18 सितंबर को आरबीआई द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2022-23 में भारत की शुद्ध घरेलू बचत वित्त वर्ष 2021-22 की तुलना में 19 फीसदी कम रही है। आंकड़ों में देखें तो वित्त वर्ष 2022-23 में भारत की शुद्ध घरेलू बचत 13.77 लाख करोड़ रुपए रही है। ये गिरकर देश की जीडीपी के 5.1 फीसदी पर आ गई है। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इकोनॉमिस्ट निखिल गुप्ता के मुताबिक जीडीपी के 5.1 फीसदी पर देश की शुद्ध घरेलू बचत 34 वर्षों में सबसे कम है।
कोविड के चलते वित्त वर्ष 2020-21 में घरेलू बचत में हुई थी बढ़त
2021-22 में देश की शुद्ध घरेलू बचत जीडीपी के 7.2 फीसदी पर थी। जबकि कोविड महामारी से ग्रस्त वित्त वर्ष 2020-21 में देश की शुद्ध घरेलू बचत दर वित्त वर्ष 2019-20 के 8.1 फीसदी से बढ़कर जीडीपी के 11.5 फीसदी पर रही थी। गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2020-21 में कोविड के चलते लोगों के खर्च में काफी कमी आई थी जिसकी वजह से इस अवधि में बचत दर ज्यादा रही थी।
घरेलू देनदारियों के 76 फीसदी से ज्यादा की बढ़त
आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल देश में घरेलू देनदारियों के 76 फीसदी से ज्यादा की बढ़त देखने को मिली जबकि लोगों की वित्तीय संपत्ति में 2021-22 की तुलना में केवल 14 फीसदी की बढ़त देखने को मिली। इसकी वजह से घरेलू बचत में गिरावट देखने को मिली है। अलग-अलग एसेट्स की बात करें तो पिछले वित्त वर्ष (2022-23) में बैंक जमाओं में सालाना आधार पर 32 फीसदी से ज्यादा की बढ़त देखने को मिली। जबकि छोटी बचत (पीपीएफ को छोड़कर) और निवेश सभी 2021-22 की तुलना में कम थे।
कमर्शियल बैंकों की उधारी में सालाना आधार पर 54 फीसदी की बढ़त
अगर देनदारियों की बात करें तो वित्त वर्ष 2022-23 में लोगों की कमर्शियल बैंकों की उधारी में सालाना आधार पर 54 फीसदी की बढ़त देखने को मिली। अगर जीडीपी से तुलना करें तो वित्त वर्ष 2022-23 में देश में लोगों वित्तीय संपत्ति जीडीपी के 10.9 फीसदी पर रही है। ये 2021-22 में जीडीपी के 11.1 फीसदी पर रही थी। वहीं, वित्त वर्ष 2022-23 में घरेलू देनदारी सालाना आधार पर जीडीपी के 3.8 फीसदी से बढ़कर 5.8 फीसदी पर रही है। ये स्वतंत्र भारत के इतिहास का हाइएस्ट लेवल है।