RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने FICCI बैंकिंग कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा है कि होलसेल CBDC (Central Bank Digital Currency)का पायलट लॉन्च मुद्रा व्यवस्था के इतिहास में एक बड़ा लैंडमार्क है। जल्द ही CBDC का रिटेल पायलट भी लॉन्च करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि डिजिटल रूपी लॉन्च एक ऐतिहासिक कदम होगा। डिजिटल रूपी से बड़ा बिजनेस ट्रांसफॉर्मेशन होगा। CBDC को व्यावहारिक लॉन्च से पहले इसके सभी पहलुओं को देखना जरूरी है। डिजिटल रूपी लॉन्च के लिए कोई तारीख तय नहीं है। उन्होंने ये भी बता कि 2023 तक डिजिटल किसान क्रेडिट कार्ड लोन लाने की योजना है। बताते चलें कि भारत का पहला डिजिटल रुपी पायलट प्रोजेक्ट 1 नवंबर को शुरु हो गया है जो होलसेल के लिए है।
CBDC के रिटेल पायलट के लिए कोई जल्दबाजी नहीं
आरबीआई गर्वनर ने अपने संबोधन में आगे कहा कि वे CBDC के रिटेल पायलट के लिए किसी जल्दबाजी में नहीं है। ग्लोबल इकोनॉमी इस समय एक बड़े उलटफेर के दौर से गुजर रही है। जिसको ध्यान में रखते हुए विकसित देश अपने वित्त स्थिति को स्थिर और मजबूत रखने के लिए मौद्रिक नीतियों में कड़ाई ला रहे हैं। जिससे ग्लोबल स्तर पर वित्तीय अस्थिरता का जोखिम नजर आ रहा है।
चुनौती भरे माहौल में भी भारत की इकोनॉमी मजबूत
इस चुनौती भरे माहौल में भी भारत की इकोनॉमी की स्थिरता और मजबूती दिखा रही है। भारत के मैक्रो इकोनॉमिक इंडिकेटर इकोनॉमी को सपोर्ट कर रहे हैं। आरबीआई गर्वनर ने आगे कहा कि 3 तिमाहियों से महंगाई दर 6 फीसदी के ऊपर कायम है। आरबीआई महंगाई की स्थित और इस पर नियत्रंण के लिए उठाए गए अभी तक के अपने कदमों के प्रभाव पर नजर लगाए हुए है। फेस्टिव सीजन में व्हाइट गुड्स में अच्छी बढ़त देखने को मिली है। आरबीआई का मानना है कि कीमतों में स्थिरता, टिकाऊ विकास और वित्तीय स्थिरता इकोनॉमी के लिए बहुत अहम है।
महंगाई की स्थिति पर बनी हुई है नजर
उन्होंने आगे कहा कि इस समय 3 नवंबर को होने वाली MPC की बैठक पर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही है। हम महंगाई रोकने की अपनी कोशिश और इसके प्रभाव पर अपनी एक रिपोर्ट तैयार करेंगे और इसको सरकार को भेजेंगे। MPC में पास होने वाले प्रस्ताव पूरी इकोनॉमी से संबंधित होते हैं। बाजार और देश के नागरिकों को MPC के फैसले के बारे में जानने का हक है। लेकिन निर्धारित नियमों के तहत महंगाई रोकने में असफल होने पर आरबीआई को उसकी वजह बताते हुए पहले सरकार को बताना होता है। आरबीआई सरकार को यह रिपोर्ट दिए बिना पब्लिक डोमेन में अपनी रिपोर्ट नहीं रख सकता है। सरकार को ही आरबीआई की रिपोर्ट को पब्लिक डोमेन में रखने का अधिकार है। इस रिपोर्ट के पहले सरकार के पास जाने का मतलब ये नहीं है कि इसकी जानकारी जनता को नहीं मिलेगी। सरकार ही जनता को ये बताएगी की रिपोर्ट में क्या कहा गया है।
महंगाई के टारगेट को हासिल करने में हुई चूक
उन्होंने आगे कहा कि महंगाई के टारगेट को हासिल करने में चूक हुई है लेकिन यह भी सही है कि अगर हमने पहले से ही अपने नीतियों में कड़ाई लानी शुरु कर दी होती तो देश को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ती। हम इकोनॉमी की रिकवरी की प्रक्रिया में कोई दखल नहीं देना चाहते थे। हम चाहते थे कि इकोनॉमी सुरक्षित स्थिति में आ जाए। उसके बाद महंगाई पर नियंत्रण की कोशिश शुरु हो।
आरबीआई देश में लिक्विडिटी की स्थिति को लेकर सर्तक
उन्होंने आगे कहा कि आरबीआई देश में लिक्विडिटी की स्थिति को लेकर सर्तक बना हुआ है। इकोनॉमी से अतिरिक्त लिक्विडिटी को काफी हद तक निकाल लिया गया है। देश में ग्रोथ मोमेटम कायम है। महंगाई के भी जल्द ही नरम पड़ने के संकेत हैं। बैंक और नॉन बैंक फाइनेंशियल सेक्टर की स्थिति मजबूत दिख रही है। बैंकों की बैलेंसशीट इस समय काफी अच्छी है। कॉर्पोरेट सेक्टर की बैलेंसशीट भी अच्छी स्थिति में नजर आ रही है।