भारतीय म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का कुल एसेट्स अंडर मैनजमेंट (AMU) तकरीबन 46 लाख करोड़ रुपये है। यह आंकड़ा भारत के जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का 15 पर्सेंट है। सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) के होलटाइम मेंबर अमरजीत सिंह का कहना है कि विकसित देशों की तुलना में यह आंकड़ा बेहद अहम है।'
ग्लोबल फिनटेक फेस्टिवल (Global Fintech Fest 2023) में उन्होंने कहा, 'अमेरिका में म्यूचुअल फंड का कुल AMU वहां की जीडीपी का 80 पर्सेंट है, जबकि भारत में कुछ साल पहले यह आकड़ा 8-9 पर्सेंट है। अब यह 15 पर्सेंट पर पहुंच गया। अगर अमेरिका से तुलना की जाए, तो भारत में म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री की ग्रोथ के लिए जबरदस्त संभावनाएं हैं।'
उन्होंने कहा, 'इक्विटी में SIP (सिस्टमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान) इनफ्लो 15,000 करोड़ रुपये प्रति महीना है। इसमें निवेश से ऐसा लगता है कि यह पुरानी रेकरिंग डिपॉजिट का विकल्प है।' अमरजीत सिंह ने इस सेगमेंट में रेगुलेशन की जरूरत पर भी जोर दिया, क्योंकि फिनेटक के जरिये शेयर बाजार से जुड़े ज्यादा से ज्यादा प्रॉडक्ट्स में इनोवेशन देखने को मिल रहा है।
उनका कहना था, 'हमें नए प्रॉडक्ट्स से जुड़े जोखिमों पर बारीक नजर रखनी होगी। इनोवेशन से पैदा होने वाले जोखिम से निवेशकों को बचाना हमारी जिम्मेदारी है।' सिंह ने स्टार्टअप फाउंडर्स से कहा कि वे अपनी योग्यता की जांच कर 'इनोवेशन सैंडबॉक्स' के लिए अप्लाई करें।
T+1 सेटलमेंट साइकल के बारे में सिंह का कहना था कि इससे बाजार का सिस्टम बेहतर हुआ है और लिक्विटिडी की स्थिति में सुधार हुआ है। साथ ही, इसने सिस्टम में जोखिम को भी कम किया है। T+1 सेटलमेंट साइकल को जनवरी में लागू किया गया है। सिंह ने कहा, 'फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स से जुड़ी कुछ चिंताएं थीं। इसके तहत अलग-अलग टाइम जोन, करेंसी कन्वर्जन आदि के बारे में बताया गया था। हालांकि, हमने सभी समस्याओं को दूर कर दिया।'
भारतीय स्टॉक एक्सचेंजों को धीरे-धीरे T+1 सेटलमेंट साइकल की तरफ शिफ्ट हो गए। शुरू में 100 स्टॉक और बाद में 500 स्टॉक हर महीने नए साइकल में शिफ्ट हो गए। सिंह ने कहा, 'पूरी प्रक्रिया काफी आसानी से लागू की जाएगी। शंघाई स्टॉक एक्सचेंज (Shanghai Stock Exchange) के पास भी T+1 सेटलमेंट साइकल है।'