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अब म्युचुअल फंड सेक्टर पर भी बाजार की कमजोरी का दिखने लगा असर, मई में AUM 2% घटी

इक्विटी फंड में मार्क-टू-मार्केट घाटे के चलते भी म्यूचुअल फंडों का AUM नीचे आया है। मई में इक्विटी फंड का AUM 13.3 लाख करोड़ रुपए रहा है

MoneyControl Newsअपडेटेड Jun 20, 2022 पर 7:30 PM
अब म्युचुअल फंड सेक्टर पर भी बाजार की कमजोरी का दिखने लगा असर, मई में AUM 2% घटी
मई में म्यूचुअल फंडों का AUM महीने दर महीने आधार पर 2.1 फीसदी से घटकर 37.2 लाख करोड़ रुपए पर रहा है

बाजार में कमजोरी या मजबूती का आलम क्या है इसका एक पैमना म्यूचुअल फंड में आने वाला निवेश भी होता है। लेकिन अब म्युचुअल फंड सेक्टर पर भी बाजार की कमजोरी का असर दिखने लगा है। मई में इंडस्ट्री का असेट अंडर मैनेजमेंट (ASSET UNDER MANAGEMENT) 2 फीसदी घटा है। इस पर बात करते हुए सीएनबीसी-आवाज के नीरज बाजपेई ने बताया कि मई में म्यूचुअल फंडों का AUM महीने दर महीने आधार पर 2.1 फीसदी से घटकर 37.2 लाख करोड़ रुपए पर रहा है। डेट फंड में बिकवाली के चलते AUM घटा है। ब्याज दरें बढ़ने के साथ डेट फंड में बिकवाली का ट्रेंड जारी है।

नीरज बाजपेई ने आगे बताया कि इक्विटी फंड में मार्क-टू-मार्केट घाटे के चलते भी म्यूचुअल फंडों का AUM नीचे आया है। मई में इक्विटी फंड का AUM 13.3 लाख करोड़ रुपए रहा है। बता दें कि अप्रैल में इक्विटी फंड का AUM 13.6 लाख करोड़ रुपए रहा था। इस बीच SIP में निवेश लगातार बढ़ रहा है। मई में SIP निवेश अप्रैल की तुलना में 3.5 फीसदी बढ़कर 12,286 करोड़ रुपए पर रहा है। मई महीने में डायनामिक एसेट एलोकेशन/ बैलेंस्ड एडवांटेज का AUM 1.8 लाख करोड़ रुपए रहा है। वहीं, बैलेंस्ड एडवांटेज फंड कैटेगरी में निवेश महीनें दर महीनें आधार पर 46 फीसदी बढ़कर 2,250 करोड़ रुपए पर रहा है। (ये सारे आंकड़े ICICI डायरेक्ट के विवरण पर आधारित हैं)।

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इस बीच वैश्विक महंगाई और मंदी की आशंका के बीच केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने मई महीने के समीक्षा रिपोर्ट जारी की है। इसमें महंगाई पर चिंता और ग्रोथ में धीमापन की आशंका जताई गई है। इसके चलते वित्तीय घाटे को लेकर भी चिंता हो सकती है। वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक फिलहाई महंगाई नियंत्रण प्राथमिकता है लेकिन इसके चलते ग्रोथ में धीमापन और वित्तीय घाटा नियंत्रित करने में कठिनाई होगी। लेकिन इन सबके बावजूद भारत दूसरे इमर्जिंग मार्केट से बेहतर स्थिति में है। सरकार कैपेक्स के जरिए ग्रोथ को सहारा दे रही है। समय पर मॉनसून आने से खाद्य कीमतों में गिरावट आएगी।

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