सेबी म्युचुअल फंड्स पर एक समान शुल्क लागू करने की तैयारी में, जारी किया कंसल्टेशन पेपर

सेबी को आशंका है कि कई एमएफ ब्रोकर और डिस्ट्रीब्यूटर ज्यादा कमीशन वसूलने के चक्कर में निवेशकों पर वर्तमान स्कीमों से पैसे निकालकर नई स्कीमों में दांव लगाने के लिए दबाव बना रहे हैं। सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक सेबी ने इस मामले में एमएफ परामर्श समिति के साथ भी बातचीत की है

Edited By: Sudhanshu Dubeyअपडेटेड May 19, 2023 पर 10:47 AM
सेबी म्युचुअल फंड्स पर एक समान शुल्क लागू करने की तैयारी में, जारी किया कंसल्टेशन पेपर
जानकारों का कहना है कि सेबी शुल्क में एकरूपता लाकर निवेशकों के लिए एमएफ निवेश असान बनाना चाहता है। साथ ही निवेशकों को गलत सलाह से भी बचाना चाहता है

पूंजी बाजार की नियामक सेबी ने गुरुवार को यूनिटधारकों से ली जाने वाली लागत में पारदर्शिता लाने के लिए सभी म्यूचुअल फंड योजनाओं में एक समान कुल व्यय अनुपात (टीईआर) लागू करने का प्रस्ताव रखा है। सबसे पहले आइए जान लेते हैं क्या होता है टीईआर। म्यूचुअल फंड कंपनियों को किसी म्यूचुअल फंड योजना का प्रबंधन करने के लिए जितना खर्च करना पड़ता है उसे टोटल एक्सपेंस रेशियो यानी टीईआर कहा जाता है। इसमें बिक्री और मार्केटिंग खर्च, विज्ञापन खर्च, प्रशासनिक खर्च, निवेश प्रबंधन शुल्क सहित दूसरे अन्य खर्च शामिल होते हैं। सेबी ने अभी तक इसकी अधिकतम सीमा 2 से 2.5 फीसदी सीमित कर रखी है।

ये भी बताते चलें कि वर्तमान में सेबी ने एसेट मैनेजमेंट कंपनियों को टीईआर के अलावा यूनिटधारकों पर चार अतिरिक्त शुल्क लगाने की अनुमति दे रखी है। ये चार अतिरिक्त शुल्क हैं ब्रोकरेज और ट्रांजेक्शन लागत शुल्क, जीएसटी, एक्जिट लोड पर अतिरिक्त खर्च और 30 छोटे शहरों से एसेट जुटाने के लिए निवेशकों से 0.30 फीसदी ज्यादा टीईआर शुल्क। इन छोटे केंद्रों को बी30 को नाम से भी जाना जाता है।

टीईआर में सभी खर्च होने चाहिए शामिल

सेबी ने इस बारे में जारी अपने कंसल्टेशन पेपर में कहा है कि टीईआर उस अधिकतम व्यय अनुपात को दर्शाता है जिसका भुगतान किसी निवेशक को करना पड़ सकता है। इसलिए इसमें एक निवेशक से लिए जाने वाले सभी खर्चों को शामिल किया जाना चाहिए और निवेशक से निर्धारित टीईआर सीमा से ज्यादा कोई भी शुल्क नहीं लिया जाना चाहिए।

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