Uttarakhand Election Results 2022: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के रथ पर सवार होकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने गुरुवार को उत्तराखंड में सत्ता में वापसी कर नया इतिहास रच दिया। बीजेपी 47 सीटों के प्रचंड बहुमत के साथ एक बार फिर से सत्ता में वापस आ गई है।
हालांकि, इस बड़ी जीत में अहम भूमिका निभाने वाले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपनी विधानसभा सीट खटीमा को बरकरार रखने में विफल रहे हैं और इस हार ने बीजेपी की बहुमत की जीत का मजा किरकिरा कर दिया है। धामी कांग्रेस के कार्यवाहक प्रदेश अध्यक्ष भुवन चंद्र कापड़ी से 6,579 मतों के अंतर से हार गए हैं।
हार के बाद सीएम धामी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपा है। अब नए मुख्यमंत्री के चुनाव को लेकर भाजपा के अंदर लगातार हलचल तेज है। धामी ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और कहा कि उन्हें नई सरकार बनने तक पद पर बने रहने के लिए कहा गया है।
उत्तराखंड में नवनिर्वाचित विधायकों के देहरादून पहुंचने के साथ ही नए सीएम को लेकर विचार-विमर्श शुरू हो गया है, जहां वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय और प्रह्लाद जोशी पहले से ही डेरा डाले हुए हैं। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और धर्मेंद्र प्रधान को केंद्रीय बीजेपी नेतृत्व द्वारा उत्तराखंड में सीएम चेहरे को अंतिम रूप देने का काम सौंपा गया है और वे भी जल्द ही देहरादून पहुंचेंगे।
नए सीएम चेहरे की चर्चा के बीच विजयवर्गीय ने संकेत दिया है कि धामी अब दौड़ में नहीं होंगे। धामी के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि हमारे पास आंतरिक लोकतंत्र है। विधायक अपना नेता चुनेंगे। मुख्यमंत्री कौन होगा, इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकता। धामी अब एक राष्ट्रीय नेता हैं।
दो नाम सीएम पद की दौड़ में सबसे आगे
सूत्रों का कहना है कि सतपाल महाराज और धन सिंह रावत पहले से ही सीएम पद की दौड़ में हैं। BJP नेताओं की मानें तो किसी विधायक को ही मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। ऐसे में सबसे आगे जो नम चल रहा है, वो प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत का है जिनको संगठन का भी काफी अनुभव है। वो सरकार का अनुभव भी पिछले पांच सालों में बखूबी ले चुके हैं। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के करीबी धन सिंह रावत को लेकर बीजेपी में चचार्एं बहुत तेज हैं।
प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के करीबी होने का फायदा धन सिंह रावत को मिल सकता है। संघ के करीब होने का फायदा भी धन सिंह रावत को मिल सकता है। धन सिंह रावत को अगर मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाता है तो ऐसे में सतपाल महाराज को भी बीजेपी मुख्यमंत्री बना सकती है। सतपाल महाराज सबसे पहले कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे और उसके बाद उत्तराखंड से लेकर कई राज्यों के चुनाव प्रचार में भी वह जुटे रहे।
पिछले 5 साल के कार्यकाल में तीन बार मुख्यमंत्री बदलने के दौरान सतपाल महाराज के नाम पर चचार्एं तो खूब हुई लेकिन उनको कुर्सी नहीं मिल पाई। सतपाल महाराज के लिए सबसे बड़ा फायदा उनकी आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से करीबी है। मोहन भागवत से करीब होने के चलते सतपाल महाराज को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। खुद मोहन भागवत भी सतपाल महाराज के लिए कई बार प्रधानमंत्री और गृह मंत्री अमित शाह से तक वार्ता कर चुके हैं।
रमेश पोखरियाल भी दौड़ में शामिल
अगर विधायकों में से सीएम नहीं बनाया जाता है तो ऐसे में पार्टी अनुभवी पूर्व सीएम डॉ रमेश पोखरियाल निशंक पर भी दांव खेल सकती है। ब्राह्मण होने के चलते पार्टी 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले प्रदेश में ब्राह्मण सीएम बना कर उत्तर प्रदेश तक संदेश देना चाहेंगे। संगठन और सरकार का बेहतर अनुभव होने के चलते रमेश पोखरियाल निशंक के नाम पर भी मुहर लग सकती है। निशंक के दिल्ली में बीजेपी आलाकमान से बहुत मजबूत संबंध है।