एसबीआई के चीफ इकोनॉमिकस्ट ने वित्त वर्ष 2023 के लिए भारत का ग्रोथ अनुमान 7.5 फीसदी से घटाकर 6.8 फीसदी किया है। एसबीआई का कहना है कि पहली तिमाही में जीडीपी नंबर अनुमान से कम रहे हैं जिसको ध्यान में रखते हुए एसबीआई वित्त वर्ष 2023 के पूरे वर्ष में ग्रोथ अनुमान को घटा रहा है।
गौरतलब है कि नेशनल स्ट्रेटिकल ऑफिस ने बुधवार को पहली तिमाही के जीडीपी आंकड़े जारी किए हैं जिसके मुताबिक वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 13.5 फीसदी पर रही है। मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर के कमजोर प्रदर्शन के कारण जीडीपी पर सबसे ज्यादा निगेटिव प्रभाव पड़ा है। मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में पहली तिमाही में केवल 4.8 फीसदी की ग्रोथ देखने को मिली है। हालांकि इस अवधि में सर्विस सेक्टर का प्रदर्शन बेहतर रहा है जिसके चलते जीडीपी को सपोर्ट मिला है।
गौरतलब है कि एनालिस्ट ने पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ दर 15.7 फीसदी रहने की उम्मीद जताई थी। इसमें भी भारतीय रिजर्व बैंक ने सबसे ज्यादा 16.7 फीसदी ग्रोथ रेट का अनुमान लगाया था। इसी तरह एसबीआई के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 5.7 फीसदी पर रहने की उम्मीद जाहिर की थी।
सौम्य कांति घोष ने गुरुवार को आए एक नोट में कहा है कि 13.5 फीसदी की ग्रोथ रेट के साथ ग्रॉस वैल्यू एडेड की वृद्धि में तिमाही आधार पर 9.6 फीसदी की गिरावट आई है। लेकिन मौसमी रुप से समायोजित रियल जीडीपी ग्रोथ सीरीज से इकोनॉमी गतिविधियों में तेजी पकड़ने के संकेत नजर आ रहे हैं। इसमें पहली तिमाही में 5.6 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई है। जबकि इसके पहले वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में यह 4.1 फीसदी पर रही थी। वहीं 2021-22 में यह 1.9 फीसदी पर थी।
उन्होंने इस नोट में आगे कहा कि जीडीपी के आंकड़े चीजों को दिखाने की जगह छुपाते ज्यादा हैं। ऐसे में अब समय आ गया है कि हम आईआईपी और सीपीआई बॉस्केट को मापने के अपने तरीके की फिर से समीक्षा करें। बता दें कि इसके पहले 2012 में इसकी समीक्षा की थी। उन्होंने आगे कहा कि हालांकि जीडीपी ग्रोथ डबल डिजिट में रही है फिर भी यह बाजार की उम्मीद से कम रही है। जीडीपी पर दबाव की सबसे वजह मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की 4.8 फीसदी की मामूली बढ़त रही है। जिसको ध्यान में रखते हुए वित्त वर्ष 2022-23 के जीडीपी अनुमान को घटाकर 6.8 फीसदी किया गया है।