भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने अंग्रेजों के समक्ष दया याचिका के बारे में एक खास वर्ग के लोगों के बयानों को गलत ठहराते हुए यह दावा किया है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) के कहने पर वीर सावरकर (Veer Savarkar) ने याचिका दी थी। सिंह ने मंगलवार को एक कार्यक्रम में कहा कि सावरकर ने महात्मा गांधी के कहने पर अंग्रेजों के सामने दया याचिका लगाई थी।
उन्होंने कहा कि सावरकर को लेकर कई तरह झूठ फैलाए गए हैं। ऐसा कहा गया था कि उन्होंने अंग्रेजों के सामने कई बार दया याचिका डाली थी। लेकिन सच तो ये है कि सावरकर ने ये सब गांधी जी के कहने पर किया था उन्हीं के कहने पर उन्होंने जेल में बैठ दया याचिका दाखिल की थी। सिंह ने कहा कि एक खास वर्ग द्वारा सावरकर के बारे में जानबूझकर झूठ फैलाया गया और भ्रम की स्थिति पैदा की गई।
सिंह ने कहा कि राष्ट्र नायकों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के बारे में वाद प्रतिवाद हो सकते हैं लेकिन विचारधारा के चश्मे से देखकर वीर सावरकर के योगदान की उपेक्षा करना और उन्हें अपमानित करना क्षमा योग्य और न्यायसंगत नहीं है। उन्होंने उदय माहूरकर और चिरायु पंडित की किताब वीर सावरकर हु कुड हैव प्रीवेंटेड पार्टिशन () के विमोचन कार्यक्रम में यह बात कही। इसमें सरसंघचालक मोहन भागवत ने भी हिस्सा लिया।
वीर सावरकर महान स्वतंत्रता सेनानी थे
सिंह ने कहा कि एक खास विचारधारा से प्रभावित तबका वीर सावरकर के जीवन एवं विचारधारा से अपरिचित है और उन्हें इसकी सही समझ नहीं है, वे सवाल उठाते रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारे राष्ट्र नायकों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के बारे में वाद प्रतिवाद हो सकते हैं लेकिन उन्हें हेय दृष्टि से देखना किसी भी तरह से उचित और न्यायसंगत नहीं कहा जा सकता है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि वीर सावरकर महान स्वतंत्रता सेनानी थे, ऐसे में विचारधारा के चश्मे से देखकर उनके योगदान की अनदेखी करना और उनका अपमान करना क्षमा योग्य नहीं है। उन्होंने कहा कि वीर सावरकर महानायक थे, हैं और भविष्य में भी रहेंगे। देश को आजाद कराने की उनकी इच्छा शक्ति कितनी मजबूत थी, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अंग्रेजों ने उन्हें दो बार आजीवन कारावास की सजा सुनाई, कुछ विशेष विचारधारा से प्रभावित लोग ऐसे राष्ट्रवादी पर सवालिया निशान लगाने का प्रयास करते हैं।
हिंदू शब्द किसी धर्म, पंथ या मजहब से जुड़ा नहीं था
उन्होंने कहा कि कुछ लोग उन पर (सावरकर) नाजीवादी, फासीवादी होने का आरोप लगाते हैं लेकिन सच्चाई यह है कि ऐसा आरोप लगाने वाले लोग लेनिनवादी, मार्क्सवादी विचारधारा से प्रभावित थे और अभी भी हैं। सिंह ने कहा कि सीधे शब्दों में कहें तो सावरकर यथार्थवादी और राष्ट्रवादी थे जो बोल्शेविक क्रांति के साथ स्वस्थ लोकतंत्र की बात करते थे।
रक्षा मंत्री ने कहा कि हिंदुत्व को लेकर सावरकर की एक सोच थी जो भारत की भौगोलिक स्थिति और संस्कृति से जुड़ी थी। उनके लिए हिंदू शब्द किसी धर्म, पंथ या मजहब से जुड़ा नहीं था बल्कि भारत की भौगोलिक एवं सांस्कृतिक पहचान से जुड़ा था। उन्होंने कहा कि इस सोच पर किसी को आपत्ति हो सकती है लेकिन इस विचार के आधार पर नफरत करना उचित नहीं है।
इस बीच, राजनाथ सिंह के हालिया बयान को लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है। एक वर्ग महात्मा गांधी का नाम सावरकर से जोड़ने को लेकर असहमति जताता दिख रहा है। AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने कहा कि ये लोग इतिहास को तोड़कर पेश कर रहे हैं। एक दिन ये लोग महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता (Father Of Nation) के दर्जे से हटाकर सावरकर को ये दर्जा दे देंगे।