NPA: पिछले साढ़े तीन साल में पब्लिक सेक्टर के बैंकों द्वारा मंजूर किए गए केवल दो बड़े लोन ही ऐसे हैं जो नॉन परफॉर्मिंग एसेट (NPA) साबित हुए हैं। यह जानकारी आज सरकार ने संसद में दी। 20 दिसंबर को राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि 1 अप्रैल, 2019 से 30 सितंबर, 2022 तक, पब्लिक सेक्टर के बैंकों द्वारा मंजूर किए गए 100 करोड़ रुपये से अधिक के केवल दो लोन ही NPA बने हैं। इसमें से पहला लोन पंजाब एंड सिंध बैंक (Punjab & Sind Bank) द्वारा दिया गया था, वहीं दूसरे लोन को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने मंजूरी दी थी।
FY21 में मंजूर किए गए थे दोनों लोन
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में बताया कि पंजाब एंड सिंध बैंक द्वारा मंजूर लोन 297 करोड़ रुपये का था। इस लोन को पूरी तरह से रिकवर कर लिया गया है। इसके अलावा दूसरा लोन स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने दिया था, जिसे लेकर सीतारमण ने कहा कि इसे वित्त वर्ष 2021-22 में रेगुलर के रूप से अपग्रेड कर लिया गया। हालांकि उन्होंने इस लोन के आकार का खुलासा नहीं किया है। ये दोनों लोन FY21 में स्वीकृत किए गए थे। सीतारमण द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, पब्लिक सेक्टर के बैंकों ने पिछले साढ़े तीन वर्षों में 100 करोड़ रुपये से अधिक के कुल 9,650 लोन मंजूर किए। इसके तहत वित्त वर्ष 2020 में 2,084, 2021 में 2,575, 2022 में 2,780 और 2023 की पहली छमाही में 2,211 लोन स्वीकृत किए गए हैं।ट
सरकार और विपक्ष के बीच रहा है विवाद
बैंकिंग सेक्टर का प्रदर्शन कई वर्षों से सरकार और विपक्ष के बीच विवाद का विषय रहा है। ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस के बाद भारतीय बैंकों के बैड लोन में तेजी से इजाफा हुआ है। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी का तर्क है कि यह तत्कालीन सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के बीच संबंधों के कारण था। हालांकि, विपक्ष ने हाल के वर्षों में बैंकों द्वारा बड़े पैमाने पर किए गए लोन राइट ऑफ को लेकर सरकार पर निशाना साधा। बता दें कि वित्त मंत्रालय ने 19 दिसंबर को लोकसभा में बताया कि भारतीय बैंकों ने पिछले 5 वित्तीय वर्षों के दौरान 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक के लोन को बट्टे खाते में डाल दिया।