शॉर्ट या लॉन्ग टर्म: जानिए निवेश के लिए क्या है बेहतर

अगर आप लॉन्ग टर्म के लिए म्यूचुअल फंड (MF) में निवेश करना चाहते हैं तो कई पहलुओं का ध्यान रखना जरूरी है। ऐसा नहीं करने पर निवेश से प्रॉफिट के बजाया घाटा हो सकता है

अपडेटेड Jul 11, 2023 पर 5:21 PM
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कम जोखिम लेना चाहते हैं तो जानिए शॉर्ट टर्म निवेश बेहतर है या लॉन्ग टर्म

शेयर बाजार में निवेश दो तरीके से किया जाता है। पहला आप लंबे समय और दूसरा शॉर्ट टर्म यानी कम समय के लिए निवेश कर सकते हैं। अगर आप शॉर्ट टर्म के लिए निवेश करते हैं तो सही समय देखकर आप फंड या शेयर से निकल सकते हैं। लेकिन इसमें जोखिम रहता है। क्योंकि शॉर्ट टर्म के निवेश में नुकसान की भरपाई करने का मौका नहीं मिलता है। लेकिन लॉन्ग टर्म के लिए निवेश करते हैं तो लॉस का रिस्क कम होता है और बेहतर रिटर्न मिलने का चांस बढ़ जाता है। लंबे समय के लिए निवेश करते हैं तो इन बातों का खयाल जरूर रखें।

निवेश से पहले इन बातों का रखें ध्यान

अगर आप लॉन्ग टर्म के लिए म्यूचुअल फंड (MF) में निवेश करना चाहते हैं तो कई पहलुओं का ध्यान रखना जरूरी है। ऐसा नहीं करने पर निवेश से प्रॉफिट के बजाया घाटा हो सकता है। लंबे समय के लिए निवेश करना करना चाहते हैं तो सबसे पहले मंहगाई दर को देखें। आप जिस रिटर्न का टारगेट बनाकर चल रहे हैं क्या उस वक्त की महंगाई के हिसाब वह रिटर्न काफी होगा। मान लेते हैं कि सालाना महंगाई दर 7% के हिसाब से है तो 10 साल बाद महंगाई दर को एडजस्ट करने के बाद कितना रिटर्न मिलेगा, यह जानना जरूरी है।


फंड के प्रदर्शन पर रखें नजर

लंबे समय के लिए एसेट एलोकेशन पर ध्यान देना भी जरूरी है। एसेट एलोकेशन करते हुए फंड के प्रदर्शन पर भी नजर रखें ताकि खराब प्रदर्शन हो तो सही वक्त पर निकल सकें। अगर लंबे समय के लिए निवेश करना चाहते हैं तो इक्विटी एक बेहतर विकल्प हो सकता है। लॉन्ग टर्म में जोखिम कम होने के साथ-साथ रिटर्न भी अच्छा मिलता है।

कब ले सकते हैं ज्यादा रिस्क?

इसके साथ-साथ अगर आप नौकरी पकड़ते ही लंबे समय के लिए निवेश करते हैं तो आपकी जोखिम सहने की क्षमता ज्यादा होगी। ऐसे में आप एग्रेसिव एसेट क्लास में निवेश कर सकते हैं। एग्रेसिव निवेश से रिटर्न अच्छा मिलता है लेकिन साथ में रिस्क ज्यादा होता है।

MF में निवेश के लिए पोर्टफोलियो डायवर्सिफाइड रखना चाहिए। निवेशक फ्लेक्सी, मल्टी, लार्ज और मिडकैप में निवेश कर सकते हैं। लेकिन बेहतर है कि पोर्टफोलियो में मिड और स्मॉलकैप फंड का अनुपात सही रखें। इसके साथ ही रिस्क से बचने के लिए सेक्टर और थीमैटिक फंड में निवेश से भी दूरी बनाकर रह सकते हैं। क्योंकि सेक्टर और थीमैटिक फंड में निवेश से जोखिम का डर ज्यादा रहता है। इक्विटी फंड में निवेश से करने पर निवेशक को कम जोखिम होता है। निवेशक इक्विटी हाइब्रिड और बैलेंस्ड एडवांटेज फंड में निवेश कर सकते हैं।

Lalit Kumar

Lalit Kumar

First Published: Jul 11, 2023 5:17 PM

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