एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) ने एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMC) को स्मॉलकैप और मिडकैप स्कीम के निवेशकों को बड़े नुकसान से बचाने के लिए एक पॉलिसी तैयार करने को कहा है। मिडकैप और स्मॉलकैप स्टॉक्स में पिछले साल जबर्दस्त तेजी देखने को मिली। अब इनमें गिरावट की आशंका जताई जा रही है। स्मॉलकैप और मिडकैप स्टॉक्स में ज्यादा तेजी की वजह से दोनों कैटेगरी की म्यूचुअल फंड स्कीमों में निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ी है। एंफी एसेट मैनेजमेंट कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था है। एंफी ने इस बारे में एएमसी को 27 फरवरी को लेटर लिखा है।
मिडकैप-स्मॉलकैप निवेशकों की चिंता
लेटर में लिखा है कि स्मॉलकैप और मिडकैप स्टॉक्स की कीमतों में बुलबुला बना है। म्यूचुअल फंड्स की मिडकैप और स्मॉलकैप स्कीमों में निवेशक ज्यादा निवेश कर रहे हैं। ट्रस्टीज को एएमसी की यूनिटहोल्डर प्रोटेक्शन कमेटी से मिलकर ऐसी पॉलिसी बनानी चाहिए, जिससे इनवेस्टर्स के हितों की रक्षा की जा सके। इस पॉलिसी का मकसद सिर्फ इनफ्लो पर अंकुश लगाना और पोर्टफोलियो रीबैसेंसिंग नहीं होना चाहिए।
एएमसी के ट्रस्टी पॉलिसी एप्रूव करेंगे
यह पॉलिसी ट्रस्टीज से एप्रूव होनी चाहिए। साथ ही इसे एएमसी की वेबसाइट पर 21 दिन के अंदर अपलोड करना जरूरी होगा। स्मॉल और मिडसाइज फंडों में भारी निवेश देखने को मिला है। ऐसे में अथॉरिटीज की चिंता यह है कि बड़ी गिरावट की स्थिति में निवेशकों को बड़ा नुकसान हो सकता है। मार्केट रेगुलेटर SEBI एएमसी की तरफ से किए गए स्ट्रेस टेस्ट को रिव्यू कर रहा है।
स्मॉलकैप और मिडकैप में भारी निवेश
पिछले कुछ समय में कई फंड हाउसेज ने स्मॉलकैप स्कीम में नए निवेश पर अंकुश लगाने के लिए कदम उठाए हैं। हाल में कोटक महिंद्रा म्यूचुअल फंड ने अपनी स्मॉलकैप स्कीम में नए निवेश पर अमाउंट की सीमा तय कर दी है। 26 फरवरी को कोटक महिंद्रा म्यूचुअल फंड ने नोटिफिकेशन जारी किया था। इसमें कहा गया है कि उसने यूनिट्स की सब्सिक्रिप्शन के लिए अस्थायी तौर पर सीमा तय करने का फैसला किया है।
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