Electoral Bond Scheme: इलेक्टोरल बॉन्ड से किस पार्टी को मिला सबसे ज्यादा पैसा! कैसे बना राजनीतिक फंडिंग का सबसे बड़ा जरिया?

Electoral Bond Scheme: राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता लाने के कोशिशों के तहत चुनावी बॉन्ड को राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले कैश डोनेशन के विकल्प के तौर पर पेश किया गया था। इससे पहले शीर्ष अदालत ने नवंबर में भी कहा था कि इस तरह के बॉन्ड का "मनी लॉन्ड्रिंग के लिए दुरुपयोग" किया जा सकता है

अपडेटेड Feb 15, 2024 पर 2:38 PM
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Electoral Bond Scheme: एक नजर डालते हैं कि इस चुनावी बॉन्ड के जरिए कितनी राजनीतिक फंडिंग हुई और किस दल को कितना पैसा मिला

Electoral Bond Scheme: आने वाले लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) से पहले सुप्रीम कोर्ट (SC) ने केंद्र सरकार की तरफ से लाए गए चुनावी बॉन्ड (Electoral Bond) पर रोक लगा दी है। अदालत ने इस स्कीम को सूचना के अधिकार और बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार का उल्लंघन माना है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार इलेक्टोरल बॉन्ड का ये कहते हुए बचाव करती आई है कि राजनीतिक फंडिंग में ज्यादा से ज्यादा पारदर्शिता लाने के लिए ये स्कीम लाई गई है। सरकार का कहना है कि उनकी मंशा है कि राजनीतिक फंडिंग में केवल 'सही' पैसे का इस्तेमाल हो और वो भी सीधे बैंकिंग चैनलों के जरिए।

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-जजों की संविधान पीठ ने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर दो अलग-अलग लेकिन सर्वसम्मती से फैसले सुनाया। शीर्ष अदालत ने चुनावी बान्ड को 'असंवैधानिक' बताते हुए कहा, "इससे काले धन पर रोक लगाई जा रही है, ऐसा कहकर मतदाता के सूचना के अधिकार का उल्लंघन करना ठीक नहीं है।"

फैसला सुनाते हुए, CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि ये योजना संविधान के अनुच्छेद 19(1)(A) के तहत भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है। आइए एक नजर डालते हैं कि इस चुनावी बॉन्ड के जरिए कितनी राजनीतिक फंडिंग हुई और किस दल को कितना पैसा मिला।


वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने हाल ही में खत्म हुए बजट सत्र के दौरान लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में कहा कि चुनावी बॉन्ड के फेज-1 और फेज-30 के बीच अलग-अलग राजनीतिक दलों को कुल 16,518 करोड़ रुपए का सीधा दान मिला है। फेज-XXX यानि फेज-30 पिछले महीने ही आयोजित किया गया था।

इस पर, फेज-1 और फेज-25 से चुनावी बांड जारी करने और भुनाने के लिए बतौर कमीशन सरकार की तरफ से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को 8.57 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया था। इसके अलावा, सरकार की तरफ से सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (SPMCIL) को 1.90 करोड़ रुपए का भुगतान भी किया गया था।

किस पार्टी को मिला कितना पैसा?

न्यूज एजेंसी PTI ने चुनाव आयोग को सौंपी गई पार्टियों की सालाना ऑडिट रिपोर्ट के हवाले से बताया कि चुनावी बॉन्ड के जरिए, सत्तारूढ़ बीजेपी को 2022-23 में लगभग 1,300 करोड़ रुपए मिले। जबकि इस दौरान कांग्रेस इससे सात गुना कम पैसा मिला। 2022-23 में BJP का कुल 2,120 करोड़ रुपए का चंदा मिला था, जिसमें से 61 प्रतिशत रकम चुनावी बॉन्ड से आई थी।

कांग्रेस को चुनावी बॉन्ड से 171 करोड़ रुपए की कमाई हुई, जो वित्त वर्ष 2021-22 में 236 करोड़ रुपए से कम थी। बीजेपी और कांग्रेस मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय दल हैं।

राज्य स्तर पर मान्यता प्राप्त पार्टी समाजवादी पार्टी ने 2021-22 में चुनावी बॉन्ड के जरिए 3.2 करोड़ रुपए कमाए थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022-23 में उसे इन बॉन्ड से कोई योगदान नहीं मिला। एक और राज्य मान्यता प्राप्त पार्टी, TDP ने 2022-23 में चुनावी बॉन्ड के जरिए 34 करोड़ रुपए कमाए, जो पिछले वित्तीय वर्ष से 10 गुना ज्यादा था।

चुनावी बॉन्ड राजनीतिक फंडिंग का सबसे बड़ा जरिया

जारी किए जाने के बाद से इलेक्टोरल बॉन्ड राजनीतिक फंडिंग का सबसे बड़ा और पहला जरिया बन गया है। ADR की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय राजनीति में सभी फंडिंग का 56 प्रतिशत सिर्फ चुनावी बॉन्ड से आता है।

आलोचकों का कहना है कि गुपचुप तरीके से पैसा दान करने की क्षमता ने चुनावी बॉन्ड बेहद लोकप्रिय बना दिया है। इसकी इसी गोपनियता को लेकर हमेशा सवाल खड़े किए जाते रहे हैं, जिसके बारे में कई लोग तर्क देते हैं कि यह अलोकतांत्रिक है और भ्रष्टाचार को छिपा सकता है।

ADR के प्रमुख रिटायर मेजर जनरल अनिल वर्मा ने कहा, "इलेक्टोरल बॉन्ड बैकरूम लॉबिंग और असीमित गुमनाम दान को वैध बनाता है।" वर्मा ने कहा कि दानदाताओं की पहचान को लेकर गोपनीय रखना भी एक बड़ी समस्या है।

खुद 2017 में, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया भी मोदी सरकार को चुनावी बॉन्ड को लेकर आगाह कर चुका है। केंद्रीय ने आशंका जताई थी कि शेल कंपनियां 'मनी लॉन्ड्रिंग' के लिए इन बॉन्ड का दुरुपयोग कर सकती हैं।

Shubham Sharma

Shubham Sharma

First Published: Feb 15, 2024 2:29 PM

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