"नमस्कार, आप हमारे मोबाइल कंपनी... के बहुत ही पुराने और भरोसेमंद ग्राहकों में से एक हैं। लिहाजा एक लक्की ड्रॉ के माध्यम से आपको मिलता है एक नॉन स्टिक प्रेशर कुकर... इसके लिए आपको कुछ नहीं करना है, न तो आपको कोई OTP शेयर करना है और न ही किसी को एक रुपया देना है। सिर्फ आप अपने घर के आसपास स्थित उस दुकान पर जाइए और अपना नाम या पति या पिता का नाम बताइए और गिफ्ट ले लीजिए..."
ये कॉल कथित तौर पर एक मोबाइल कंपनी के कस्टमर केयर सेंटर से एक महिला को किया गया था। उसी के चक्कर में पड़कर महिला के पति राजू कुमार वर्मा जैसे ही उस दुकान पर गिफ्ट लेने पहुंचे उसे तत्काल प्रभाव से ED के अधिकारियों ने पटना के गायघाट इलाके से गिरफ्तार कर लिया।
फ्री के चक्कर में फंस गया आरोपी
ईडी द्वारा इस तरह से फरार आरोपी को पकड़ने का पहला और शानदार तरीका इजाद किया गया है, जिसकी चर्चा रांची कोर्ट में मौजूद लोगों के बीच भी खूब हो रही थी। लेकिन कोर्ट में लोगों द्वारा ईडी के बारे में यही कहा जा रहा था कि वाह जनाब... "आपने तो जैसे को तैसा" वाला जवाब दिया है। इन फर्जीवाड़े को पकड़ने के लिए तो आपने जामताड़ा स्टाइल में फरार आरोपी को लक्की ड्रॉ करके धर दबोचा। एक आदमी ने तो हंसते हुए ईडी के अधिकारियों को ये भी कह डाला कि "साहेब अब तो कम से कम उनके घर में नॉन स्टिक प्रेशर कुकर तो भेजवा देते"।
केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी (Enforcement Directorate, ED) द्वारा पटना के गायघाट इलाके से राजू कुमार वर्मा नाम के ऐसे आरोपी को गिरफ्तार किया गया है जो करीब 101 करोड़ रुपये के बैंक घोटाला से जुड़े मामले में पिछले कई सालों से फरार था। पिछले कुछ दिनों पहले ही सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) द्वारा इस मामले में जल्द से जल्द कार्रवाई करने का आदेश दिया गया था।
दरअसल, बिहार के नालंदा मूल के रहने वाले आरोपी राजू कुमार वर्मा झारखंड में एक बैंक के साथ करोड़ो रूपये के फर्जीवाड़े को अंजाम देकर फरार हो गया था। उस आरोपी का दफ्तर रांची स्थित अरगोड़ा (Flat No.1008, 10th Floor, Vasundhara Enclave) इलाके में था। ये मेसर्स भानु कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी (M/s Bhanu Construction) में संजय तिवारी नाम के एक आरोपी के साथ पार्टनर के तौर पर काम करता था। ये मामला साल 2017 का है, जब मिड डे मील (Jharkhand Rajya Madhyan Bhojan Pradhikaran) के रांची स्थित हटिया ब्रांच के बैंक एकाउंट से करीब 101 करोड़ को एक बैंक अधिकारी अजय उरांव (SBI Hatia Branch) द्वारा गलत तरीके से ट्रांसफर कर दिया गया था।
उसके बाद संजय तिवारी द्वारा उस पैसों को कई अन्य बैंक अकाउंट में ट्रांसफर करके उस पैसों को अपने कारोबार में निवेश कर दिया था। उस फर्जीवाड़े को अंजाम देने में और कारोबार में उन करोड़ो रूपये को निवेश कराने में राजू कुमार वर्मा भी सहयोगी रहा था। संजय तिवारी द्वारा एक्सिस बैंक (Axis Bank Ltd., Ashok Nagar Branch), HDFC बैंक, एसआरई इक्विपमेंट फाइनेंस लिमिटेड कंपनी (SREI Equipment Finance Ltd.), इत्यादि कई बैंक में ट्रांसफर किया था।
हालांकि, 100 करोड़ की गबन वाली रकम में काफी पैसे को बैंक द्वारा रिकवर कर लिया गया था, लेकिन बाकी के पैसे को देने से बचने के लिए ये आरोपी लगातार फरार होकर छुपा हुआ था। उसके पार्टनर संजय तिवारी की तो पहले ही गिरफ्तारी हो चुकी थी। लिहाजा इस मामले की गंभीरता को देखते हुए सीबीआई ने 7 दिसंबर 2017 को FIR दर्ज किया था। उसके बाद सीबीआई ने इस मामले में जांच के बाद साल 2019 में 26 मई को आरोपपत्र यानी चार्जशीट (Charge sheet) दायर किया।
आगे की तफ़्तीश के बाद साल 2020 में 6 मार्च को पूरक आरोपपत्र यानी सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर किया था। इसी सीबीआई द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर ईडी की रांची यूनिट मामले की तफ्तीश कर रही थी। ईडी द्वारा 24 सितंबर 2018 को इस मामले को दर्ज किया गया था और उसके बाद 23 नवंबर 2021 को कई लोकेशन पर सर्च ऑपरेशन को अंजाम दिया गया था। फिर दायर चार्जशीट पर इसी साल 19 जनवरी 2022 को कोर्ट द्वारा संज्ञान (Cognizance) लिया गया था। एक दिसंबर 2022 को गिरफ्तार आरोपी राजू कुमार वर्मा को रांची स्थित ईडी की विशेष कोर्ट में पेश किया गया और पांच दिनों की रिमांड लेकर आगे की पूछताछ की जाएगी।