India Inc CEO Survey : चाइना-प्लस-वन की नीति को ने हाल के दिनों में काफी लोकप्रियता मिली है। दुनिया भर की कंपनियां अपनी मैन्युफैक्चरिंग और सॉफ्टवेयर जरूरतों के लिए बीजिंग पर अपनी निर्भरता कम करना चाहती हैं। ऐसा माना जा रहा है कि अपनी बड़ी युवा आबादी और सुधरते बुनियादी ढांचे के साथ भारत को इस बदलाव से सबसे ज्यादा फायदा हो सकता है। देश के दिग्गज मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (CEOs) के बीच करवाए गए मनीकंट्रोल के एक सर्वे के मुताबिक इस सर्वे में शामिल लगभग 53 फीसदी सीईओ का मानना है कि देश जल्द ही मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में चीन का विकल्प बन जाएगा।
सर्वे में शामिल 24.5 फीसदी सीईओ का मानना है कि भारत बीजिंग का विकल्प बनने के लिए "बिल्कुल" अच्छी स्थिति में है। वहीं, लगभग 21 फीसदी सीईओ का मानना है कि भारत अभी तक यह जिम्मेदारी संभालने के लिए तैयार नहीं है।
गौरतलब है कि अक्टूबर 2023 में भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार, वी अनंत नागेश्वरन ने एक लेख में लिखा था कि पश्चिमी देश अपने सप्लाई चेन के लिए भारत की ओर तेजी से रुख कर रहे हैं। नई दिल्ली को विदेशी कंपनियों को भारत में निर्माण इकाइयां लगाने के लिए प्रोत्साहित करने के अपने प्रयासों को दोगुना करना चाहिए। भारत में एक बड़ा घरेलू बाजार, आर्थिक स्थिरता और नीतिगत स्थिरता है। इसका इस्तेमाल हमें दुनिया का मैन्युफैक्चरिंग हब बनने के लिए करना चाहिए।
गौरतलब है कि चाइना-प्लस-वन रणनीति मुख्य रूप से पश्चिमी देशों द्वारा अपनाई जा रही है। ये अपनी कंपनियों को चीन के अलावा दूसरे देशों से भी अपनी जरूरतों की चीजें मंगाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं, जिससे की चीन पर इन देशों की अतिनिर्भरता को कम किया जा सके।
टेस्ला सहित दुनिया की तमाम दिग्गज कंपनियां भारत को अहम मैन्युफैक्चरिंग हब बनने पर दांव लगा रही हैं। ऐसी कंपनियां भारत में कारखाने लगानें करने के मौके तलाश रही हैं, ताकि वे देश के बढ़ते घरेलू बाजार का भी फायदा उठा सकें।
उदाहरण के लिए ऐप्पल इंक के तमिलनाडु स्थित नए संयंत्र ने सितंबर 2023 में नए आईफोन 15 का उत्पादन शुरू कर दिया है। भारत में खपत होने के अलावा यहां बने आईफोन का निर्यात भी किया जाता है। दुनिया की सबसे बड़ी विंड टरबाइन बनाने वाली डेनमार्क स्थित कंपनी वेस्टास भी भारत में दो नए संयंत्र लगाएगी।
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर और देश का कर ढ़ांचा
निवेश बढ़ाने और एक प्रतिस्पर्धी मैन्युफैक्चरिंग बाजार बनने के लिए देश में कर दरों को और ज्यादा आकर्षक बनाने की जरूर है। इस सर्वेक्षण में शामिल 35.8 फीसदी सीईओ मुताबिक देश के टैक्स ढ़ाचे में सुधार की गुंजाइश है। इन सीईओ का मानना है कि भारत की टैक्स दरें "कुछ हद तक आकर्षक" और "मध्यम स्तर कीप्रतिस्पर्धी" हैं, जबकि 34 फीसदी सीईओ का मानना है कि भारत का टैक्स ढ़ांचा देश में बड़ा निवेश लाने के लिए ठीक है।
हालांकि, 22.6 फीसदी सीईओ का मानना है कि देश में कर ढ़ाचा वैश्विक निवेश को आकर्षित करने के लिए पर्याप्त प्रतिस्पर्धी नहीं हैं। कुछ सीईओ ने ने कहा कि भारत को चीन का सबसे बड़ा विकल्प बनाने के लिए अपने आर्थिक विकास को बढ़ावा देने पर सबसे ज्यादा फोकस करना चाहिए।
अंतरिम बजट से कुछ दिन पहले जनवरी में मनीकंट्रोल ने 50 से ज्यादा भारतीय सीईओ के बीच ये सर्वेक्षण करवाया है। इस सर्वेक्षण से ये भी पता चलता है कि अधिकांश बिजनेस हेड्स को 2024 की पहली छमाही में ब्याज दरें और महंगाई के वर्तमान स्तरों के आसपास ही बनी रहने की उम्मीद है।