अगस्त महीने में भारत की मैन्यूफैक्चरिंग गतिविधियों में सुधार देखने को मिला है। हालांकि S&P ग्लोबल का परचेजिंग मैनजेर्स इंडेक्स (PMI) जुलाई के 56.4 के 8 महीने के हाई से मामूली गिरावट के साथ 56.2 के स्तर पर आ गया है।
अगस्त महीने में भारत की मैन्यूफैक्चरिंग गतिविधियों में सुधार देखने को मिला है। हालांकि S&P ग्लोबल का परचेजिंग मैनजेर्स इंडेक्स (PMI) जुलाई के 56.4 के 8 महीने के हाई से मामूली गिरावट के साथ 56.2 के स्तर पर आ गया है।
बता दें कि 50 के ऊपर की PMI रीडिंग कारोबारी गतिविधियों में विकास का संकेत होती है जबकि 50 के नीचे की PMI रीडिंग कारोबारी गतिविधियों में गिरावट का सूचक होती है। यह PMI इंडेक्स का 50 प्लस की लगातार 14हवीं रीडिंग है। दूसरे शब्दों में कहें तो लगातार चौदहवें महीने PMI आंकड़ें 50 के लेवल से ऊपर रहे हैं।
S&P ग्लोबल ने अपने बयान में कहा है कि देश में डिमांड की स्थितियों में लगातार आ रहे सुधार से अगस्त महीने में भारत के मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर को मिल रहे नए ऑर्डरों में इजाफा हुआ है। जिसके चलते आउटपुट ग्रोथ 9 महीने के हाई पर पहुंच गई है। इस अवधि में उत्पादन गतिविधियों को एक्सपोर्ट में आई तेजी और अगले वर्ष के अच्छे आउटलुक की वजह से भी सपोर्ट मिला है।
S&P ग्लोबल ने अपने रिपोर्ट में यह भी कहा है कि सर्वे में शामिल कंपनियों ने आगे अपने प्रोडक्ट्स की कीमतों और मार्जिन में बढ़ोतरी की उम्मीद व्यक्त की है। सर्वे में शामिल कंपनियों का कहना है कि हाल के दिनों में कमोडिटी की कीमतों में आई गिरावट से महंगाई का दबाव कम हुआ है।
S&P ग्लोबल के इस सर्वे से पता चलता है कि अगस्त महीने में उत्पादन लागत में आई बढ़ोतरी अपने एक साल के निचले स्तर पर आ गई है। इसमें एल्यूमीनियम और स्टील जैसे कच्चे माल की कीमतों में आई गिरावट का इसमें सबसे बड़ा योगदान है। हालांकि कंपनियों के प्रोडक्ट्स की सेलिंग प्राइस में हल्की बढ़ोतरी हुई है।
महंगाई में आई कमी आरबीआई के लिए अच्छी खबर है। गौरलतब है कि बढ़ती महंगाई के कारण आरबीआई ने सिर्फ 4 महीनों में अपने रेपो रेट में 1.40 फीसदी की बढ़ोतरी करके इसको 5.4 फीसदी कर दिया है।
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