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इंडिया की ग्रोथ साइकिल पीक पर, आगे दिख सकता है स्लोडाउन : Nomura की रिपोर्ट

Nomura ने कहा है कि जीडीपी के डेटा को डिटेल में देखने पर तस्वीर मिलीजुली दिख रही है। फाइनेंशियल ईयर 2023-24 में इंडिया की ग्रोथ गिरकर 5.2 फीसदी पर आ जाने का अनुमान है। यह इस वित्त वर्ष की अनुमानित 7 फीसदी ग्रोथ के मुकाबले बहुत कम है

अपडेटेड Dec 01, 2022 पर 2:24 PM
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फरवरी 2021 के बाद पहली बार ऐसा हुआ है, जब साल दर साल आधार पर मासिक एक्सपोर्ट में कमी आई है। यह गिरकर 30 अरब डॉलर से नीचे आ गया है।

इंडिया की ग्रोथ साइकिल के पीक पर पहुंच जाने का अनुमान है। Nomura ने यह कहा है। हालांकि, सरकार का मानना है कि इंडियन इकोनॉमी की ग्रोथ (GDP) के डेटा से पता चलता है कि रिकवरी रफ्तार पकड़ रही है। Nomura की इकोनॉमिस्ट्स Sonal Verma और Aurodeep Nandi ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ऐसा लगता है कि इंडिया की ग्रोथ साइकिल पीक पर पहुंच गई है। इसके बाद इकोनॉमी में स्लोडाउन दिख सकता है, जिसका दायरा व्यापक होगा। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि लोअर इनफ्लेशन की वजह से आने वाले महीनों में प्राइवेट कंजम्प्शन को सपोर्ट मिलेगा। लेकिन, फाइनेंशिल कंडिशंस पर दबाव और कमजोर ग्लोबल डिमांड का असर इनवेस्टमेंट और एक्सपोर्ट्स पर पड़ेगा। कोरोना की महामारी के बाद सर्विसेज में रिकवरी का प्रोसेस करीब पूरा हो चुका है। नोमुरा के इकोनॉमिस्ट्स की यह रिपोर्ट तब आई है, जब सितंबर तिमाही के इंडियन इकोनॉमी की ग्रोथ के डेटा आ चुके हैं।

सितंबर तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 6.3 फीसदी

सितंबर तिमाही में इंडिया में जीडीपी ग्रोथ 6.3 फीसदी रही। अप्रैल-जून में यह 13.5 फीसदी थी। ज्यादा ग्रोथ की वजह फेवरेबल बेस इफेक्ट था। अब बेस इफेक्ट घट रहा है। सरकार ने सितंबर तिमाही की जीडीपी ग्रोथ के आंकड़े 30 नवंबर को जारी किए। इसके बाद चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर V Anantha Nageswaran ने कहा कि जुलाई-सितंबर में ग्रोथ के डेटा से पता चलता है कि इंडियन इकोनॉमी ने तेजी का रुख बनाए रखा है। इससे फाइनेंशियल ईयर 2022-23 में ग्रोथ 6.8-7 फीसदी रहने की उम्मीद है। इस ग्रोथ पर फाइनेंशियल ईयर 2023-24 में भी ग्रोथ में रिकवरी जारी रहेगी।


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आगे दिख सकता है स्लोडाउन

Nomura ने कहा है कि जीडीपी के डेटा को डिटेल में देखने पर तस्वीर मिलीजुली दिख रही है। फाइनेंशियल ईयर 2023-24 में इंडिया की ग्रोथ गिरकर 5.2 फीसदी पर आ जाने का अनुमान है। यह इस वित्त वर्ष की अनुमानित 7 फीसदी ग्रोथ के मुकाबले बहुत कम होगा। जीडीपी ग्रोथ के लेटेस्ट डेटा से संकेत मिलता है कि कोराना की महामारी के बाद सर्विसेज सेक्टर में आई तेज रिकवरी अब सुस्त पड़ने लगी है। Nomura India Normalisation Index व्यापक दायरे वाली स्लोडाउन का संकेत दे रहा है।

फरवरी 2021 के बाद पहली बार मासिक एक्सपोर्ट घटा

Nomura का Consumption tracker जो कोरोना से पहले के लेवल से अप्रैल-जून में करीब 11 फीसदी था, जुलाई-सितंबर में घटकर करीब 5 फीसदी पर आ गया है। अक्टूबर में इसमें और गिरावट आई है। यह कोरोना से पहले के स्तर से अब थोड़ा नीचे है। वर्मा ने नंदी ने कहा है कि जैसा कि हमने पहले बताया है, फेस्टिव सीजन सेल बंपर रहने के बावजूद कंजम्प्शन अब भी K-Shaped है। रूरल वेज ग्रोथ कमजोर बनी हुई है। इन सब वजहों से चिंता बनी हुई है। एक्सटर्नल सेक्टर भी मुश्किल में दिख रहा है। अक्टूबर में एक्सपोर्ट ग्रोथ में आई कमी से इसका पता चलता है। अक्टूबर में मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट साल दर साल आधार पर 17 फीसदी तक घटा है। फरवरी 2021 के बाद पहली बार ऐसा हुआ है, जब साल दर साल आधार पर मासिक एक्सपोर्ट में कमी आई है। यह गिरकर 30 अरब डॉलर से नीचे आ गया है।

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