इस साल के अंत तक आरबीआई की ब्याज दरों में 1 फीसदी तक की और बढ़ोतरी की गुंजाइश है। फिच रेटिंग्स को उम्मीद है कि महंगाई के मोर्चे पर बिगड़ती स्थिति के कारण आरबीआई दिसंबर 2022 तक रेपो रेट को 5.9 फीसदी तक बढ़ा सकता है।
इस साल के अंत तक आरबीआई की ब्याज दरों में 1 फीसदी तक की और बढ़ोतरी की गुंजाइश है। फिच रेटिंग्स को उम्मीद है कि महंगाई के मोर्चे पर बिगड़ती स्थिति के कारण आरबीआई दिसंबर 2022 तक रेपो रेट को 5.9 फीसदी तक बढ़ा सकता है।
फिच (Fitch)ने सोमवार को जारी अपने नवीनतम ग्लोबल इकोनॉमिक आउटलुक में कहा है कि बढ़ती महंगाई (मुद्रास्फीति) को देखते हुए उम्मीद है कि आरबीआई दिसंबर 2022 तक अपनी ब्याज दरों को बढ़ाकर 5.9 फीसदी कर देगा।
Fitch का ये भी अनुमान है कि 2023 के अंत तक आरबीआई रेपो रेट बढ़ाकर 6.15 फीसदी तक ला सकता है। इसके पहले अपने एक अनुमान में Fitch ने कहा था कि आरबीआई 2023 के अंत तक रेपो रेट 5 फीसदी कर सकता है। हालांकि फिच का ये भी कहना है कि 2024 में दरों में कोई बदलाव नहीं होगा।
Fitch का मानना है कि भारत की इकोनॉमी के सामने बिगड़ती जियोपोलिटिकल स्थिति, कमोडिटी की बढ़ती कीमतें और दुनिया भर में मौद्रिक नीतियों में आ रही कड़ाई जैसी तमाम चुनौतियां हैं।
इसके अलावा इस अमेरिकी क्रेडिट रेटिंग एजेंसी का कहना है कि महंगाई बढ़कर आठ साल से शिखर पर पहुंच गई है। और ये काफी व्यापक भी है। इसके चलते उपभोक्ताओं को तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले तीन महीनों में खाने-पीनें की चीजों की खुदरा महंगाई सालाना आधार पर औसतन 7.3 फीसदी बढ़ी है। हेल्थकेयर बिल में भी इतनी की बढ़त देखने को मिली है।
अपनी पिछली दो पॉलीसी मीट में RBI ने ब्याज दरों में 0.90 फीसदी की बढ़ोतरी की है। मई में RBI ने रेपो रेट में 0.40 फीसदी की बढ़त की थी। जबकि जून की पॉलीसी मीट में रेपो रेट में 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी की गई थी। इस समय रेपो रेट 4.9 फीसदी पर है।
फिच को उम्मीद है कि अप्रैल-जून तिमाही में खपत में सुधार की संभावना है क्योंकि COVID-19 मामले मार्च के अंत तक कम हो गए हैं। फिच का अनुमान था कि 2022 की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी ग्रोथ 4.8 फीसदी रहेगी लेकिन वास्तव में ये 4.1 फीसदी पर रही। इस बात को ध्यान में रखते हुए फिच ने भारतीय अर्थव्यवस्था के 2022-2023 के ग्रोथ पूर्वानुमान को 8.5 फीसदी से घटा कर 7.8 फीसदी कर दिया है।
पिछले हफ्ते ही फिच ने भारत की सॉवरेन रेटिंग को दो साल के बाद 'negative' से बदल कर 'stable' कर दिया था। हालांकि रेटिंग में कोई बदलाव नहीं किया गया था और इसके 'BBB-'बनाए रखा था।
ग्लोबल इकोनॉमी पर फिच का कहना है कि महंगाई का दबाव बढ़ता नजर आएगा जिससे ग्रोथ पर नकारात्मक असर देखने को मिलेगा। चीन में हाल ही में कोविड -19 से संबंधित लॉकडाउन के हटने से ग्लोबल मैन्यूफैक्चरिंग सप्लाई चेन पर और दबाव बन रहा है। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण ईंधन और खाद्य आपूर्ति में बाधा आ रही है। इससे यूरोप में महंगाई उम्मीद से ज्यादा तेजी से बढ़ रही है। महंगाई के चलते सर्विस सेक्टर पर भी, खास कर US और UK में, दबाव पड़ रहा है। यहां के तंग श्रम बाजार में वेतन में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है।
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