभग 740 अरब रुपये तक आ गई है। इस कमी को भरने के लिए आरबीआई ने 19 मई को रेपो नीलामी (repo auction) के जरिए बैंकिंग सिस्टम में करीब 468 अरब रुपये डाले हैं। ये मार्च के बाद से इस तरह का पहला इंजेक्शन (सिस्टम में लिक्विटी डालने की प्रक्रिया) है।
2000 रुपये के नोटों को वापस लेने से भी बढ़ेगी लिक्विडिटी
दूसरी तरफ कोटक महिंद्रा बैंक जैसे कुछ बैंकों का कहना है कि आरबीआई ने इस महीने 2000 रुपये के नोटों को संचलन से वापस लेने का निर्णय लिया है। इससे सिस्टम में तरलता में आई कमी की भरपाई होगी। जिसके चलते दूसरी छमाही में आरबीआई की तरफ से बांड खरीद की संभावना कम होगी।
अनुमान के मुताबिक 2000 रुपये के नोटों को संचलन से वापस लेने से लगभग एक ट्रिलियन रुपये की बैंकिंग तरलता बढ़ने की उम्मीद है। इसके अलावा सरकार को आरबीआई की तरफ से इस बार उम्मीद से ज्यादा डिविडेंड भुगतान किया गया है। इससे भी सिस्टम में नकदी की बढ़ोतरी (लिक्विडिटी में बढ़त) की संभावना है।
प्रसन्ना ने इस बातचीत में आगे कहा कि सिस्टम में नकदी में हाल में हुई बढ़त से फंडिंग दरों में गिरावट आई है। ऐसे में 5 साल और उससे कम समय में परिपक्व होने वाले नोटों (बॉन्ड) में तेजी की गुंजाइश है। उन्होंने कहा कि 5 साल की यील्ड गिरकर 6.8 फीसदी के स्तर पर आ सकती है, जबकि एक साल के ट्रेजरी बिल में 6.75 फीसजी तक की गिरावट आ सकती है। उन्होंने कहा कि 10 साल के बॉन्ड में अब तेजी की ज्यादा गुंजाइश नहीं है क्योंकि ब्याज दरें चरम पर पहुंच गई लगती हैं, अब इनमें और बढ़त की उम्मीद नहीं है।