Goldman Sachs ने 2024 के लिए Nifty का टारगेट 21,800 तय किया, फर्म ने भारतीय बाजार के फंडामेंटल्स को मजबूत बताया

गोल्डमैन सैक्स के चीफ एशिया पैसिफिक स्ट्रैटिजिस्ट टिमोथी मो का कहना है कि भारत में इनेवस्टमेंट का माहौल पॉजिटव है। उनके मुताबिक, सभी प्रमुख बाजारों के मुकाबले भारत में आर्थिक ग्रोथ और कंपनियों की परफॉर्मेंस बेहतर रहने की उम्मीद है। टिमोथी ने सीएनबीसी-टीवी 18 से बातचीत में कहा कि 2024 में निफ्टी के लिए टारगेट 21,800 है और भारत की रेटिंग को अपग्रेड कर 'ओवरवेट' कर दिया गया है

अपडेटेड Nov 23, 2023 पर 9:22 PM
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गोल्डमैन सैक्स के मुताबिक, बैंकिंग पसंदीदा थीम है और इसमें नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (NBFCs) के मुकाबले ज्यादा संभावना है।

गोल्डमैन सैक्स (Goldman Sachs) के चीफ एशिया पैसिफिक स्ट्रैटिजिस्ट टिमोथी मो का कहना है कि भारत में इनेवस्टमेंट का माहौल पॉजिटव है। उनके मुताबिक, सभी प्रमुख बाजारों के मुकाबले भारत में आर्थिक ग्रोथ और कंपनियों की परफॉर्मेंस बेहतर रहने की उम्मीद है। टिमोथी ने सीएनबीसी-टीवी 18 (CNBC-TV18) से बातचीत में कहा कि 2024 में निफ्टी के लिए टारगेट 21,800 है और भारत की रेटिंग को अपग्रेड कर 'ओवरवेट' कर दिया गया है।

गोल्डमैन सैक्स ने एक साल पहले भारत को लेकर अपनी रेटिंग को डाउनग्रेड कर दिया था, क्योंकि प्रमुख सूचकांक तकरीबन 24 गुना फॉरवर्ड अर्निंग पर कारोबार कर रहे थे, जो महंगा जान पड़ता था। मो का कहना था कि भारतीय शेयर बाजार के वैल्यूएशन के आकलन कई 'अच्छी खबरों' का ध्यान रखा गया है। वित्त वर्ष 2023 में कॉरपोरेट अर्निंग में 17 पर्सेंट की बढ़ोतरी हुई, जबकि इस दौरान निफ्टी में 9 पर्सेंट की बढ़त रही।

यह पूछे जाने पर कि क्या एशिया आने वाले समय में निवेश का ठिकाना बनेगा, मो का कहना था कि एशियाई बाजार दो मोर्चों पर जबरदस्त कॉम्पिटिशन का सामना कर रहे हैं: बॉन्ड यील्ड और ग्लोबल इक्विटी मार्केट्स। साल 2024 में मार्केट में सिंगल डिजिट ग्रोथ का अनुमान है। हालांकि, उनका कहना था कि लॉन्ग टर्म में भारत की परफॉर्मेंस बेहतर रहेगी और विदेशी पैसा यहां के बाजारों में लौटेगा। दरअसल, फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स के लिए अब भी भारत में अपना निवेश बढ़ाने के लिए गुंजाइश बाकी है।


मो ने कहा कि भारत में अतिरिक्त मांग के लिए गुंजाइश है, खास तौर पर सीधे रिटेल इनवेस्टर्स या SIP के जरिये निवेश बढ़ सकता है। गोल्डमैन सैक्स के मुताबिक, बैंकिंग सबसे पसंदीदा थीम है और इसमें नॉन-बैंकिंग फाइनेंस (NBFCs) के मुकाबले ज्यादा संभावना है। आम तौर पर चुनाव से पहले शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है। चुनाव नतीजों और भविष्य को लेकर अनिश्चितता की वजह से ऐसा होता है। इनवेस्टमेंट बैंक के मुताबिक, लॉन्ग टर्म में चुनाव का ज्यादा असर नहीं होगा, क्योंकि फंडामेंटल्स काफी मजबूत हैं।

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