मोतीलाल ओसवाल एसेट मैनेजमेंट कंपनी (MOAMC) ने माइक्रोकैप 250 इंडेक्स फंड लॉन्च किया है। इस NFO में 29 जून तक इनवेस्ट किया जा सकता है। यह ओपन-एंडेड फंड निफ्टी माइक्रोकैप 250 इंडेक्स के टोटल रिटर्न को ट्रैक करेगा। यह फंड इनवेस्टर्स को माइक्रोकैप स्टॉक्स की संभावित ग्रोथ का फायदा उठाने का मौका देगा। निफ्टी 250 इंडेक्स काफी डायवर्सिफायड है। इसके जरिए इनवेस्टर्स को इंडस्ट्रियल्स, कंज्यूमर डिस्क्रेशनरी, कमोडिटीज और हेल्थकेयर सेक्टर की कंपनियों में निवेश का मौका मिलेगा।
स्कीम का ऑब्जेक्टिव क्या है?
निफ्टी माइक्रोकैप 250 इंडेक्स ने पिछले 3 साल में सालाना 58 फीसदी रिटर्न दिया है। माइक्रोकैप्स में शानदार रिटर्न देने की क्षमता होती है। लेकिन, इन शेयरों में उतार-चढ़ाव भी ज्यादा होता है। बाजार के प्रमुख सूचकांकों के मुकाबले इनका प्रदर्शन लंबे समय तक कमजोर बना रह सकता है। इस स्कीम का मकसद इनवेस्टर्स को निफ्टी माइक्रोकैप 250 इंडेक्स जैसा रिटर्न देना है। हालांकि, स्कीम के इनवेस्टमेंट ऑब्जेक्टिव के पूरा होने की कोई गारंटी नहीं है। रेगुलेर प्लान में इस फंड का इंडिकेटिव बेस टोटल एक्सपेंस रेशियो 1 फीसदी और डायरेक्ट प्लाम में 0.40 फीसदी होगा।
मिनिमम अप्लिकेशन अमाउंट कितना?
इस स्कीम में अप्लाई करने के लिए मिनिमम अप्लिकेशन अमाउंट 500 रुपये है। इसके बाद एक के गुणक में निवेश किया जा सकता है। इनवेस्टर्स फाइनेंशियल एडवाइजर्स के जरिए या www.motilaloswalmf.com पर लॉग-इन कर इस स्कीम में निवेश कर सकते हैं। लिस्टेड शेयरों के मार्केट कैपिटलाइजेशन में माइक्रोकैप कंपनियों की हिस्सेदारी करीब 3 फीसदी है।
माइक्रोकैप कंपनियों की खासियत
मोतीलाल एएमसी ने कहा है कि माइक्रोकैप कंपनियां खास मार्केट पर अपने फोकस और प्रमोटर्स के स्ट्रॉन्ग सपोर्ट के लिए जानी जाती हैं। इस तरह की कंपनियों को ज्यादा एनालिस्ट कवरेज हासिल नहीं होता है। 40 फीसदी से ज्याादा कंपनियों को किसी तरह का एनालिस्ट कवरेज नहीं मिलता है। सिर्फ 12 फीसदी शेयरों को 5 एनालिस्ट्स का कवर हासिल है। म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री के कुल एयूएम का 4 फीसदी से कम टॉप 500 कंपनियों के बाद की कंपनियों में लगा हुआ है। इसलिए ये कंपनियां निवेश के छुपे मौके की तरह हैं।
क्या आपको इनवेस्ट करना चाहिए?
कई स्टडीज से पता चला है कि छोटी कंपनियों का प्रदर्शन बड़ी कंपनियों के मुकाबले बेहतर रहता है। इसकी कई वजहें हैं। इसलिए इन कंपनियों में निवेश करना फायदेमंद हो सकता है। लेकिन, इन कंपनियों के बारे में ज्यादा जानकारी पब्लिक डोमेन में नहीं आती है। इसलिए उनके प्रदर्शन का ट्रैक रखना थोड़ा मुश्किल होता है। इसलिए जो इनवेस्टर्स थोड़ा रिस्क ले सकते हैं और जिन्हें अलग-अलग सेक्टर के डायनेमिक्स की समझ है, उन्हें ही ऐसी कंपनियों के शेयरों में निवेश करना चाहिए।