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म्यूचुअल फंड्स कंपनियों का 30% घट सकता है मुनाफा, SEBI के नए प्रस्ताव से मच सकती है हलचल: जेफरीज

म्यूचुअल फंड स्कीमों (Mutual Fund Schemes) के लिए फीस की अधिकतम सीमा तय किए जाने से उन्हें चलाने वाली कंपनियों यानी एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMC) के मुनाफे में 30% तक की गिरावट आ सकती है। बड़ी कंपनियों पर यह असर और भी अधिक होसकता है और उनके मुनाफे में करीब 50 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है

अपडेटेड Jun 12, 2023 पर 5:09 PM
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नए प्रस्ताव से बड़ी AMC के मुनाफे में करीब 50 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है

म्यूचुअल फंड स्कीमों (Mutual Fund Schemes) के लिए फीस की अधिकतम सीमा तय किए जाने से उन्हें चलाने वाली कंपनियों यानी एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMC) के मुनाफे में 30% तक की गिरावट आ सकती है। बड़ी कंपनियों पर यह असर और भी अधिक हो सकता है और उनके मुनाफे में करीब 50 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है। विदेशी ब्रोकरेज फर्म जेफरीज ने एक रिपोर्ट में ये अनुमान जताया है। जेफरीज ने कहा कि इसके अलाव बड़ी AMC पर कम फीस लगाए जाने से इस सेक्टर में विलय और अधिग्रहण से जुड़ी गतिविधियां भी कम हो सकती है। ब्रोकरेज ने कहा, "इक्विटी से जुड़े टोटल एक्सपेंश रेशियो (TER) में बदलाव से एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMC) का मुनाफा 30 फीसदी तक घट सकता है। "

ब्रोकरेज ने कहा, "सभी फंड्स के मुनाफे पर अलग-अलग पड़ेगा। (1) टॉप-5 फंड्स का मुनाफा 50 फीसदी घट सकता है। (2) इसके बाद की 5 बड़ी AMC का मुनाफा 17 फीसदी घट सकता है। (3) इसकी अगली 10 बड़ी AMC का मुनाफा 37 फीसदी बढ़ सकता है। (4) वहीं इसके बाद की 10 बड़ी AMC का मुनाफा 28 फीसदी घट सकता है। (5) बाकी (30 रैंक के नीचे) का मुनाफा 25 फीसदी बढ़ सकता है।"

जेफरीज की ओर से हाल ही में की गई कैलकुलेशन के मुताबिक, म्यूचुअल फंड्स की इक्विटी-लिंक्ड एसेट पर प्रस्तावित फीस सीमा के चलते बड़ी AMCs की इक्विटी फीस में 0.30% की कमी आ सकती है। इसके विपरीत 10 अरब डॉलर से कम एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) वाली छोटी AMCs का इक्विटी फीस 0.10% तक बढ़ सकता है।


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फीस में यह अंतर 0.60% से लेकर 1% तक का हो सकता है और इसके चलते छोटी AMCs को अपना मार्केट शेयर खोना पड़ सकता है, जबकि बड़ी म्यूचुअल फंड कंपनियां फायदे में रह सकती हैं।

बता दें कि मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने म्यूचुअल फंड धारकों से ली जाने वाली फीस में पारदर्शिता लाने के लिए सभी म्यूचुअल फंड स्कीमों में एक समान टोटल एक्सपेंश रेशियो (TER) लागू करने का प्रस्ताव रखा है। अभी तक एसेट मैनेजमेंट कंपनिया, TER के अलावा भी निवेशकों से कई तरह के फीस लेती रही हैं। इसमें ब्रोकरेज चार्ज, ट्रांजैक्शन लागत फीस, एग्जिट लोड और जीएसटी आदि शामिल है।

हालांकि अब SEBI ने अपने नए प्रस्ताव में कहा है कि टोटल एक्सपेंश रेशियो (TER) में ही एक निवेशक से लिए जाने वाले सभी खर्चों को शामिल किया जाना चाहिए और इसके अतिरिक्त निवेशक से कोई दूसरा चार्ज नहीं लेना चाहिए।

क्या होता है टोटल एक्सपेंश रेशियो (TER)

एसेट मैनेजमेंट कंपनियों को किसी म्यूचुअल फंड स्कीम को चलाने के लिए जितना खर्च करना पड़ता है उसे टोटल एक्सपेंस रेशियो (TER) कहते हैं। इसमें स्कीम को बेचने, उसकी मार्केटिंग पर आने वाला खर्च, एडमिनिस्ट्रेटिव खर्च, इनवेस्टमेंट मैनेजमेंट फीस सहित दूसरे अन्य खर्च शामिल होते हैं। SEBI ने अभी तक इसकी अधिकतम सीमा 2 से 2.5 फीसदी सीमित कर रखी है।

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