सरकार देश में कमाए गए धन की राउंडट्रिपिंग को रोकने के लिए पिछले साल पेश किए गए विदेशी निवेश नियमों को सख्त करने पर विचार कर रही है। बता दें राउंड ट्रिपिंग अक्सर लेन-देन की एक सीरीज के जरिए की जाती है। इसके लिए देश में कमाए गए पैसे को पहले ऑफशोर फंड में निवेश किया जाता जो बदले में भारतीय एसेट्स में निवेश करते हैं। ग्लोबल डिपॉजिटरी रिसीट और पार्टिसिपेटरी नोट्स कुछ ऐसे तरीके हैं जिनका इस्तेमाल अतीत में राउंड ट्रिपिंग के लिए किया गया है। राउंड ट्रिपिंग से सरकार को बड़ी मात्रा में टैक्स की हानी होती है।
इस मामले से जुड़े लोगों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक सरकार राउंडट्रिपिंग को रोकने के लिए अक्टूबर में पेश किए गए फेमा (विदेशी निवेश) नियम, 2022 को कड़ा करने पर विचार कर रही है।
सूत्रों के मुताबिक सरकार फेमा (विदेशी निवेश) नियम, 2022 को क्लॉज 19 (3) को और कड़ा करना चाहती है। इस क्लॉज में कहा गया है कि अगर प्रस्तावित निवेश सिर्फ दो सब्सिडियरीज तक सीमित है तो भारत में रहने वाला कोई व्यक्ति किसी ऑफशोर इकाई या उसकी स्टेप-डाउन भारतीय सब्सिडियरीज कंपनी में निवेश कर सकता है। ऐसे निवेश भारतीय रिज़र्व बैंक की स्पष्ट अनुमति के बिना भी किया जा सकता है। इसके अलावा ODI (ओवरसीज डायरेक्ट इनवेस्टमेंट) की शर्तें भी कठोर की जा सकती हैं। बैंकिंग, इंश्योरेंस सेक्टर की विदेशी कंपनी में ODI की शर्तें बदली जा सकती हैं। साथ ही विदेशी सिक्योरिटी में OPIके निवेश की सीमा तय की जा सकती है। सूत्र ये भी बता रहे हैं कि डेट, नॉन डेट इंस्ट्रूमेंट के जरिए होने वाले निवेश पर भी सरकार द्वारा नजर रखी जायेगी। इस प्रस्ताव पर PMO और वित्त मंत्रालय के बीच चर्चा भी हो चुकी है।
राउंड ट्रिपिंग क्या है और क्यों होती है?
राउंड ट्रिपिंग वह तरीका है जिसके जरिए देश में कमाए गए धन को अलग-अलग जरिए देश निकाला जाता और फिर अक्सर यही धन विदेशी निवेश के रूप में देश में वापस आ जाता है। इसमें ज्यादातर काला धन शामिल होता। अक्सर इसका इस्तेमाल स्टॉक मूल्य में हेरफेर के लिए किया जाता है। दूसरे शब्दों में कहें तो राउंड ट्रिपिंग का अर्थ है एक देश से पैसा अनौपचारिक चैनलों के जरिए पहले बाहर निकालना और भी डबल टैक्स अवॉइडेंस एग्रीमेंट (डीटीएए) के तहत कर लाभ प्राप्त करने के लिए बाहर से उसी देश में वापस फिर से निवेश किया जाना। राउंड ट्रिपिंग से सरकार को बड़ी मात्रा में टैक्स की हानी होती है।
राउंड ट्रिपिंग अक्सर लेन-देन की एक श्रृंखला के जरिए से की जाती है। इसके लिए देश में कमाए गए पैसे को पहले ऑफशोर फंड में निवेश किया जाता जो बदले में भारतीय एसेट्स में निवेश करते हैं। ग्लोबल डिपॉजिटरी रिसीट (जीडीआर) और पार्टिसिपेटरी नोट्स (पी-नोट्स) कुछ ऐसे तरीके हैं जिनका इस्तेमाल अतीत में राउंड ट्रिपिंग के लिए किया गया है।
राउंड ट्रिपिंग के कई कारण हैं। मुख्य रूप से किसी दूसरे में दी जाने वाली कर रियायतें लोगों को वहां पैसा पार्क करने और फिर उसे वापस भारत वापस भेजने की मुख्य वजह है।