Sugar Exports: भारत 1 अक्टूबर से शुरू होने वाले आगामी पेराई सत्र के दौरान शुगर एक्सपोर्ट पर बैन लगा सकता है। सरकारी अधिकारियों ने गुरुवार 28 सितंबर को मनीकंट्रोल को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस संबंध में नवंबर के पहले सप्ताह में नोटिफिकेशन जारी होने की उम्मीद की जा सकती है। शुगर सीजन हर साल 1 अक्टूबर से शुरू होता है और अगले साल 30 सितंबर को समाप्त होता है। वित्त वर्ष 2022 में भारत ने रिकॉर्ड 11 मिलियन टन (MT) चीनी का एक्सपोर्ट किया था। हालांकि वित्त वर्ष 2023 में इसने देश में चीनी की कीमतों को नियंत्रित रखने और सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए एक्सपोर्ट की मात्रा को सीमित कर दिया था।
एक अधिकारी ने मनीकंट्रोल को बताया, "वित्त वर्ष 2023 शुगर ईयर की शुरुआत में, सरकार ने चीनी निर्यात की मात्रा को लगभग 6 मीट्रिक टन तक पर सीमित कर दिया था। हालांकि बढ़ती कीमतों के साथ इस कोटे को भी खत्म किया जा रहा है। हमारी मुख्य प्राथमिकता घरेलू बाजार में कीमतों को कम रखना है।"
महाराष्ट्र और कर्नाटक में इस इस मानसून सीजन के दौरान बारिश सामान्य से कम रही है। यहां तक कि कई शीर्ष गन्ना उत्पादन वाले जिलों में बारिश औसत से 50 प्रतिशत कम थी। देश का करीब आधा चीनी उत्पादन इन्हीं राज्यों से आता है।
हालांकि बारिश की स्थिति में हाल में सुधार हुआ है। 31 अगस्त तक देश भर में बारिश सामान्य से 10 प्रतिशत कम थी, जो 25 सितंबर को कम होकर 5 प्रतिशत पर आ गया। हालांकि इसके बावजूद में गन्ना पैदावार में कमी की आशंकाओं को मिटाया नहीं जा सकता है।
नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने 16 अगस्त को मनीकंट्रोल को दिए एक इंटरव्यू में गन्ना पैदावार पर चिंता जताई थी। उन्होंने कहा था कि भारत में गन्ने का एक तरह से "अच्छा पैदावार" है, लेकिन इसका एक बड़ा हिस्सा इथेनॉल बनाने के लिए इस्तेमाल किया गया था।
भारत, दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक और प्रमुख निर्यातक देश है। हालांकि हाल के सालों में वह गन्ने की फसल का एक बड़ा हिस्सा इथेनॉल बनाने के लिए इस्तेमाल कर रहा है। साथ ही वह इसके लिए फ्यूल प्लांट्स लगाने पर भी जोर दे रहा है।
मौजूदा शुगर सीजन 2023 में करीब 45 लाख मीट्रिक टन अतिरिक्त चीनी को इथेनॉल में बदल दिया गया है। सरकार ने 2025 तक 60 लाख मीट्रिक टन से अधिक अतिरिक्त चीनी को इथेनॉल उत्पादन में लगाने का लक्ष्य रखा है।