Indian Railways: फेस्टिवल और छुट्टियों के मौसम में ट्रेन का कंफर्म टिकट पाने में लोगों को अच्छी खासी मशक्कत करनी पड़ती है। इसकी एक बड़ी वजह एजेंट्स यानी ब्रोकरों की सांठ-गांठ भी होती है। अगर किसी भी ट्रेन में कंफर्म टिकट हासिल करना है तो 2 महीना पहले बुक करना पड़ता है। वहीं रेलवे के एजेंट यानी ब्रोकरों के पास हमेशा हर ट्रेन का कंफर्म टिकट रहता है। वहीं ब्रोकरों के जरिए टिकट लेने पर ज्यादा पैसे देना पड़ता है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर इन एजेंट्स के पास कंफर्म टिकट पहुंचते कैसे हैं?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आमतौर पर रेलवे के एजेंट यानी ब्रोकर्स 2-3 महीना पहले हर ट्रेन में टिकट बुक कर लेते हैं। इसके लिए वो अलग-अलग उम्र के टिकट बुक करते हैं। इसमें नाम, लिंग, उम्र दर्ज रहती है। इसके बाद जैसे कोई यात्री एजेंट से कंफर्म टिकट लेते हैं तो यात्री की उम्र के मुताबिक, उसे टिकट थमा देते हैं।
एजेंट से टिकट लेने में फंस सकते हैं
यहां तक तो आप समझ गए कि एजेंट से टिकट लेने पर आपका असली नाम, उम्र दर्ज नहीं रहता है। एजेंट आमतौर पर यही कहते हैं कि आपसे आईकार्ड नहीं मांगा जाएगा। अगर कभी TTE को किसी भी तरह की शंका हुई तो वो आपसे आईकार्ड मांग सकता है। इसमें जब आपका नाम, उम्र अलग-अलग होगा, तो ऐसी स्थिति में आपकी कंफर्म सीट जा सकती है। इसके साथ ही जुर्माने के साथ जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है। आप बडड़ी मुसीबत में फंस सकते हैं। 400 रुपये का स्लीपर टिकट की कीमत 2000 रुपये तक पहुंच सकती है। लिहाजा एजेंट से टिकट लेने से हमेशा बचना चाहिए।
रेलवे की ओर से एजेंट के खिलाफ होती है कार्रवाई
वहीं टिकट की कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ रेलवे की ओर से कई तरह के अभियान भी चलाए जाते हैं। इस अभियान के तहत अवैध तरीके से टिकट बेच रहे लोगों को पकड़ा जाता है। हाल ही में कई ऐसे एजेंट गिरफ्तार हुए हैं, जो अवैध सॉफ्टवेयर के जरिए कंफर्म टिकट बुक कर रहे थे।