म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री के सबसे चर्चित चेहरे संदीप टंडन ने बाजार की वर्तमान स्थिति और आगे की संभावनाओं पर सीनबीसी-आवाज़ के मैनेजिंग एडिटर अनुज सिंघल के साथ विस्तार से बात की है। इस बातचीत में संदीप टंडन ने कहा कि बाजार में टाइमिंग बहुत जरूरी है। रिस्क-रिवॉर्ड में टाइमिंग की अहम भूमिका होती है। रिस्क घटाने में टाइमिंग काम आती है। टाइमिंग के भरोसे ट्रेडिंग नहीं होती। टाइमिंग ही ट्रेडिंग है, इस धारणा को बदलना होगा।
संदीप टंडन ने बताया कि उन्होंने HDFC बैंक, ICICI बैंक और कोटक बैंक को नहीं खरीदा है। किसी प्राइवेट लार्जकैप बैंक को इस फंड में नहीं डाला है। वहीं, BFSI फंड में RBL बैंक, SBI, PNB, BSE, CDSL और आनंदराठी में निवेश किया गया है। प्रूडेंट, CARE, ICRA और CRISIL में भी पैसा डाला है।
संदीप टंडन ने कहा कि ये रिटेल निवेशकों का जमाना है। 2003-2007 के बुल रन में FIIs ने जमकर पैसा बनाया। 2009 की रैली में HNI और फैमिली ऑफिस को मुनाफा हुआ। वहीं, 2020 से शुरू हुई रैली में रिटेल निवेशक पैसा बना रहे हैं। अब बाजार की गिरावट से रिटेल निवेशक घबराता नहीं है। देश में रिटेल निवेशकों का बड़ा बूम है।
ज्यादा रिस्क लेते हैं या कम? इस सवाल के जवाब में संदीप ने कहा कि भारतीय बाजार अब काफी मैच्योर हो गए हैं। लंबी अवधि में रिस्क मैनेजमेंट काफी आसान होता है। छोटी और मीडियम अवधि में रिस्क मैनेजमेंट से अल्फा बनता है। इंट्राडे में पैसा बनाना काफी मुश्किल है। लेकिन ट्रेडर की भी पूरी इज्जत करनी चाहिए। ट्रेडिंग करना भी जरूरी है। लॉन्ग की तरह छोटी अवधि में भी पैसा बनाना जरूरी हैं।
आप तेज churning क्यों करते हैं?
इसके जवाब में संदीप ने कहा कि तेज शेयर बदलने वालों का कन्विक्शन नहीं होता, ये सोच गलत है। ग्लोबल मैनेजमेंट की किताबों में churning जैसा कोई शब्द नहीं है। हम पूरा पोर्टफोलियो रिस्क के आधार पर निर्भर करते हैं। रिस्क मैनेजमेंट के तरीकों का सही इस्तेमाल करते हैं। रिस्क के हिसाब से churning काफी अच्छी होती है।
क्या आउटपरफॉर्मेंस जारी रहेगा?
इसके जवाब में संदीप ने कहा कि AUM बढ़ने से फायदा हुआ है। प्रदर्शन भी सुधरा है। शेयर में ऊंचे या नीचे के भाव में लिक्वडिटी ज्यादा होती है। ऊंचे भाव पर बेचने की कला भी आनी चाहिए। भारतीय शेयर बाजार का साइज बढ़ रहा है। AUM बढ़ने से कॉर्पोरेट्स में भी पहुंच बढ़ी है। AUM बढ़ने से IPO में भी प्राथमिकता मिलती है। इम्पैक्ट कॉस्ट घटाने के लिए डेरिवेटिव का इस्तेमाल करते हैं।
वैल्युएशन के फंडे पर बात करते हुए संदीप ने कहा कि वैल्युएशन में 90 फीसदी हिस्सा प्राइस पर निर्भर होता है। जबकि 1/3 फोकस वैल्युएशन और 2/3 फोकस मैक्रो पर होता है। मोमेंटम इन्वेस्टिंग से जुड़े सवाल पर संदीप ने कहा कि मोमेंटम इन्वेस्टिंग बिलकुल नहीं करते हैं। Extreme Inflection पर खरीदते और बेचते हैं। 202-208 पर ITC खरीदा और 500 रुपए में बेचा। ITC बेचकर रिलायंस खरीदा है। HDFC बैंक पर बात करते हुए संदीप ने कहा कि HDFC बैंक को लेकर आक्रमक नजरिया नहीं है। HDFC बैंक में अभी उनकी अंडर ओनरशिप भी नहीं है।
डिस्क्लेमर: मनीकंट्रोल.कॉम पर दिए गए विचार एक्सपर्ट के अपने निजी विचार होते हैं। वेबसाइट या मैनेजमेंट इसके लिए उत्तरदाई नहीं है। यूजर्स को मनी कंट्रोल की सलाह है कि कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले सर्टिफाइड एक्सपर्ट की सलाह लें।