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म्यूचुअल फंडों को क्यों रास आ रहा है नॉन-बैकिंग फाइनेंस कंपनियों में निवेश?

जून में म्यूचुअल फंडों ने नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों में जमकर निवेश किया, जबकि प्राइवेट बैंकिंग स्टॉक्स में मुनाफावसूली की। मार्केट के मौजूद माहौल से मिले संकेतों की मानें तो एक्सपर्ट्स को लग रहा है कि ब्याज दर साइकल का पीक अब अपने आखिरी पड़ाव पर है। ऐसे में NBFC के लिए लाइबिलिटी कॉस्ट कम होगी और उनका प्रॉफिट मार्जिन बढ़ेगा

MoneyControl Newsअपडेटेड Jul 17, 2023 पर 9:15 PM
म्यूचुअल फंडों को क्यों रास आ रहा है नॉन-बैकिंग फाइनेंस कंपनियों में निवेश?
नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां बैंक से लोन लेती हैं या नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर से पैसे जुटाती हैं।

नॉन-बैकिंग फाइनेंस कंपनियां (NBFC) अब म्यूचुअल फंडों (mutual funds) की पसंद बन गई हैं। जून में म्यूचुअल फंडों ने नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों में जमकर निवेश किया, जबकि प्राइवेट बैंकिंग स्टॉक्स में मुनाफावसूली की। मार्केट के मौजूद माहौल से मिले संकेतों की मानें तो एक्सपर्ट्स को लग रहा है कि ब्याज दर साइकल का पीक अब अपने आखिरी पड़ाव पर है।

विकसित देशों के केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज दर में कमी की शुरुआत होने पर भारत भी यह सिलसिला शुरू कर सकता है। ऐसे में NBFC के लिए लाइबिलिटी कॉस्ट कम होगी और उनका प्रॉफिट मार्जिन बढ़ेगा। म्यूचुअल फंडों ने जून में अलग-अलग NBFC सेगमेंट में अपनी होल्डिंग बढ़ाई, चाहे वह हाउसिंग फाइनेंस हो, कंज्यूमर फाइनेंस या माइक्रोफाइनेंस। व्हीकल एसएमई/कंज्यूमर सेगमेंट और गोल्ड फाइनेंस जैसी प्रॉडक्ट कैटेगरी में लोन की मांग मजबूत है।

निप्पॉन इंडिया म्यूचुअल फंड (Nippon India Mutual Fund) में इक्विटी इनवेस्टमेंट्स के फंड मैनेजर विनय शर्मा ने बताया, 'क्रेडिट ग्रोथ अब मजबूत हो चुकी है और यह ग्रोथ मीडियम टर्म में जारी रह सकती है। क्रेडिट साइकल बेहतर जान पड़ता है। अगली कुछ तिमाहियों में किसी भी बड़े नॉन-परफॉर्मिंग लोन की आशंका नहीं के बराबर है।' जून में एसेट मैनेजमेंट कंपनियों ने एचडीएफसी, श्रीराम फाइनेंस, महिंद्रा एंड महिंद्रा फाइनेंशियल सर्विसेज आदि में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई।

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