SEBI का म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री के लिए बड़ा फैसला, प्राइवेट इक्विटी फर्म भी अब बन सकेंगे MF स्कीमों के स्पॉन्सर

मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने बुधवार 29 मार्च को बताया कि उसने प्राइवेट इक्विटी (PE) फंड्स को म्यूचुअल फंड स्कीमों का स्पॉन्सर बनने की मंजूरी दे दी है। इसके अलावा इसने सेल्फ-स्पॉन्सर्स एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) को बनाने की भी मंजूरी दी है। ये फैसले बुधवार 29 मार्च को सेबी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की हुई बैठक में लिए गए

अपडेटेड Mar 29, 2023 पर 8:40 PM
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सेबी चीफ माधबी पुरी बुच ने कहा, "हम MF इंडस्ट्री में और अधिक इनोवेशन देखना चाहते हैं"

मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने बुधवार 29 मार्च को बताया कि उसने प्राइवेट इक्विटी (PE) फंड्स को म्यूचुअल फंड स्कीमों का स्पॉन्सर बनने की मंजूरी दे दी है। इसके अलावा इसने सेल्फ-स्पॉन्सर्स एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) को बनाने की भी मंजूरी दी है। ये फैसले बुधवार 29 मार्च को सेबी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की हुई बैठक में लिए गए। इस बैठक में मार्केट रेगुलेटर ने कई अहम फैसलों को मंजूरी दी है। बैठक के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच (Madhabi Puri Buch) ने कहा, "हम म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में और अधिक इनोवेशन देखना चाहते हैं।"

उन्होंने कहा, "अब सेल्फ-स्पॉन्सर्ड AMC को भी कारोबार की इजाजत होगी। एक बार जब इनके बच्चे मैच्योर हो जाएंगे, तो स्पॉन्सर इस बड़े हो चुके बच्चे के लिए किसी नए माता-पिता की तलाश किए बिना ही बाहर निकल सकते हैं।" बुच ने आगे कहा कि यह कदम म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री को अधिक आजाद बनाने के लिए काफी अहम है।

इससे पहले SEBI ने जनवरी 2023 में एक कंसल्टेंशन पेपर जारी किया था, जिसमें स्पॉन्सर की भूमिका की फिर से कल्पना की गई थी। सेबी ने इस पर सार्वजनिक टिप्पणियां मांगी थीं। आखिरकार इसने 40 लाख करोड़ रुपये के साइज वाले भारतीय म्यूचुअल इंडस्ट्री में नए तरह के स्पॉन्सरों को मंजूरी देना का फैसला किया है।


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SEBI अगले कुछ दिनों में एक विस्तृत दिशानिर्देश जारी करेगा, जिसमें ये नए ट्रस्टी के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाएगी। साथ ही इससे जुड़े सुरक्षा उपायों को भी बताया जाएगा।

उदाहरण के जनवरी 2023 में आए सेबी के कॉन्सेप्ट पेपर में कहा गया था कि PE के स्वामित्व वाले म्यूचुअल फंड हाउसों को उन कंपनियों में भी निवेश के लिए पहले से तय सख्त मापदंडों और सीमा का पालन करना होगा, जिनमें PE फर्म ने करीब 10% या उससे अधिक निवेश किया हुआ है। साथ ही उनके निवेश वाली कंपनियों के IPO आने पर म्यूचुअल फंड्स को इससे दूरी बनाकर रखनी चाहिए।

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