Gujarat Assembly Elections: विजय रूपाणी और नितिन पटेल का खत्म हो गया राजनीतिक करियर? क्या कहते राजनीतिक पंडित
Gujarat Assembly Elections: राजनीतिक पंडितों का कहना कुछ और ही है। उनका मानना है दोनों नेताओं को पार्टी की ओर से टिकट दिया ही नहीं गया। ऐसे इसलिए क्योंकि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) सत्ता विरोधी लहर (Anti-incumbency) को खत्म करने के लिए इस बार और नए चेहरे पेश करना चाहती है
Gujarat Assembly Elections: विजय रूपाणी और नितिन पटेल का खत्म हो गया राजनीतिक करियर?
Gujarat Assembly Elections: गुजरात (Gujarat) के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी (Vijay Rupani) और उनके तत्कालीन डिप्टी नितिन पटेल (Nitin Patel) का राजनीतिक करियर (Political Carrier) अब खत्म होता नजर आ रहा है, क्योंकि दोनों ही नेताओं ने अगले महीने राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव (Assembly Elections 2022) लड़ने से इनकार कर दिया है। गुजरात की राजनीति में तीन दशक से ज्यादा समय से एक्टिव रहे दोनों नेताओं ने चुनाव न लड़ने का कारण यह बताया कि वे अगली पीढ़ी के लिए रास्ता बनाना चाहते हैं।
हालांकि, राजनीतिक पंडितों का कहना कुछ और ही है। उनका मानना है दोनों नेताओं को पार्टी की ओर से टिकट दिया ही नहीं गया। ऐसे इसलिए क्योंकि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP)सत्ता विरोधी लहर (Anti-incumbency) को खत्म करने के लिए इस बार और नए चेहरे पेश करना चाहती है।
रूपाणी ने BJP के उम्मीदवारों की पहली लिस्ट आने से एक दिन पहले ही मीडिया से कहा, "मैंने इस बार चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है। बीजेपी ने मुझे पांच साल के लिए गुजरात का मुख्यमंत्री बनने का मौका दिया। अब उन्होंने मुझे पंजाब का प्रभारी बना दिया है...मैंने टिकट की मांग भी नहीं की है।"
66 साल के विजय रूपाणी वर्तमान में राजकोट पश्चिम से विधायक हैं। वह अगस्त 2016 से सितंबर 2021 तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे हैं। सितंबर 2021 में, उनके पूरे मंत्रिमंडल को पार्टी ने इस्तीफा दिला दिया था और उनकी जगह भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व वाली एक नई सरकार बनाई गई।
Gujarat Assembly Elections: विजय रूपाणी - ABVP से मुख्यमंत्री पद तक
रूपाणी एक जैन परिवार से ताल्लुक रखते हैं, जो म्यांमार (तब बर्मा) से भारत लौटा था। वह अपने जन्म के तुरंत बाद राजकोट में बस गए थे। युवा समय में रूपाणी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और उसके छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़े थे।
वह 1987 में राजकोट नगर निगम के नगरसेवक के रूप में चुने गए और 1996 से 1997 तक शहर के मेयर के रूप में काम किया। बाद में, उन्हें बीजेपी की गुजरात इकाई का महासचिव नियुक्त किया गया। 2006 में वे राज्यसभा के लिए चुने गए।
अगले दशक में उन्हें राज्य की राजनीति में तेजी से बढ़ते हुए, दो साल के भीतर विधायक, मंत्री और मुख्यमंत्री बनते देखा। अगस्त 2014 में, कर्नाटक के राज्यपाल नियुक्त होने के बाद वजुभाई वाला के इस्तीफा देने के बाद, बीजेपी ने राजकोट पश्चिम सीट पर उपचुनाव लड़ने के लिए रूपाणी को चुना।
रूपाणी को नवंबर 2014 में आनंदीबेन पटेल के नेतृत्व वाली सरकार में परिवहन मंत्री बनाया गया था। 2016 में थोड़े समय के लिए वे बीजेपी की गुजरात इकाई के अध्यक्ष बने।
अगस्त 2016 में आनंदीबेन पटेल के मुख्यमंत्री के रूप में अचानक इस्तीफे के बाद, केंद्रीय बीजेपी नेतृत्व ने रूपाणी को उनकी जगह चुना। इस पर काफी लोगों को आश्चर्य हुआ, क्योंकि उम्मीद की जा रही थी कि ये पद नितिन पटेल को मिलेगा।
2017 के चुनावों में बीजेपी के सत्ता में बने रहने के बाद, रूपाणी दूसरी बार मुख्यमंत्री बने, जब तक कि चार साल बाद पार्टी की तरफ से अचानक गार्ड ऑफ चेंज नहीं किया गया।
कई लोगों का मानना था कि बीजेपी आगामी विधानसभा चुनावों का सामना एक नई टीम के साथ करना चाहती है, क्योंकि विपक्षी दल रूपाणी सरकार को COVID-19 महामारी से निपटने के लिए निशाना बना रहे थे।
Gujarat Assembly Elections: नितिन पटेल- दो बार मुख्यमंत्री बनने के बहुत करीब रहे
नितिन पटेल, रूपाणी की उम्र के ही हैं। वह दो बार मुख्यमंत्री बनने के बहुत करीब आए, लेकिन शीर्ष पद उन्हें नहीं मिला। अनुभवी राजनेता 2016 में इस पद के लिए सबसे आगे थे। इसके बाद फिर 2021 में रूपाणी के इस्तीफा देने के बाद भी उनके नाम की चर्चा थी।
छह बार के विधायक पटेल ने कहा, "मैं लोगों के दिल में रहता हूं, मुझे कोई बाहर नहीं निकाल सकता।"
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में नितिन पटेल की नर्मदा नहर नेटवर्क के निर्माण में उनकी भूमिका के लिए प्रशंसा की थी। मोदी ने एक रैली में कहा, "पटेल एक घंटे तक इस विषय पर बोल सकते हैं।"
मेहसाणा के एक संपन्न परिवार से ताल्लुक रखने वाले पटेल ने 1977 में जिले के काडी नगर पालिका के पार्षद के रूप में अपना राजनीतिक सफर शुरू किया। 1990 में उन्होंने बीजेपी के टिकट पर काडी सीट से विधायक के रूप में जीत हासिल की थी।
उन्होंने 1990 और 2007 के बीच चार बार विधानसभा में काडी का प्रतिनिधित्व किया। अगले दो चुनावों में उन्होंने मेहसाणा निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की।
पटेल तब स्वास्थ्य मंत्री बने, जब 1995 में केशुभाई पटेल के नेतृत्व में बीजेपी ने पहली बार अपने दम पर गुजरात में सरकार बनाई। 1995 से वह 2021 तक हर बीजेपी सरकार का हिस्सा थे।
उन्हें पहले 2016 में रूपाणी कैबिनेट में उपमुख्यमंत्री बनाया गया था और फिर 2017 के चुनावों के बाद भी उन्हें ये पद मिला।
पटेल ने नौ नवंबर को गुजरात बीजेपी अध्यक्ष सीआर पाटिल को हाथ से लिखे पत्र में कहा था कि उन्हें मेहसाणा सीट से टिकट के लिए विचार नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने मीडिया से कहा, "मैंने चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है। मुझे छह बार विधायक चुना गया है।”