Jana Small Finance Bank IPO: नॉन-बैंकिंग फाइनेंशिल कंपनी (NBFC) जन स्मॉल फाइनेंस बैंक का आईपीओ आज सब्सक्रिप्शन के लिए खुल गया। पहले दिन इसका 570 करोड़ रुपये का आईपीओ पूरा सब्सक्राइब नहीं हो पाया। हालांकि खुदरा निवेशकों और नॉन-इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स (NII) के लिए आरक्षित हिस्सा पूरा भर गया। ग्रे मार्केट में बात करें तो इसकी स्थिति कमजोर हुई है। आईपीओ खुलने से पहले आईपीओ के अपर प्राइस बैंड से यह 108 रुपये की GMP (ग्रे मार्केट प्रीमियम) पर था लेकिन अब यह फिसलकर 51 रुपये यानी 12.32 फीसदी प्रीमियम पर आ चुका है। हालांकि मार्केट एक्सपर्ट्स के मुताबिक ग्रे मार्केट से मिले संकेतों की बजाय कंपनी के फंडामेंटल्स और फाइनेंशियल्स के आधार पर ही आईपीओ में निवेश से जुड़ा फैसला लेना चाहिए।
Jana Small Finance Bank IPO की डिटेल्स
जन स्मॉल फाइनेंस बैंक की खूबियों-कमजोरियों को जानने से पहले इसके आईपीओ की डिटेल्स समझ लेते हैं कि इस आईपीओ में किस भाव पर बोली लगा सकते हैं और आईपीओ के पैसों का इस्तेमाल कैसे होगा। खुदरा निवेशक इसके 570 करोड़ रुपये के आईपीओ में 393-414 रुपये के प्राइस बैंड और 36 शेयरों के लॉट में बोली लगा सकते हैं। आईपीओ की सफलता के बाद शेयरों का अलॉटमेंट 12 फरवरी को फाइनल होगा और इसके बाद BSE, NSE पर 14 फरवरी को एंट्री होगी। इश्यू का रजिस्ट्रार केफिन टेक है।
इस आईपीओ के तहत 462 करोड़ रुपये के नए शेयर जारी होंगे। इसके अलावा 10 रुपये की फेस वैल्यू वाले 26,08,629 शेयरों की ऑफर फॉर सेल (OFS) विंडो के तहत बिक्री होगी। ऑफर फॉर सेल के जरिए जो पैसे मिलेंगे, वह शेयर बेचने वाले शेयरहोल्डर्स को मिलेंगे। नए शेयरों के जरिए जारी कर जुटाए गए पैसों का इस्तेमाल बैंक के टियर-1 कैपिटल बेस को बढ़ाने और इश्यू से जुड़े खर्चों को भरने में होगा।
पांच सबसे बड़े SFB में शुमार Jana Small Finance Bank
सितंबर 2023 के आखिरी तक के मौजूद आंकड़ों के हिसाब से 21 हजार करोड़ रुपये के टोटल एडवांसेज के साथ यह देश के पांच सबसे बड़े स्मॉल फाइनेंस बैंकों (SFBs) में शुमार है। बैंक का सिक्योर्ड लोन बुक वित्त वर्ष 2021 में 43 फीसदी से अधिक उछलकर सितंबर 2023 तक ग्रॉस एडवांसेज के 57 फीसदी तक पहुंच गया। अब चूंकि बैंक का फोकस होम लोन, प्रॉपर्टी गिरवी रखकर लोन और सिक्योर्ड MSME लोन पर है तो मीडियम टर्म में इसका सिक्योर्ड पोर्टफोलियो अभी और बढ़ने की उम्मीद है। सितंबर 2023 के आंकड़ों के मुताबिक इसका CASA (करंट अकाउंट और सेविंग्स अकाउंट) 20 फीसदी रहा और इसे मिलाकर खुदरा डिपॉजिट्स की बात करें तो यह 67 फीसदी पर है।
एसेट क्वालिटी की बात करें तो वित्त वर्ष 2023 में इसमें सुधार हुआ है और सितंबर के आंकड़ों के हिसाब से एनपीए के लिए प्रोविजन कवरेज बढ़कर 65 फीसदी पर पहुंच गया। इसके अलावा रीस्ट्रक्चर्ड एसेट्स घटकर सितंबर 2023 छमाही में 1.2 फीसदी पर आ गई। वित्त वर्ष 2021 में यह 8 फीसदी के ऊपर थी। इसकी एसेट क्वालिटी में सुधार दिखा और आगे भी इसमें सुधार की काफी गुंजाइश है।
वित्त वर्ष 2023 से पहले जन स्मॉल फाइनेंस बैंक का कैपिटल रेश्यो रेगुलेटरी कैपिटल रेश्यो की न्यूनतम लिमिट 15 फीसदी से थोड़ा ही ऊपर था। सितंबर 2023 तिमाही में कैपिटल एडेकेसी रेश्यो सुधरकर 17.5 फीसदी पर पहुंच गया जो वित्त वर्ष 2023 के आखिरी में 15.6 फीसदी पर था। इसे 562 करोड़ रुपये के प्री-आईपीओ कैपिटल निवेश से सपोर्ट मिला। इसमें से 450 करोड़ रुपये राइट्स इश्यू के जरिए आए और 112 करोड़ रुपये CCPS के रास्ते से आए।
बैंक पिछले कुछ वर्षों से लगातार अपना इक्विटी कैपिटल बढ़ा रही है ताकि यह अपना कैपिटलाइजेशन प्रोफाइल मेंटेन कर सके। वित्त वर्ष 2017-23 के बीच इसने मौजूदा और नए निवेशकों से 3464 करोड़ रुपये की इक्विटी जुटाई।
सिक्योर्ड पोर्टफोलियो के अधिक वजन के चलते इसका नेट इंटेरेस्ट मार्जिन (NIM) पिछले कुछ वर्षों में थोड़ा गिरा है लेकिन मेनस्ट्रीम बैंकों की तुलना में काफी हाई रहे और सितंबर 2023 छमाही में यह करीब 8 फीसदी पर रहा। इसकी वजह ये रही है कि इसका लेंडिंग फोकस हाई यील्ड वाले इनफॉर्मल सेगमेंट पर बना रहा।
बैंक ने कई तरीके अपनाकर नोटबंदी के बाद से ही ऑपरेटिंग कॉस्ट पर नियंत्रण बनाए रखा है और यह इसके ऑपरेटिंग एक्सेंचेज में भी दिखता है जो वित्त वर्ष 2019 से वित्त वर्ष 2023 के बीच सालाना 2.6 फीसदी की चक्रवृद्धि दर (CAGR) से बढ़ा जबकि इस दौरान लोन बुक 24 फीसदी के CAGR से बढ़ा। सितंबर छमाही में एवरेज एसेट्स के मुकाबले इसका ऑपरेटिंग एक्सपेंसेज 5.8 फीसदी रहा जो पियर्स के मुकाबले काफी बेहतर है। क्रेडिट कॉस्ट की बात करें तो कोरोना महामारी के दौरान यह ऊंचे लेवल पर बनी रही लेकिन सितंबर 2023 छमाही में 3.5 फीसदी के आरामदायक लेवल पर रही। ओवरऑल बात करें तो इसका RoA सितंबर 2023 छमाही में सुधरकर 1.1 फीसदी पर आ गया।
माइक्रो-फाइनेंस सेक्टर भारी उतार-चढ़ाव वाला है। हालांकि इस समय इसके लिए माहौल बेहतर है क्योंकि आर्थिक गतिविधियां बढ़ रही हैं। जन स्मॉल फाइनेंस बैंक की बात करें तो ऑपरेटिंग एफिशिएंसी के दम पर इसकी नेट प्रॉफिटेबिलिटी (RoA) मीडियम टर्म में सुधर सकती है। आईपीओ के अपर प्राइस बैंड यानी 414 रुपये के हिसाब से यह वित्त वर्ष 2025 के बुक वैल्यू के हिसाब से 1 गुने भाव पर है जो रिटर्न रेश्यो में सुधार को देखते हुए काफी आकर्षक लेवल है।