बाजार में आजकल इतना उतारचढ़ाव क्यों! सेबी के एक नियम ने बजा दी शेयर मार्केट की बैंड

सेबी ने FPI के लिए 31 अक्टूबर 2023 को एक नियम लागू किया था जिसे 29 जनवरी 2024 तक पूरा करना था। अगले कुछ दिनों में यह डेडलाइन खत्म हो जाएगी। क्या उसके बाद भी शेयर बाजार में गिरावट आने का खतरा है.. समझिए पूरी कहानी

अपडेटेड Jan 24, 2024 पर 9:40 PM
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शेयर बाजार जब 23 जनवरी को टूटा तो सबके मन में ये सवाल था कि आखिर बाजार गिर क्यों रहा है.. इसी का जवाब जानिए हमारे साथ

लाल रंग शुभ होता है लेकिन जब शेयर बाजार की बात हो तो रिटेल इनवेस्टर्स और बुल्स को यह रंग डराता है। आज 24 जनवरी को भले ही शेयर बाजार में रिकवरी लौट आई है लेकिन एक दिन पहले भारतीय शेयर बाजार में तबाही का आलम था। पिछले एक हफ्ते में जब सेंसेक्स और निफ्टी 4 फीसदी से ज्यादा टूटे तो सबसे मन में बस यही सवाल आया कि आखिर बाजार गिर क्यों रहा है। इसका सबसे पॉपुलर जवाब भी हर बार की तरह वही है कि FPI यानि विदेशी निवेशक बिकवाली कर रहे हैं। लेकिन क्या आपको ये पता चला कि FPI ने अचानक क्यों धड़ाधड़ शेयर बेच दिए।

इसकी वजह मार्केट रेगुलेटर सेबी का एक नया नियम है। जिसे FPI को 31 जनवरी तक मानना ही है। आज हम उसी नियम के बारे में बताएंगे ताकि रिटेल निवेशक भी बाजार की नब्ज पकड़ सकें ।

तो पहला सवाल ये है कि सेबी के किस नियम से विदेश निवेशकों की दिल की धड़कन बढ़ गई। आखिरी सेबी ने FPI से ऐसा क्या मांग लिया कि विदेशी निवेशकों ने इंडियन मार्केट से निकलने में भलाई समझी।


असल में सेबी चाहता है कि FPI अपने बारे में पहले से ज्यादा जानकारी दें ताकि कंपनियां मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग के नियमों का गलत फायदा ना उठा सकें। साथ ही सेबी ये भी रोकना चाहता है कि FPI के जरिए कोई भी विदेशी कंपनी चेन या फर्जी कंपनी के जरिए पैसा लगाकर किसी भारतीय कंपनी पर मालिकाना हक ना हासिल कर ले। FPI के नियम FDI जैसे सख्त नहीं है जिसकी वजह से कई बार ऐसा होता है कि विदेशी कंपनियां गुपचुप हिस्सेदारी बढ़ाकर भारतीय कंपनी पर कब्जा कर लेती हैं।

अब दूसरा सवाल ये है कि सेबी FPI से किस तरह की अतिरिक्त जानकारी हासिल करना चाहती है। मार्केट रेगुलेटर सेबी की डिमांड है कि FPI को ओनरशिप के हरेक होल्डर्स की जानकारी के साथ कंपनी की माली हालत और कंट्रोल राइट्स के बारे में भी बताना होगा।

अब तीसरी बात सबसे अहम ये है कि क्या हर FPI को ये जानकारियां देनी होंगी?

तो इसका जवाब है नहीं। यानि बाजार में आ रहे हर FPI के लिए यह सख्ती बराबर नहीं होगी। यह नियम सिर्फ उन्हीं FPI के लिए है जिनका 50 फीसदी फंड किसी एक इंडियन कॉरपोरेट ग्रुप में लगा होगा। या फिर भारतीय शेयर बाजार में उनका टोटल इनवेस्टमेंट 25,000 करोड़ रुपए से ज्यादा हो। यही वजह है कि भारतीय बाजार में बिकवाली हुई और रिटेल निवेशकों का पोर्टफोलियो लाल लाल हो गया।

अब जान लेते हैं कि आखिर किन FPI को सेबी के इस नियम से छूट मिली हुई है?

सॉवरेन वेल्थ फंड्स, कुछ चुनिंदा ग्लोबल एक्सचेंज पर लिस्टेड कंपनियों और डायवर्सिफाइड ग्लोबल होल्डिंग्स वाले रेगुलेटेड इनवेस्टमेंट को सेबी को अलग से ज्यादा जानकारी देने की जरूरत नहीं है। यानि जो फंड पहले से किसी ना किसी देश में रेगुलेटेड हैं उनपर सेबी का नया नियम लागू नहीं होगा।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि सेबी को किस तरह की गड़बड़ियों का डर था जिसकी वजह से यह कदम उठाया गया है। असल में मार्केट रेगुलेटर को यह लग रहा था कि कुछ कॉरपोरेट ग्रुप के प्रमोटर्स FPI के साथ मिलीभगत में काम कर रहे थे। सेबी को ऐसे कुछ सबूत मिले कि कुछ कंपनियों में प्रमोटर्स FPI के जरिए पैसा लगाकर कंपनी में अपनी हिस्सेदारी 75 फीसदी तक बनाकर रखा है।

सेबी ने क्यों बढ़ाई सख्ती

सेबी ने इस मामले में एकबार कहा था कि अगर ऐसा है तो लिस्टेड कंपनी में शेयरों का फ्री फ्लोट होना असल में फ्री फ्लोट है ही नहीं। जिसकी वजह से शेयरों में मैन्युपुलेशन का खतरा बढ़ जाता है।

सेबी पहली बार अतिरिक्त जानकारी देने का यह नियम 31 अक्टूबर 2023 में लेकर आया था। इस दायरे में आने वाले FPI को 90 दिनों के भीतर अपने पोर्टफोलियो को एडजस्ट करके सेबी की शर्त पूरी करनी थी। यानि इस हिसाब से 29 जनवरी 2024 तक FPI को शर्त पूरी करनी ही होगी।

अगर को FPI जेनुइन है और डेडलाइन तक AUM कम नहीं कर पाया तो 29 जनवरी के बाद उसे और 30 ट्रेडिंग डेज का वक्त दिया जाएगा। इस हिसाब से उनकी डेडलाइन 11 मार्च 2024 होगी। अगर इसके बाद भी वो पूरी जानकारी नहीं दे पाते हैं तो अगले 6 महीने में उन्हें भारतीय बाजार में अपनी होल्डिंग घटानी होगी। ऐसे में मुमकिन है कि भारतीय बाजार में बड़ी गिरावट आगे भी देखने को मिल सकती है।

Pratima Sharma

Pratima Sharma

First Published: Jan 24, 2024 4:07 PM

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