देश के दिग्गज निवेशक मधुसूदन केला ने बजट के बाद मनीकंट्रोल के साथ हुई एक खास बातचीत में कहा है कि सरकारी बैंक दूसरी सरकारी कंपनियों की तुलना में कम पी/ई (प्राइस टू अर्निंग) पर कारोबार कर रहे हैं। इनमें आगे और तेजी आने की संभावना है। उनका कहना कि पिछले तीन साल में सरकारी बैंकों से दूसरी सरकारी कंपनियों की तुलना में काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। बाजार में ये आमधारणा है कि सरकारी बैंकों से शेयर बहुत महंगे हो गए हैं। लेकिन सच्चाई ये है कि कई सरकारी कंपनियां 30-40 पी/ई से ज्यादा पर कारोबार कर रही हैं जबकि अगर दो साल का नजरिया देखा जाए तो सरकारी बैंक अभी भी सिंगल डिजिट पी/ई पर कारोबार कर रहे हैं।
सरकारी बैंकों में अभी भी तेजी की गुंजाइश बाकी
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 1 फरवरी को आगामी वित्तीय वर्ष का बजट पेश करने के बाद बैंकिंग शेयरों में तेजी आई। इस उछाल को पीएसयू बैंक शेयरों का सपोर्ट हासिल था। कल के कारोबारी सत्र में बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब एंड सिंध बैंक, यूको बैंक और केनरा बैंक 7 फीसदी तक बढ़ गए। बजट वाले दिन निफ्टी पीएसयू बैंक इंडेक्स 3.11 फीसदी बढ़कर बंद हुआ।
इस बातचीत में मधुकेला ने आगे कहा कि गवर्नेंस, टेक्नोलॉजी और ऋण लागत से जुड़ी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों सभी चिंताएं कम हो गई हैं। अब सरकारी बैंक किसी भी दूसरे निजी बैंक जितने अच्छे हो गए हैं। ऐसे में सरकारी बैंकों में अभी भी तेजी की गुंजाइश बाकी है।
सरकारी तेल कंपनियों पर भी है मधु केला की नजर
सरकारी बैंकों के अलावा केला की नजर कुछ सरकारी तेल कंपनियों पर भी है। मधु केला को इनका वैल्यूएशन अच्छा लग रहा है। हालांकि, वह रेलवे शेयरों को लेकर उतने उत्साहित नहीं हैं। उन्होंने कहा, ''मौजूदा स्तरों पर, मैं रेलवे शेयरों में निवेश करने में सहज नहीं हूं।''
पर्यटन के क्षेत्र में हो सकते हैं कुछ छुपे हुए रत्न
उनका यह भी मानना है कि पर्यटन क्षेत्र में जबरदस्त संभावनाएं हैं, विशेष रूप से धार्मिक पर्यटन। चाहे वह अयोध्या, उज्जैन या वैष्णो देवी हो हर जगह भारी मात्रा में लोग जा रहे हैं। केला ने कहा, "पर्यटन के क्षेत्र में कुछ छुपे हुए रत्न हो सकते हैं।"
फार्मा शेयरों पर भी बुलिश
मधु केला मीडिय टर्म के नजरिए से फार्मा शेयरों पर भी बुलिश हैं। उन्होंने कहा “कोविड-19 महामारी के दौरान दुनिया ने हमारी क्षमता देखी है, हम केवल 12-18 महीने की अवधि में एक वैक्सीन बनाने में कामयाब रहे। फार्मा सेक्टर एक बड़ी टोकरी है, इसमें अलग-अलग कंपनियां हैं जिनमें पैसा बनेगा।”
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