भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आज 2 जनवरी को बैंकों द्वारा डिविडेंड की घोषणा पर गाइडलाइन से जुड़ा एक ड्राफ्ट सर्कुलर जारी किया है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 6 फीसदी से कम NPA अनुपात वाले बैंकों को डिविडेंड घोषित करने की अनुमति देने का प्रस्ताव रखा है। मौजूदा नियमों के मुताबिक, बैंकों को डिविडेंड की घोषणा की पात्रता हासिल करने के लिए उनका नेट एनपीए रेश्यो 7 फीसदी तक होना चाहिए। इन मानकों को वर्ष 2005 में आखिरी बार संशोधित किया गया था।
अब रिजर्व बैंक ने डिविडेंड घोषणा पर अपने गाइडलाइन के मसौदे में इस अनुपात को बदलने की बात कही है। आरबीआई ने कहा, ‘‘जिस वित्त वर्ष के लिए लाभांश देने का प्रस्ताव है, उसके लिए बैंक का नेट एनपीए रेश्यो 6 फीसदी से कम होगा।’’
RBI ने कहा कि वित्तीय स्थिरता के लिए लाए गए Basel-3 स्टैंडर्ड पर अमल, प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन (PCA) फ्रेमवर्क में बदलाव और खास मकसद के लिए अलग बैंकों की शुरुआत को ध्यान में रखते हुए डिविडेंड घोषणा संबंधी गाइडलाइन की समीक्षा की गई है। केंद्रीय बैंक ने नए गाइडलाइन को वित्त वर्ष 2024-25 से लागू करने का प्रस्ताव रखा है। इस प्रस्ताव पर लोगों से 31 जनवरी तक सुझाव मांगे गए हैं।
इसमें डिविडेंड भुगतान के प्रस्तावों पर विचार करते समय बैंकों के बोर्ड को गाइडलाइन का पालन करने को कहा गया है। डिविडेंड का पात्र बनने के लिए एक कमर्शियल बैंक के पास कम से कम 11.5 फीसदी का पूंजी पर्याप्तता अनुपात होना चाहिए। लघु वित्त बैंक और भुगतान बैंकों के मामले में यह अनुपात 15 फीसदी और स्थानीय क्षेत्रीय बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के लिए नौ प्रतिशत तय किया गया है। इस प्रस्ताव को मौजूदा नियमों में रियायत के रूप में देखा जा सकता है।
अपनी राय दे सकते हैं बैंक और मार्केट पार्टिसिपेंट्स
RBI ने कहा कि ड्राफ्ट सर्कुलर पर बैंकों, मार्केट पार्टिसिपेंट्स और अन्य स्टेकहोल्डर्स से 31 जनवरी 2024 तक टिप्पणियां आमंत्रित की जाती हैं। RBI ने कहा कि इन गाइडलाइन के जारी होने के बाद बैंकों को नियंत्रित करने वाले रेगुलेटरी फ्रेमवर्क में अहम बदलाव हुए हैं।
RBI ने कहा, "इनमें से कुछ डेवलपमेंट्स का डिविडेंड की घोषणा और मुनाफे के रेमिटेंस पर गाइडलाइन पर भी प्रभाव पड़ता है। इसे देखते हुए रिजर्व बैंक ने डिविडेंड की घोषणा और मुनाफे के रेमिटेंस पर मौजूदा नियमों की बड़े पैमाने पर समीक्षा की है।"