नेशनल बैंक फॉर फाइनेशिंग इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट (NaBFID) के चेयरपर्सन केवी कामत ने CNBC-TV 18 को दिए गए एक इंटरव्यू में कहा है कि भारत कैपिटल की कमी वाले देश से कैपिटल न्यूट्रल और फिर कैपिटल सरप्लस वाले देश में बदल गया है। इस इंटरव्यू में उन्होंने आगे कहा कि पिछले 75 साल में भारत के फाइनेंशियल सेक्टर ने शानदार ग्रोथ की है।
गौरतलब है कि भारत आने वाले 15 अगस्त को अपनी स्वतंत्रता के 75 साल पूरे करने जा रहा है। इस मौके पर केवी कामत ने CNBC-TV 18 से भारत के 75 साल की ग्रोथ यात्रा पर एक लंबी बातचीत की। केवी कामत का मानना है कि देश की नई इकोनॉमी देश के भविष्य का स्वरूप निर्धारित करेगी।
उन्होंने आगे कहा कि इन 75 सालों में भारत पूंजी की कमी वाले देश से बदलकर एक ऐसा देश बन गया है जिसके पास अपने ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए पर्याप्त कैश है। देश की ओवरऑल इकोनॉमी एक ऐसी इंजन में बदल चुकी है जो खुद अपने मोमेंटम से चल रही है। देश में आए इस बदलाव के लिए तमाम लोगों और संस्थाओं को श्रेय जाता है।
इस बातचीत में उन्होंने आगे कहा कि देश की इकोनॉमी की गति इसके अलग-अलग हिस्से के चाल और कार्यप्रणाली पर निर्भर करती है। कंपनियां अपने कारोबार में फ्री कैश जेनरेट करती है। आगे वो अपने रिजर्व कैश से नए कारोबार में निवेश करती है। जिससे ओवरऑल ग्रोथ को पुश मिलता है।
प्राइवेट इक्विटी सेक्टर नए बिजनेस के लिए ग्रोथ इंजन का काम करता है। आगे प्राइवेट इक्विटी सेक्टर भारत के इकोनॉमिक ग्रोथ में अहम भूमिका निभाते नजर आएंगे। इस बातचीत मेंउन्होंने आगे कहा कि भारतीय उद्यमी दुनिया के दूसरे हिस्सों की तुलना में कम उत्पादन लागत में ज्यादा बेहतर वैल्यू क्रिएट कर रहे हैं।
उन्होंने आगे कहा कि स्वतंत्रता के शुरुआती सालों में देश में फाइनेंस सर्विसेज की सुविधा कुछ शहरी इलाकों तक सीमित थी। देश में फाइनेंशियल सेक्टर ने इन 75 सालों में अच्छी ग्रोथ की है। इस समय देश की लगभग 80 फीसदी आबादी के पास बैंक अकाउंट हैं। म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में भी अच्छी ग्रोथ देखने को मिली है। 1990 के दशक में देश में कुछ हजार लोग म्यूचुअल फंड मे निवेशित थे जबकि वर्तमान में देश में म्यूचुअल फंड में निवेश करने वालों की संख्या 40 लाख हो गई है। हालांकि इस सेक्टर ने सन 2000 के बाद ही गति पकड़ी है।