ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज (Moody’s) ने अपने हाल में प्रकाशित एक नोट में कहा है कि रूस और यूक्रेन के बीच चल रही लड़ाई का भारत की इकोनॉमिक रिकवरी पर कोई निगेटिव असर नहीं पड़ेगा। भारत की इकोनॉमी कोविड -19 महामारी से पड़ी मार के बाद एक बार फिर पटरी पर नजर आ रही है। पूर्वी यूरोप में चालू जियोपोलिटिकल तनाव के चलते इसके पटरी से उतरने की संभावना नहीं है।
मूडीज ने अपने इस नोट में कहा है कि इस संघर्ष के महीनों से जारी रहने के साथ ही अब इसके प्रभाव का डर कम हो गया है। मूडीज का कहना है कि वित्त वर्ष 2022-23 में भारत की रियल जीडीपी ग्रोथ रेट 8.2 फीसदी पर रह सकती है जो G20 देशों में सबसे बेहतर विकास दर है।
रिजर्व बैंक इंडिया के ग्रोथ अनुमान से तुलना करें तो भारत को लेकर मूडीज का ग्रोथ अनुमान ज्यादा बेहतर नजर आ रहा है। बता दें कि अप्रैल में आरबीआई ने भारत का वित्त वर्ष 2022-23 का जीडीपी ग्रोथ अनुमान 7.8 फीसदी से घटाकर 7.2 फीसदी कर दिया था। आरबीआई ने इसकी वजह रूस-यूक्रेन के युद्ध और इसके चलते ग्लोबल स्तर पर कच्चे तेल और कमोडिटीज की कीमतों में आई बढ़ोतरी को बताया था।
हालांकि मूडीज का मानना है कि रूस -यूक्रेन के सैन्य संघर्ष के चलते ग्लोबल इकोनॉमी पर दबाव पड़ेगा। इससे भारत में भी महंगाई का दबाव बढ़ेगा और ब्याज दरें बढ़ती नजर आएंगी। इसके चलते देश में सप्लाई से जुड़ी समस्या भी पैदा हो सकती है। मूडीज ने यह चेतावनी दी है कि खाने-पीने की चीजों की बढ़ती कीमतों से महंगाई पर सीधा असर देखने को मिलेगा। वहीं कच्चे तेल की कीमतों का बढ़ता असर ज्यादा व्यापक होगा।
गौरतलब है कि ग्लोबल मार्केट में कच्चे तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल को पार कर गई हैं और रूस के तेल पर प्रतिबंध के ऐलान के साथ ही मार्च से यह अपने 8 साल के हाई पर बनी हुई हैं।
हालांकि रेटिंग एजेंसी Moody’s को रुस-यूक्रेन के इस संघर्ष से भारतीय बैकों पर नकारात्मक असर दिखने को संभावना नहीं है। मूडीज का यह भी कहना हैकि भारतीय बैंक इस समय कोविड महामारी से पहले की तुलना में भी बेहतर नजर आ रहे हैं।