रेटिंग एजेंसी Crisil का कहना है कि देश के बैकिंग सेक्टर के बैड लोन मौजूदा फाइनेंशियल ईयर में 2018 के उच्च स्तर की तुलना में कम गति से बढ़ेंगे। क्रिसिल ने कहा कि बैंकों के ग्रॉस नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (NPA) के 8-9 प्रतिशत बढ़ सकते हैं। 2018 के अंत में यह आंकड़ा 11.2 प्रतिशत का था।
क्रिसिल ने बताया कि ग्रॉस NPA के बढ़ने की दर कम रखने में कोरोना के कारण रिस्ट्रक्चरिंग की अनुमति और इमरजेंसी क्रेडिट गारंटी स्कीम से मदद मिलेगी।
बैंकों के क्रेडिट का लगभग दो प्रतिशत इस फाइनेंशियल ईयर के अंत में रिस्ट्रक्चरिंग के तहत होने के कारण ग्रॉस NPA और रिस्ट्रक्चरिंग वाली लोन बुक 10-11 प्रतिशत तक पहुंच सकती है।
क्रिसिल रेटिंग्स के सीनियर डायरेक्टर और डिप्टी चीफ रेटिंग्स ऑफिसर, कृष्णन सीतारमण ने बताया, "बैंक क्रेडिट में रिटेल और MSME सेगमेंट्स की हिस्सेदारी लगभग 40 प्रतिशत की है। इन सेगमेंट में बैड लोन क्रमशः 4-5 प्रतिशत और 17-18 प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान है।"
हालांकि, क्रेडिट में सबसे अधिक हिस्सेदारी रखने वाले होम लोन सेगमेंट पर सबसे कम असर पड़ेगा। महामारी की बड़ी मार अनसिक्योर्ड लोन्स पर पड़ सकती है।
MSME सेगमेंट को सरकार की कुछ स्कीमों से फायदा मिलने के बावजूद एसेट क्वालिटी खराब होने से जूझना पड़ेगा और इसके लिए रिस्ट्रक्चरिंग की जरूरत अधिक होगी।